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लालू प्रसाद यादव की हां और तेजस्वी यादव की न

जनता जनार्दन संवाददाता , Jan 02, 2025, 15:48 pm IST
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लालू प्रसाद यादव की हां और तेजस्वी यादव की न पटना: नए साल में बिहार की राजनीति फिर से गरमाई हुई है. पिछले कुछ दिनों से इसकी गरमाहट महसूस की जा सकती है. कई तरह की कयासबाजियां मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं और दिल्ली से लेकर पटना तक में नई नई कयासबाजियां हो रही हैं. अटकलों का बाजार गर्म है. इन अटकलों को तेजस्वी यादव अपने दोटूक जवाब से ठंडा कर रहे हैं तो अब लालू प्रसाद यादव ने अपने बयान से इसमें गरमाहट ला दी है. एक यूट्यूब चैनल से बातचीत के दौरान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे खुले हुए हैं. वे साथ आते हैं तो हमें कोई गुरेज नहीं है और उनकी सारी गलती माफ कर देंगे. माफ करना ही हमारा फर्ज है. 

नए साल के मौके पर लालू प्रसाद यादव ने कहा, अगर नीतीश कुमार आते हैं तो क्यों नहीं उनको साथ लेंगे. वे साथ में रहें, काम करें. जब उनसे पूछा गया कि नीतीश कुमार अगर आएंगे तो आरजेडी उनसे गठबंधन कर लेगी? इस पर लालू ने कहा, हां. उन्हें हम अपने साथ रख लेंगे और सारी गलती माफ कर देंगे. माफ करना ही हमारा फर्ज है. लालू प्रसाद से जब पूछा गया कि पार्टी में कोई भी नेता कुछ भी बोलें, लेकिन अंतिम फैसला पार्टी सुप्रीमो होने के नाते आप ही लेते हैं. इसपर उन्होंने कहा, हमलोग फैसला लेते हैं लेकिन नीतीश कुमार को शोभा नहीं देता है. वह बार-बार भाग जाते हैं. निकल जाते हैं. अगर वह फिर आएंगे तो रख लेंगे.

लालू प्रसाद यादव के बयान के ठीक उलट नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना है, हमारा स्टैंड क्लीयर है. वे मीडिया में चल रही कयासबाजियों को ठंडा करने के लिए ऐसा बोल दिए हैं. हम तो पहले ही अपनी बात बता दिए हैं. इससे पहले भी नीतीश कुमार को लेकर तेजस्वी यादव का कहना था कि महागठबंधन में उनकी वापसी का सवाल ही पैदा नहीं होता. अब वे चूके हुए नेता हैं और बिहार शासनविहीन हो चुका है. तेजस्वी यादव ने कई बार अपनी बात दोहराई है. तो क्या नीतीश कुमार को महागठब्ंधन में शामिल करने को लेकर लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव में मतभेद हैं. आखिर तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद यादव से इतर कैसे अपना रुख जाहिर कर सकते हैं. तेजस्वी यादव भले ही पार्टी चला रहे हैं पर आज भी लालू प्रसाद यादव ही पार्टी अध्यक्ष हैं. 

उधर, लालू प्रसाद याद के बयान पर केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा, छोड़िए ना लालूजी क्या बोलते हैं क्या नहीं बोलते हैं. लालूजी से कहिए कि हमलोग एनडीए में हैं और मजबूती से एनडीए में ही रहेंगे. कौन क्या बोलता है उस पर प्रतिक्रिया हम देते रहें. बोलने के लिए आजादी है तो कुछ भी बोलते रहें.

नीतीश सरकार में मंत्री महेश्वर हजारी ने इस मामले को और ट्विस्ट करते हुए कहा, राजनीति में कोई भी स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. एनडीए सरकार अच्छे से चल रही है. यह परिस्थिति पर निर्भर करता है. बीजेपी कोटे से मंत्री संतोष कुमार सिंह ने कहा, कौन कहता है दरवाजा खोलने और बंद करने के लिए. दरवाजा खोलते हैं बंद करते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सार्वजनिक मंच से कई बार कह चुके हैं कि एक बार गए थे. गड़बड़ करने लगा, अब कभी नहीं जाएंगे. ये लोगों में भ्रम फैला रहे हैं. लालूजी कहते हैं दरवाजा खुला है. तेजस्वी कहते हैं, दरवाजा बंद हैं. दरवाजा हमेशा के लिए बंद रहे, यही हम चाहते हैं. 

कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा, नीतीशजी गांधीवादी विचारधारा के हैं लेकिन गोडसेवादियों के साथ हैं. उनके टेबल पर हमेशा गांधीजी के विचार लिखे होते हैं. अगर वे गांधीवादियों के साथ आते हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है.

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