HMPV इंफेक्शन के खिलाफ एंटीबायोटिक दवा काम करेगी या नहीं?
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jan 08, 2025, 18:42 pm IST
Keywords: Antibiotics Effective Against HMPV Antibiotics Effectiv e Against HMPV कर्नाटक एचएमपीवी वायरस
कर्नाटक में एचएमपीवी वायरस की बात करें तो इसमें 3 महीने और 8 महीने के बच्चे शामिल हैं, मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि दोनों बच्चे अच्छी तरह से ठीक हो रहे हैं. 3 महीने के बच्चे को पहले ही छुट्टी दे दी गई है. ये मौजूदा मेडिकल लिट्रेचर के अनुरूप है, जो बताता है कि एचएमपीवी आमतौर पर ज्यादातर वयस्कों में हल्की बीमारी पैदा करता है. हालांकि ये कुछ खास तौर से सेंसिटिव ग्रुप्स के लिए ज्यादा खतरा पैदा करता है, जिनमें 5 साल से कम उम्र के बच्चे, 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग शामिल हैं.
डॉ. विकास मित्तल, डायरेक्टर और पल्मोनोलॉजिस्ट (सीके बिड़ला हॉस्पिटल, दिल्ली) ने बताया कि इन हाई रिस्क वाले ग्रुप्स में, एचएमपीवी ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी गंभीर रिस्पिरेटरी कॉम्पलिकेशंस को जन्म दे सकता है, जिसके लिए ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत हो सकती है. इसके बावजूद, हाई रिस्क कैटेगरी में भी, ज्यादातर मरीज सपोर्टिव ट्रीटमेंट से अच्छी तरह से ठीक हो जाते हैं. एचएमपीवी के लिए मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम है, जिससे ये दूसरे रिस्पिरेटरी वायरस की तुलना में कम चिंताजनक है. फिर भी, चीन में प्रसारित हो रहे मौजूदा एचएमपीवी स्ट्रेन की विषाक्तता और संचरण क्षमता का आकलन करने के लिए निरंतर निगरानी जरूरी है, क्योंकि इसकी गंभीरता और संक्रामकता के बारे में डेटा सीमित है. मौजूदा वक्त में एचएमपीवी के लिए कोई स्पेसिफिक एंटीवायरल ट्रीटमेंट या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. एंटीबायोटिक्स इस वायरस के खिलाफ इफेक्टिव नहीं हैं, क्योंकि वे सिर्फ बैक्टीरियल इंफेक्शन को टारगेट करते हैं. एचएमपीवी का इलाज मुख्य रूप से सपोर्टिव है, जो लक्षणों को मैनेज करने पर फोकस है. हल्के मामलों में आम तौर पर आराम, हाइड्रेशन और राहत के लिए ओवर-द-काउंटर दवाओं की जरूरत होती है. ज्यादा गंभीर मामलों में, खास तौर से ब्रोंकाइटिस या निमोनिया से जुड़े मामलों में, अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो सकती है. जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सप्लीमेंट, इंट्रावीनस फ्लूइड और रिस्पिरेटरी सपोर्ट जैसी सहायक थेरेपी दी जा सकती हैं. एंटीबायोटिक्स सिर्फ तभी प्रिसक्राइब किए जा सकते हैं जब वायरल बीमारी के साथ एक सेकेंडरी बैक्टीरियल इंफेक्शन हो. खास एंटीवायरल दवाओं की कमी को देखते हुए, अच्छी हाइजीन प्रैक्टिस, मास्क पहनने और सांस लेने को लेकर शिष्टाचार बनाए रखने जैसी रोकथाम रणनीतियां ट्रांस्मिशन को कम करने के लिए अहम हैं. जैसे-जैसे चीन से मौजूदा स्ट्रेन के नेचर के बारे में अधिक डेटा सामने आता है, इसके बिहेवियर को समझने और टार्गेट टीटमेंट को विकसित करने के लिए निरंतर निगरानी और रिसर्च जरूरी होगा. जबकि एचएमपीवी हाई रिस्क वाले ग्रुप्स में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, लेकिन उचित सपोर्टिव केयर और निगरानी के साथ इसका ओवरऑल रिस्क लेवल मैनेज करने के लायक बना हुआ है. इसके विकसित हो रहे स्ट्रेन को समझने में कमियों को दूर करने के लिए लगातार सतर्क रहने की जरूरत है. |
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