भदोही का कालीन उद्योग बिखरने के कगार पर
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Feb 19, 2012, 12:37 pm IST
Keywords: Uttar Pradesh Bhadohi mythological terms world famous carpet industry scattering Brink backwardness and poverty उत्तर प्रदेश भदोही पौराणिक दृष्टि विश्व विख्यात कालीन उद्योग बिखरने कगार पिछड़ापन और गरीबी
भदोही: उत्तर प्रदेश का भदोही पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि यही वह धरती है जहां महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम की कथा, 'रामायण' की रचना की थी। यह महान ग्रंथ यहां स्थित सीतामणि में रचा गया, लेकिन पिछड़ापन और गरीबी आज भदोही की पहचान बन गई है। खास तौर से यहां का विश्व विख्यात कालीन उद्योग एक तरह से बिखरने के कगार पर है।
इस क्षेत्र में उद्योगों का अभाव है। कालीन उद्योग की बात करें तो यहां पर बुनकर श्रमिकों की कमी है। लोग बताते हैं कि कभी कालीन उद्योग के तीन हजार करोड़ रुपये के टर्नओवर में लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी अकेले भदोही और मिर्जापुर की होती थी, लेकिन कालीन उद्योग भी अब आर्थिक मंदी और श्रमिकों की कमी की मार झेल रहा है। बुनकरी के लिए विख्यात इस क्षेत्र में केंद्र सरकार ने तीन साल पहले 70 करोड़ रुपये के मेगाक्लस्टर योजना की शुरुआत की थी लेकिन तीन साल गुजर जाने के बाद भी वे वादे जमीन पर नहीं उतर पाए। अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के मानद सचिव हाजी अब्दुल हाजी इसके लिए केंद्र की कांग्रेस सरकार और प्रदेश की बसपा सरकार को बराबर का दोषी मानते हैं। हाजी कहते हैं, "हमने भदोही के कालीन उद्योग को ध्यान में रखकर बुनाई प्रशिक्षण केंद्र खोलने की मांग की थी, क्योंकि जब मंदी आती है तो श्रमिक दूसरे उद्योग-धंधों का रुख कर लेते हैं।" वह कहते हैं कि कालीन बुनकरों में महिला श्रमिक अधिक होती हैं, इसलिए उनके लिए प्रशिक्षण केंद्रों की मांग की गई थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, जिस वजह से अब ये महिलाएं रोजी-रोटी की तलाश में बीड़ी कारोबार की तरफ रुख कर रही हैं। हाजी कहते हैं, "देश के पूरे कालीन उद्योग का आधा हिस्सा हमारे यहां है। तीन हजार करोड़ रुपये के टर्नओवर में एक हजार करोड़ रुपये केवल भदोही के कालीन उद्योग से मिलता है, बाकी का हिस्सा मिर्जापुर और वाराणसी से अर्जित होता है। भदोही में सुरियावां और दुर्गागंज कालीन उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं।" कालीन बुनकरों की पीड़ा बताते हुए हाजी कहते हैं, "अब क्या कहा जाए, हमारी किस्मत ही खराब है। केंद्र सरकार ने हैंडलूम और साड़ी के बुनकरों का कर्जा माफ कर दिया लेकिन कालीन उद्योग की सुध किसी को नहीं आई।" हाजी दावा करते हैं कि भदोही कालीन बुनकरों का ध्यान रखते हुए यदि यहां प्रशिक्षण केंद्र खोल दिए जाएं तो यहां और अधिक उत्पादन हो सकता है, क्योंकि यहां की लोगों में ऐसा करने की क्षमता भी है और हुनर भी। हाजी की मानें तो चुनाव आता है तो सभी वादे करते हैं लेकिन आज तक किसी सरकार ने भदोही के कालीन बुनकरों को सम्मानित करने का काम नहीं किया। भदोही के कालीन उद्योग से इतर इस क्षेत्र में विकास की बात करें तो पानी, बिजली और सड़क की हालत बदतर है। हाजी बड़े ही साफगोई से स्वीकार करते हैं कि भदोही के सीतामणि इलाके का ही थोड़ा बहुत विकास हुआ है और वह भी भारतीय जनता पार्टी नेता बलबीर पुंज ने करवाया है। |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|
सप्ताह की सबसे चर्चित खबर / लेख
|