2025 में PM मोदी के आगे क्या हैं चुनौतियां?
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jan 01, 2025, 11:41 am IST
Keywords: Explainer 2024 के लोकसभा चुनाव विधानसभा PM मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
साल 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उनकी कुशलता और क्षमता का गवाह बन गया है. इस साल भारतीय जनता पार्टी ने तीन राज्यों में जीत के साथ कार्यकर्ताओं को हौसला बढ़ाया. हालांकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को झटका लगा और साल के अंत में दो बड़े राज्यों में जीत से पार्टी ने शानदार वापसी की. जबकि बीच-बीच में विपक्ष के ज़रिए उठाए गए मुद्दों पर भाजपा बेकफुट पर नजर आई लेकिन आखिर में पीएम मोदी मामलों को अपने हाथ में लेकर पार्टी को मुश्किल समय से निकाल लेते हैं.
फरवरी में अयोध्या में राम मंदिर की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ का प्रोग्राम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और उनकी लंबे समय से बन रही हिंदू गौरव की राजनीति का बड़ा प्रतीक बन गया. प्राण प्रतिष्ठा के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी को चुनावों में शानदार जीत मिलेगी. हालांकि पार्टी 302 से घटकर 240 पर सिमट गई. भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान उत्तर प्रदेश में उठाना पड़ा. हालांकि, एनडीए (NDA) ने टीडीपी और जेडीयू के समर्थन से बहुमत हासिल कर लिया और एक बार देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया. जबकि कांग्रेस ने जबरदस्त बढ़त हासिल करते हुए 99 सीटों पर जीतें हासिल की थीं. हालांकि विपक्षी कांग्रेस ने मोदी की अजेय छवि को चुनौती देने की कोशिश की. राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष सरकार गिराने से केवल 20-30 सीटें दूर था, लेकिन मोदी ने कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन (INDIA) को उनके मुकाबले कमजोर बताया और 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत को अपनी लोकप्रियता के सबूत के तौर पर पेश किया. 2024 का असली मोड़ हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत के साथ आया. इन राज्यों में मिली जीत ने पार्टी को नई ऊर्जा दी. महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'एक हैं तो सेफ हैं' का नारा दिया. पीएम मोदी का यह नारा कांग्रेस के 'संविधान खतरे में है' के अभियान पर भारी पड़ गया और दलित वोटरों के साथ हिंदू वोट बैंक को फिर से मजबूत किया. 2024 में जब विपक्ष जातीय जनगणना और अदानी विवाद के मुद्दों पर मोदी को घेर रहा था, तब उन्होंने इन हमलों को आसानी से बेअसर हमेशा की तरह बेअसर कर दिया. महाराष्ट्र में दलित बहुल क्षेत्रों में बीजेपी की जीत इसका उदाहरण बनी. वर्ष के अंत तक भाजपा ने रणनीतिक रूप से जॉर्ज सोरोस का मुद्दा उठाया था और विपक्ष खासकर गांधी परिवार को विदेशी प्रभाव से जोड़ने की कोशिश की थी. इस नजरिये ने विपक्षी आख्यानों को हावी न होने देने के मोदी के संकल्प को दाहराया. संविधान पर बहस का जवाब देते हुए संसद में मोदी के 105 मिनट लंबे संबोधन से पता चला कि कैसे पीएम अपने तत्व और वास्तविक रूप में वापस आ गए हैं. 2025 की शुरुआत के साथ ही भाजपा अपनी आगे की चुनावी यात्रा में उपलब्धियों पर पीछे हटने की बजाय ज्यादा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है. कई विवादास्पद मुद्दे जैसे 'एक राष्ट्र एक चुनाव', समान नागरिक संहिता और विवादास्पद वक्फ विधेयक राजनीतिक सहमति का इंतजार कर रहे हैं. UCC भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा केंद्र का मुद्दा रहा है लेकिन उसे लागू करवाना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा. हालांकि उत्तराखंड समान नागरिक संहिता के लिए कानून पास कर दिया और यह राज्य देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने UCC लागू कर दिया है. समान नागरिक संहिता एक ऐसा मुद्दा है जिस पर तीखी बहस हुई है और इस पर लोगों की राय अलग-अलग है. साथ ही वक्फ बिल बोर्ड पर भी विवादित जारी है. वक्फ बिल लेकर जेपीसी का गठन किया गया है, जो इस बिल को लेकर सभी पक्षों के साथ चर्चा कर रही है. तीसरा और सबसे बड़ा मसला भाजपा के सामने 'एक देश एक चुनाव है'. यह बिल संसद में पेश कर दिया गया है, साथ ही इसे लोकसभा में वोटिंग के बाद चर्चा के लिए स्वीकार भी कर लिया गया है. |
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