घरेलू वेज थाली की कीमत घटी, नॉन-वेज महंगी हुई

जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 11, 2025, 18:07 pm IST
Keywords: रोटी   चावल   दाल   सब्जियां   वेज थाली   नॉन-वेज थाली  
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घरेलू वेज थाली की कीमत घटी, नॉन-वेज महंगी हुई

नई दिल्ली: भारत में फरवरी 2025 के दौरान घरेलू शाकाहारी (वेज) थाली की कीमतों में मामूली गिरावट दर्ज की गई, जबकि मांसाहारी (नॉन-वेज) थाली की लागत में इजाफा हुआ. प्रमुख बाजार अनुसंधान फर्म क्रिसिल द्वारा जारी फूड प्लेट कॉस्ट इंडिकेटर रिपोर्ट के अनुसार, वेज थाली की कीमत फरवरी में सालाना आधार पर 1% घटकर 27.2 रुपए हो गई, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 27.5 रुपए थी.

हालांकि, जनवरी 2025 की तुलना में फरवरी में वेज थाली की कीमत 5% कम रही, जो पहले 28.7 रुपए थी.

नॉन-वेज थाली की लागत में बढ़ोतरी

वहीं, नॉन-वेज थाली की कीमत फरवरी में 6% बढ़कर 57.4 रुपए हो गई, जबकि पिछले साल इसी महीने इसकी कीमत 54 रुपए थी. हालांकि, जनवरी 2025 की तुलना में फरवरी में इसकी कीमत 5% कम रही. जनवरी में नॉन-वेज थाली की कीमत 60.6 रुपए थी.

कीमतों में बदलाव के पीछे कारण

क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, शाकाहारी थाली की कीमत में गिरावट का मुख्य कारण टमाटर और LPG सिलेंडर के दामों में गिरावट है. टमाटर की कीमतों में 28% की गिरावट आई है.

LPG सिलेंडर 11% सस्ता हुआ है.

  • आलू के दाम 16% बढ़े, जबकि प्याज 11% और खाद्य तेल 18% महंगा हुआ.
  • वेज थाली में आलू और टमाटर की 24% हिस्सेदारी होती है, जिससे उनकी कीमतों में बदलाव का सीधा असर पड़ा.

दूसरी ओर, नॉन-वेज थाली की लागत में वृद्धि मुख्य रूप से चिकन (ब्रॉयलर) की कीमतों में 15% की बढ़ोतरी के कारण हुई. चूंकि नॉन-वेज थाली की कुल लागत में ब्रॉयलर का 50% हिस्सा होता है, इसलिए इसके महंगे होने से कुल लागत बढ़ गई.

कैसे तय होती है थाली की कीमत?

क्रिसिल का विश्लेषण भारत के उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिमी क्षेत्रों में मौजूदा खाद्य कीमतों के आधार पर घरेलू थाली तैयार करने की औसत लागत पर आधारित है. यह मंथली बदलाव सीधे तौर पर आम उपभोक्ताओं के खर्च को प्रभावित करता है.

इस रिपोर्ट के जरिए अनाज, दालें, सब्जियां, चिकन, मसाले, खाद्य तेल और एलपीजी जैसी आवश्यक सामग्रियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव को समझा जाता है.

थाली में क्या शामिल होता है?

वेज थाली: रोटी, चावल, दाल, सब्जियां (टमाटर, आलू, प्याज), दही और सलाद.

नॉन-वेज थाली: इसमें दाल की जगह चिकन को शामिल किया गया है.

भविष्य में खाद्य कीमतों में होने वाले बदलावों पर नजर रखने से उपभोक्ता अपने बजट को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं.

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