विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सुनाई कूटनीतिक कामयाबी की पूरी कहानी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Dec 03, 2024, 17:37 pm IST
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मौजूदा हालात की जानकारी दी और बताया कि अब हालात बेहतर हैं. इसके साथ ही उन्होंने सीमा पर शांति का पूरा श्रेय सेना को दिया और बताया कि हमारी चीन के साथ बातचीत जारी है. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के संबंध 2020 से असामान्य थे, जब चीन की कार्रवाइयों की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बाधित हुई. सतत कूटनीतिक साझेदारी को दर्शाने वाले हालिया घटनाक्रम ने भारत-चीन संबंधों को कुछ सुधार की दिशा में बढ़ाया है. एस जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में अप्रैल-मई 2020 में चीन के सैनिकों के जमा होने से कई बिंदुओं पर टकराव की स्थिति बनी. हम चीन के साथ इस दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि सीमा मुद्दे पर समाधान के लिए निष्पक्ष और परस्पर स्वीकार्य रूपरेखा पर पहुंचें.
चीन मुद्दे पर लोकसभा में बोलते हुए एस जयशंकर ने कहा कि कूटनीतिक पहल से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हालात सुधरे हैं. दोनों देश हालात सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं और सीमा मुद्दे पर समाधान के लिए निष्पक्ष और परस्पर स्वीकार्य रूपरेखा पर पहुंचें. एलएसी पर अब हालात सामान्य हैं, लेकिन इसके बावजूद हमारी सेना मुस्तैद है. सहमति से ही सीमा पर मसलों का समाधान होगा, लेकिन इसके लिए समझौतों का पालन पूरी तरह से होना जरूरी है. कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा. लोकसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, 'मैं सदन को भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में हाल के कुछ घटनाक्रमों और हमारे समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर उनके प्रभावों से अवगत कराना चाहता हूं. सदन को पता है कि 2020 से हमारे संबंध असामान्य रहे हैं, जब चीनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द भंग हुआ था. हाल के घटनाक्रम जो तब से हमारे निरंतर कूटनीतिक जुड़ाव को दर्शाते हैं, ने हमारे संबंधों को कुछ सुधार की दिशा में स्थापित किया है.' एस जयशंकर ने आगे कहा, 'सदन इस तथ्य से अवगत है कि 1962 के संघर्षों और उससे पहले की घटना के परिणामस्वरूप चीन ने अक्साई चिन में 38,000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है. इसके अलावा, पाकिस्तान ने 1963 में अवैध रूप से 5,180 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र चीन को सौंप दिया, जो 1948 से उसके कब्जे में है. भारत और चीन ने सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दशकों तक बातचीत की है. सीमा विवाद के समाधान के लिए निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य रूपरेखा पर पहुंचने के लिए द्विपक्षीय चर्चा की गई. |
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