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एक ही परिवार के तीन सांसद वाला उदाहरण देकर समूचे विपक्ष को धोया

जनता जनार्दन संवाददाता , Feb 04, 2025, 19:31 pm IST
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एक ही परिवार के तीन सांसद वाला उदाहरण देकर समूचे विपक्ष को धोया पीएम मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए एक उदाहरण देते हुए गांधी परिवार का नाम लिए बगैर उसपर अब तक का अपना सबसे बड़ा हमला किया. पीएम मोदी ने बहुत बड़ी बात कहकर न सिर्फ गांधी परिवार के 3-3 नेताओं को घेरा बल्कि उनके साथ समूचे विपक्ष को भी अपने लपेटे में ले लिया.

पीएम मोदी ने बीते साल भर से संविधान-संविधान का जाप कर रहे और दलित समाज की रहनुमाई का दावा करने वाले दलों के नेताओं का नाम तो नहीं लिया, लेकिन एक ज्वलंत मिसाल देकर गांधी परिवार के ऊपर 'वंशवाद' नामक ब्रह्मास्त्र चलाया और न सिर्फ कांग्रेस बल्कि हमेशा जाति-जाति करने वालों और जातीय जनगणना की रट लगाने वालों को भी टारगेट करते हुए समूचे विपक्ष को एक साथ धो डाला.

पीएम मोदी ने कहा- 'अध्यक्ष जी मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं कि क्या आज से पहले किसी ने संसद में एक ही परिवार के तीन-तीन अनुसूचित वर्ग के सांसदों को एक साथ सदन में देखा है'... कही 3-3 दलित सांसदों को देखा है? जाहिर तौर पर ये बड़ा अटैक कांग्रेस आलाकमान के परिवार यानी गांधी फैमिली पर था. दरअसस 18वीं लोकसभा में संसद में गांधी परिवार से तीन सांसद हैं. सोनिया गांधी राज्यसभा से सांसद हैं. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों लोकसभा से सांसद हैं. ऐसे में बिना किसी का नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री ने ऐसा सियासी 'बाण' चलाया जिसकी चोट पूरे विपक्ष ने महसूस की होगी.

गौरतलब है कि राहुल गांधी बीते एक साल से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं. वो अनुसूचित वर्ग की रहनुमाई की बात कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी हो या कोई अन्य दल सब पीडीए-पीडीए करके दलितों-पिछड़ों के नाम पर राजनीति में 'खुला खेल फर्रुखाबादी' वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं. ऐसे में इस वार से न सिर्फ उन्होंने कांग्रेस को घेरा बल्कि जाति की राजनीति करने वालों के आरोपों को 'विकास' नाम के 'बाणों' से भेद दिया.

एक ही समय में संसद में एसटी वर्ग के एक ही परिवार के तीन सांसद हुए हैं क्या? कुछ लोगों की वाणी और व्यवहार में कितना फर्क होता है, मेरे एक ही सवाल से पता चलता है. जमीन आसमान का अंतर है, रात-दिन का अंतर है. हम एससी-एसटी समाज को कैसे सशक्त कर रहे हैं, समाज में तनाव पैदा किए बिना एकता की भावना को बरकरार रखते हुए समाज के वंचितों का कल्याण कैसे किया जाता है, इसका मैं उदाहरण देता हूं. 2014 में 2014 से पहले हमारे देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 थी. आज 780 मेडिकल कॉलेज हैं. मेडिकल कॉलेज बढ़े हैं तो सीटें भी बढ़ी हैं इसलिए कॉलेज भी बढ़े हैं सीटें भी बढ़ी हैं. 2014 में हमारे देश में एससी छात्रों की MBBS की सीट 7,700 थी. हमने 10 साल काम किया और आज संख्या बढ़कर एससी समाज के 17,000 एमबीबीएस डॉक्टर की व्यवस्था की है और समाज में तनाव लाए बिना. 2014 के पहले एसटी छात्रों के लिए एमबीबीएस की सीटें 3,800 थी. आज ये संख्या बढ़कर लगभग 9,000 हो गई थी. 2014 से पहले ओबीसी के छात्रों के लिए 14 हजार से भी कम सीटें थीं, लेकिन आज इनकी संख्या लगभग 32 हजार हो गई है.

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