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जब आतंक की आग ने कश्मीर को झुलसाया
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Apr 23, 2025, 7:21 am IST
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![]() जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियां मंगलवार को उस समय खून से लाल हो गईं, जब पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया. अंधाधुंध गोलीबारी में 28 लोगों की जान चली गई, जिनमें नेपाल और यूएई के दो विदेशी नागरिक भी शामिल थे. दर्जनों लोग घायल हैं. यह हमला 2019 के पुलवामा अटैक के बाद सबसे घातक घटनाओं में से एक माना जा रहा है. इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) नाम के आतंकी संगठन ने ली है, जिसे पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है. इस जघन्य घटना ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की बहस को तेज कर दिया है. भारत के साथ खड़ी हुई वैश्विक बिरादरी इस संकट की घड़ी में भारत अकेला नहीं है. दुनिया के कई बड़े देश भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखाई दे रहे हैं—खासतौर पर अमेरिका और रूस, जो आतंक के खिलाफ किसी भी हद तक जाकर कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं. अमेरिका का दो टूक संदेश हमले के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की और घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त की. अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर उन्होंने लिखा कि “कश्मीर से आई खबरें दिल तोड़ने वाली हैं. अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है. हम मृतकों की आत्मा की शांति और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं.” वहीं ट्रंप ने भारत को हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पुष्टि की कि दोनों नेताओं की बातचीत सौहार्दपूर्ण रही और भारत की संप्रभुता व सुरक्षा को लेकर अमेरिका का समर्थन पूरी तरह स्पष्ट था. रूस ने भी जताया सख्त विरोध राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस हमले को "क्रूर अपराध" बताया और इसे पूरी तरह से अक्षम्य करार दिया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी को शोक संदेश भेजते हुए कहा कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ रूस का संपूर्ण समर्थन प्राप्त है. रूस के भारत में राजदूत डेनिस अलीपोव ने भी हमले की तीव्र निंदा करते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि “हम भारत के लोगों और सरकार के साथ इस कठिन समय में एकजुट हैं.” मोदी ने बीच में छोड़ा अंतरराष्ट्रीय दौरा हमले के समय प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा पर थे. जैसे ही हमले की सूचना मिली, उन्होंने अपनी यात्रा को बीच में रोककर भारत लौटने का निर्णय लिया. उनके बयान में साफ था कि “इस जघन्य अपराध के दोषी और उनके समर्थक कानून से बच नहीं पाएंगे.” दुनियाभर से भारत को मिला समर्थन इस हमले के बाद न केवल अमेरिका और रूस, बल्कि इटली, जापान, संयुक्त अरब अमीरात, यूक्रेन, ईरान जैसे कई देशों ने भारत के प्रति एकजुटता दिखाई. इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने गहरे दुख के साथ कहा “इटली इस मुश्किल समय में भारत के साथ है. हम पीड़ितों के परिवारों और सरकार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं.” संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी नागरिकों पर हमले को अस्वीकार्य बताते हुए आतंकवाद की हर रूप में निंदा की. आतंक के खिलाफ अब चुप्पी नहीं पहलगाम हमला न सिर्फ एक आंतरिक सुरक्षा का मुद्दा है, बल्कि यह इस बात की चेतावनी भी है कि आतंकवाद अब सीमाओं में नहीं बंधा. इस हमले की टाइमिंग, इसके पीछे की मानसिकता और इसे अंजाम देने वाले तत्वों की संरचना—सब कुछ इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह सिर्फ भारत का मसला नहीं है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा का साझा संकट है. भारत इस लड़ाई में अकेला नहीं—अब दुनिया भी साथ खड़ी होती दिखाई दे रही है. |
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