Friday, 10 January 2025  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

प्रियंका का राजनीतिक महत्व कांग्रेसियों ने नहीं समझा

प्रियंका का राजनीतिक महत्व कांग्रेसियों ने नहीं समझा

कपिल सिब्बल जैसे अपराध शास्त्र के विशेषज्ञों से राजनीतिक समझ की उम्मीद करना फिजूल है जिसका प्रायश्चित कांग्रेस को करना पड़ रहा है। यदि कांग्रेस ने प्रारंभ से ही पुत्र मोह में न फंस कर राजनीतिक दृष्टि से प्रियंका गांधी को विरासत संभलवा दी होती तो तो निश्चित रूप से कांग्रेस की स्थितियों में अप्रत्याशित रूप से सुधार हो गया होता। इसका एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कारण है जिसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। सिर्फ एशियाई समाज में परम्परा के अनुसार बहुओं से ज्यादा बेटियों की स्वीकार्यता रही है।

मध्यकालीन भारतीय इतिहास में चाहे अल्तमस की बेटी रजिया सुलतान हो या आधुनिक काल के इतिहास में जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी हो, बेटियों का भी इतिहास रहा है। इस तथ्य के सूत्र ब्रिटेन के इतिहास में भी देखे जा सकते हैं। ब्रिटेन की राजशाही परम्परा में कारण जो भी रहा हो, बेटियों को सम्मान मिलता रहा है और उन्हे राजगद्दी की उत्तराधिकारी के रूप में ब्रिटेन की जनता ने स्वीकार किया हैं।

एशिया के देशों की स्त्रियों की स्थितियों में अन्य महादेश के देशों से काफी भिन्नता है। चैंकाने वाले तथ्य यह हैं कि एशियाई देशों की महिलाओं की अनचाहे ही देश की सत्ता का बागडोर संभालने के लिए राजनीति में आने की मजबूरी हो गई थी। या दूसरे शब्दों में कहा जाय तो इन स्त्रियों ने अपनी किसी राजनीतिक सोच को लेकर क्रांतिकारी शुरूआत नहीं की थी। उनके पिता या पति की राजनीतिक हत्या किए जाने के बाद सहानुभूति की लहर ने उन्हें सत्ता के शिखर पर अचानक पहुंचा दिया। कमोबेश सक्रिय राजनीति में आने के कारण बिल्कुल एक ही जैसे थे। चाहे फिलिपींस की प्र्रथम महिला राष्टपति काराजोन एक्विनों हों या बांग्लादेश की प्रधानमंत्री खालिदा जिया हों या श्रीलंका की सिरीमावो वंडारनायके हों या निकारागुआ की वायोलेत समोरो, उनको राजनीति में लाने की परिस्थितियां एक जैसी थीं। एक विचित्र संयोग यह है कि इनके पति राजनीतिक दुर्भावनाओं के शिकार हो गए थे और इन स्त्रियों के पति की हत्या कर दी गई थी। इनमें एक और समानता यह भी है कि सभी स्त्रियां, जिनके पति की राजनीतिक कारणों से हत्या की गई ,अपनी घर गृहस्थी संभाल रही थी और सभी राजनीति से दूर थीं। उन्हें पति की हत्या के बाद अपार जन समर्थन ने राजनीति में आने को प्रेरित कर दिया।

ऐसा माना जाता है कि एक्विनो के पति की हत्या उनके प्रबल राजनीतिक विरोधी 1983 में फिलिपींस के तत्कालीन राष्टपति मारकोस के इशारे पर की गई जबकि समारो के समाचार पत्र प्रकाशक पति की हत्या भी राजनीतिक कारणों से निकारागुआ के तत्कालीन तानाशाह सेमोजा ने करवा दी थी। श्रीलंका की सिरीमावो वंडारनायके के पति की हत्या एक नाराज बौद्ध नेता ने 1959 में कर दी । जबकि उनकी बेटी पूर्वप्रधान मंत्री चन्द्रिका कुमारतुंगे के पति को 1988 माक्र्सवादी क्रांतिकारियों ने कर दी। सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी को भी श्रीलंका के लिट्टे के आतंकवादियों ने बमों से उड़ा दिया था। इसी प्रकार बांग्लादेश के प्रधानमंत्री खालिदा जिया के राष्टपति पति को सैनिक विद्रोह में मार डाला गया था। इसके पूर्व वहां की दूसरी प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता बंग बंधु मुजीबुर्रहमान को भी उनके विरोधियों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया था।

भारत में ही केवल प्रधान मंत्री नेहरू की हृदयाघात से हुई मृत्यु के बाद उनकी पुत्री इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाया गया था। इन उदाहरणों से एक सामान्य तथ्य यह सामने आता है कि सभी महिलाएं समृद्ध और आभिजात्य परिवारों की थीं। राजनीतिक से अधिक देश की जनता की सहानुभूति के कारणों से सत्ता इनके पास आ गई। इन में से सभी स्त्रियों के या तो इके पति या पिता की राजनीतिक हत्या की गई थी। शायद यही कारण है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी भी इसी सहानुभूति की लहर का इंतजार कर रही थीं। यदि वे इस देश की बेटी होतीं तो निश्चित रूप से इसका लाभ बहुत पहले ही मिल गया होता।

राधेश्याम तिवारी
राधेश्याम तिवारी लेखक राधेश्याम तिवारी हिन्दी व अग्रेज़ी के वरिष्ठतम स्तंभकार, पत्रकार व संपादकों में से एक हैं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख निरंतर प्रकाशित होते रहते हैं। फेस एन फैक्ट्स के आप स्थाई स्तंभकार हैं। ये लेख उन्होंने अपने जीवनकाल में हमारे लिए लिखे थे. दुर्भाग्य से वह साल २०१७ में असमय हमारे बीच से चल बसे

अन्य राजनीति लेख