ममता बनर्जी के महाकुंभ को मृत्युकुंभ कहने वाले बयान पर CM योगी का वार

जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 16, 2025, 18:07 pm IST
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ममता बनर्जी के महाकुंभ को मृत्युकुंभ कहने वाले बयान पर CM योगी का वार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उनके ‘‘मृत्यु कुंभ’’ वाले बयान पर कड़ा जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग होली के दौरान उपद्रव को नियंत्रित करने में असमर्थ रहे, उन्होंने प्रयागराज के महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ कहा था.’’

बंगाल में होली के दौरान हुए उपद्रव


मुख्यमंत्री ने गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों के शपथग्रहण समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पहली बार तमिलनाडु से लोग आए थे. केरल से भी लोग आए थे. उत्तर प्रदेश की आबादी 25 करोड़ है और होली शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई. लेकिन, पश्चिम बंगाल में होली के दौरान कई उपद्रव हुए. जो लोग होली के दौरान उपद्रव को नियंत्रित करने में असमर्थ थे, उन्होंने कहा था कि प्रयागराज का महाकुंभ ‘मृत्यु कुंभ’ था.’’

महाकुंभ को 'मृत्युंजय' बताया

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, हमने कहा कि यह ‘मृत्यु’ नहीं है, यह ‘मृत्युंजय’ है. यह ‘महाकुंभ’ है. इस कुंभ ने साबित कर दिया है कि महाकुंभ के 45 दिनों में, हर दिन पश्चिम बंगाल के 50 हजार से एक लाख लोग इस आयोजन का हिस्सा थे.’’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 18 फरवरी को कहा था कि भगदड़ की घटनाओं के कारण महाकुंभ ‘‘मृत्यु कुंभ’’ में बदल गया है. उन्होंने दावा किया था कि महाकुंभ में मौतों के वास्तविक आंकड़े को अधिकारियों ने दबा दिया है. ममता बनर्जी ने कहा था, ‘‘उन्होंने मौतों का आंकड़ा कम करने के लिए सैकड़ों शवों को छिपा दिया है. भाजपा शासन में महाकुंभ ‘मृत्यु कुंभ’ में बदल गया है.’’

मीडिया के सकारात्मक योगदान के लिए सरकार का समर्थन

आदित्यनाथ ने मीडिया संगठन के पदाधिकारियों और पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘मीडिया की सकारात्मक भूमिका को आगे बढ़ाने के लिए आपको जिस भी तरह के सहयोग की आवश्यकता होगी, सरकार आपके साथ खड़ी रहेगी.’’ मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि देश में कई स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं जिन्होंने मीडिया के माध्यम से अपने करियर को आगे बढ़ाने का काम किया. आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘उन्होंने (पत्रकारों) देश के स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारिता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसमें सबसे पहला नाम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का है, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाचारपत्रों को प्रोत्साहित किया. इसके अलावा लाला लाजपत राय, गणेश शंकर विद्यार्थी आदि ने अपनी लेखनी की धार से समाज को नयी दिशा दी.’’

मीडिया की प्रासंगिकता कभी कम नहीं हो सकती

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जब देश के लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा था, तब समाचार समूहों ने अपनी लेखनी के माध्यम से लोकतंत्र को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी. मीडिया की भूमिका और प्रासंगिकता के बारे में उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में भी मीडिया की भूमिका और प्रासंगिकता कभी कम नहीं हो सकती.

सोशल मीडिया का दुरुपयोग और मीडिया की जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज पूरी दुनिया में तकनीक तेजी से बदल रही है. ऐसे में मीडिया जगत भी तेजी से बदल रहा है, ताकि तकनीक से जुड़कर समाज तक सही तथ्य पहुंचाए जा सकें. आज युवा पीढ़ी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रही है, क्योंकि उनके पास समय कम है. ऐसे में मीडिया संस्थानों की जिम्मेदारी सकारात्मक बातें पहुंचाने की और भी बढ़ गई है, क्योंकि कुछ लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग कर नकारात्मकता फैला रहे हैं. ऐसे में मीडिया जगत को उसी भूमिका के साथ आगे बढ़ना होगा, जिसके लिए वह जाना जाता है. यह न सिर्फ लोकतंत्र, बल्कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए भी बड़ा काम होगा.

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