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76वें गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ की परेड में एक ऐतिहासिक और भावुक पल

जनता जनार्दन संवाददाता , Jan 26, 2025, 17:21 pm IST
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76वें गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ की परेड में एक ऐतिहासिक और भावुक पल 76वें गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ की परेड में एक ऐतिहासिक और भावुक पल तब देखने को मिला जब इंडोनेशिया की सैन्य टुकड़ी ने शानदार प्रदर्शन किया. उनकी अनुशासित और प्रभावशाली मार्चिंग ने न केवल जनता का दिल जीता बल्कि मोदी सरकार के सभी मंत्री अपनी-अपनी सीटों से खड़े होकर तालियां बजाने लगे. यह पल परेड के सबसे यादगार क्षणों में से एक बन गया.

यह पहली बार था जब इंडोनेशिया की सैन्य टुकड़ी ने भारत के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया. इस दल में इंडोनेशियाई राष्ट्रीय सशस्त्र बल (टीएनआई) के 152 कर्मी शामिल थे जो सेना, नौसेना और वायुसेना की शाखाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. इस ऐतिहासिक भागीदारी ने दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को दर्शाया.

इंडोनेशियाई टुकड़ी ने 'भिन्नेका तुंगगल इका' (विविधता में एकता) के आदर्श को अपने प्रदर्शन के माध्यम से प्रस्तुत किया. अनुशासन और एकता के प्रतीक इस प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. टुकड़ी के हर कदम और तालमेल ने दर्शकों को रोमांचित किया और यह साफ झलक रहा था कि उन्होंने इस प्रदर्शन के लिए कितनी मेहनत की थी.

जब इंडोनेशियाई दल ने कर्तव्य पथ पर अपनी मार्च पूरी की तो मोदी सरकार के सभी मंत्री अपनी सीटों से खड़े हो गए और तालियां बजाकर उनका सम्मान किया. यह पल न केवल भारत और इंडोनेशिया के मजबूत संबंधों का प्रतीक था बल्कि यह भी दिखाता है कि गणतंत्र दिवस परेड कैसे विविधता और वैश्विक सहयोग का मंच बनता है.

इस अवसर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. वह परंपरागत बग्गी में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ कर्तव्य पथ पर पहुंचे. यह गौरव का क्षण था क्योंकि प्रबोवो सुबियांतो चौथे इंडोनेशियाई राष्ट्रपति हैं. जिन्होंने भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लिया. इससे पहले 1950 में इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो ने भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी.

इस परेड ने भारत और इंडोनेशिया के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया. दोनों देशों के बीच साझा मूल्य और आदान-प्रदान के प्रतीक के रूप में यह भागीदारी न केवल कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करती है बल्कि वैश्विक मंच पर विविधता और साझेदारी का संदेश भी देती है.
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