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ट्रंप से बातचीत क्यों नहीं करना चाहता है ईरान

जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 30, 2025, 18:47 pm IST
Keywords: US-Iran Relations   मिडिल ईस्ट   डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका   ईरान के राष्ट्रपति  
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ट्रंप से बातचीत क्यों नहीं करना चाहता है ईरान मिडिल ईस्ट में उथल-पुथल के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई को एक चिट्ठी लिखी थी और अमेरिका के साथ सीधी बातचीत का ऑफर भी दिया था. अब ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेशकियन ने इस चिट्ठी का जवाब दिया है. न्यूज एजेंसी एपी ने अपने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि ईरान के राष्ट्रपति ने अमेरिका के साथ सीधी बातचीत करने से इनकार कर दिया है.

राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन की टिप्पणी से पहली बार आधिकारिक तौर पर साफ हुआ है कि ईरान ने ट्रंप के पत्र पर किस तरह प्रतिक्रिया दी. इससे यह भी संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है. पेजेशकियन ने कहा, ‘‘इस (ट्रंप के पत्र) प्रतिक्रिया में दोनों पक्षों के बीच प्रत्यक्ष वार्ता की संभावना को खारिज कर दिया गया है, लेकिन इस बात पर जोर दिया गया है कि अप्रत्यक्ष वार्ता का रास्ता खुला है.

इससे पहले भी राष्ट्रपति पेजेशकियन ने कहा था कि उनकी सरकार ने कूटनीतिक तरीकों को अपनाने के बावजूद, अमेरिका की शर्तों को स्वीकार नहीं किया. उनका मानना था कि अमेरिका का रवैया एकतरफा और अनुचित था, जिससे कोई सार्थक वार्ता संभव नहीं थी. वहीं, ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश अमेरिका के दबाव में आकर कोई फैसला नहीं करेगा. उन्होंने इल्जाम लगाया था कि अमेरिका की नीतियां हमेशा से एकतरफा रही हैं और वह दूसरे देशों पर अपनी शर्तें थोपना चाहता है.

ईरान और अमेरिका के बीच रिश्ते कई सालों से खराब हैं. 2015 में जब बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तब ईरान और अमेरिका के बीच एक परमाणु समझौता (JCPOA) हुआ था. इस समझौते के तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने का वादा किया था और इसके बदले अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने उस पर लगे आर्थिक बैन हटा दिए थे. लेकिन 2018 में जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने इस समझौते से अमेरिका को बाहर कर लिया और ईरान पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगा दिए. इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध और ज्यादा खराब हो गए हैं.

वहीं, बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका और ईरान के रिश्तों में कुछ नरमी देखने को मिली थी, उस समय तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन प्रशासन ने संकेत दिए थे कि वह परमाणु समझौते को फिर से लागू करना चाहता है, लेकिन इसके लिए ईरान को भी कुछ शर्तें माननी होंगी. उस समय ईरान ने भी बातचीत में थोड़ी दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन वह चाहता है कि अमेरिका पहले सभी आर्थिक प्रतिबंध हटाए.
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