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दो साल के न‍िचले स्‍तर पर पहुंची जीडीपी

जनता जनार्दन संवाददाता , Nov 30, 2024, 11:28 am IST
Keywords: Explainer   Q2 GDP Report   What is GDP  
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दो साल के न‍िचले स्‍तर पर पहुंची जीडीपी जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) क‍िसी भी देश की इकोनॉमी को दर्शाता है. 29 नवंबर की शाम को सरकार की तरफ से जारी क‍िये गए आंकड़े में देश की जीडीपी (GDP) ग‍िरकर दो साल के न‍िचले स्‍तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई. जीडीपी में यह ग‍िरावट मैन्‍युफैक्‍चर‍िंग और माइन‍िंग सेक्‍टर में खराब प्रदर्शन कारण देखी गई. हालांकि इसके बावजूद भी भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख इकोनॉमी बना हुआ है. एक साल पहले की समान अवधि में देश की जीडीपी में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. अप्रैल-जून, 2024 की तिमाही में यह 6.7 प्रतिशत रही.

हाल‍िया आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की इकोनॉमी की रफ्तार सुस्‍त होकर 5.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी. इससे पहले जीडीपी वृद्धि का पिछला न‍िम्‍न स्तर फाइनेंश‍ियल ईयर 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4.3 प्रतिशत पर रहा था. जुलाई-सितंबर तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ 4.6 प्रतिशत रही. इतना ही नहीं सितंबर तिमाही में ग्राहक खर्च को दर्शाने वाला पीएफसीई (PFSI) घटकर 6 प्रतिशत पर आ गया. इससे पहले जून तिमाही में यह 7.4 प्रतिशत पर था. आइए जानते हैं जीडीपी क्‍या है और इसमें ग‍िरावट आने के क्‍या मायने हैं?

ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) किसी भी देश में एक साल में उत्‍पाद‍ित होने वाले सामान और सर्व‍िस की कुल वैल्यू को कहा जाता है. इसे आप आसान भाषा में इस तरह भी समझ सकते हैं क‍ि जीडीपी उसी तरह होती है जैसे किसी स्‍टूडेंट की मार्कशीट होती है. ज‍िस तरह छात्र का सालभर का प्रदर्शन उसकी मार्कशीट से पता चलता है उसी तरह जीडीपी से देश की इकोनॉमी का पता चलता है. ज‍िस तरह मार्कशीट से अलग-अलग सब्‍जेक्‍ट के अंक का पता चलता है. उसी तरह जीडीपी से पता चलता है क‍ि क‍िन सेक्‍टर में ग‍िरावट आई या क‍िसमें सही आंकड़ा रहा?

अगर जीडीपी डाटा में ग‍िरावट है तो इसका मतलब हुआ क‍ि देश की इकोनॉमी सुस्त हो रही है. इससे पता चलता है क‍ि देश ने पिछले साल के मुकाबले पर्याप्त सामान का उत्पादन नहीं किया और सर्व‍िस सेक्‍टर में भी गिरावट रही. जब जीडीपी में गिरावट आती है, इसका सीधा सा मतलब है कि देश में उत्पादन कम हो रहा है. इसका असर लोगों की आमदनी, रोजगार और लाइफ स्‍टाइल पर पड़ता है. देश का सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफ‍िस (CSO) साल में चार बार जीडीपी का आकलन क‍िया जाता है. हर तीन महीने पर जीडीपी का आकलन किया जाता है. हर साल भी जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा जारी क‍िया जाता है. भारत के ल‍िए साल दर साल जीडीपी ग्रोथ हास‍िल करना इसल‍िए जरूरी है क्‍योंक‍ि देश की बढ़ती आबादी की जरूरत को पूरा क‍िया जा सके.

आम जनता के लिए जीडीपी इसल‍िए जरूरी है क्योंकि यह सरकार और लोगों के लिए फैसले का अहम फैक्‍टर साब‍ित होती है. जीडीपी बढ़ने का मतलब है क‍ि देश की आर्थिक गतिविधियां अच्छी चल रही हैं और सरकारी पॉल‍िसी जमीनी स्‍तर पर प्रभावी साब‍ित हो रही हैं. आसान भाषा में इसका यही मतलब हुआ क‍ि देश सही दिशा में जा रहा है. लेक‍िन यद‍ि जीडीपी में ग‍िरावट आ रही है तो इसका मतलब यह हुआ क‍ि सरकार को अपनी नीत‍ियों पर फोकस करने की जरूरत है. ताक‍ि इकोनॉमी को पटरी पर लाने में मदद म‍िल सके. जब इकोनॉमी अच्छा प्रदर्शन करती है तो लोग और ज्‍यादा पैसे का निवेश करते हैं और उत्पादन बढ़ाते हैं. लेक‍िन जीडीपी में ग‍िरावट से लोग पैसा बचाना शुरू कर देते हैं. ऐसे में सरकार ज्‍यादा खर्च को बढ़ावा देने के ल‍िए लोगों को अलग-अलग योजनाओं के जर‍िये पैसा देती है. ताकि वे ज्‍यादा खर्च करें और आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा मिले.

जीडीपी में ग‍िरावट का कारण मैन्‍युफैक्‍चर‍िंग, माइन‍िंग और सर्व‍िस सेक्‍टर का न‍िगेट‍िव प्रदर्शन रहा. फाइनेंश‍ियल, रियल एस्टेट और पेशेवर सर्व‍िस की वृद्धि दर में इजाफा हुआ और यह बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो गई, जो क‍ि एक साल पहले की तिमाही में 6.2 प्रतिशत थी. बिजली, गैस, जल-आपूर्ति और अन्य जन केंद्रित सेवाओं में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, यह एक साल पहले की 10.5 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले काफी कम है. निर्माण क्षेत्र ने दूसरी तिमाही में 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले साल की समान तिमाही के 13.6 प्रतिशत से कम है.

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्‍वरन ने इकोनॉमी के इन आंकड़ों पर कहा, 'जीडीपी वृद्धि का 5.4 प्रतिशत होना इसके निचले स्तर को द‍िखा रहा है, जो क‍ि निराशाजनक है. लेकिन इनमें कुछ अच्‍छा भी है.' उन्होंने कहा कि कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्र और निर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन इस तिमाही में काफी अच्छा रहा है. एनएसओ (NSO) के आंकड़ों के मुताबिक, कृषि क्षेत्र का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) पिछली तिमाही में 3.5 प्रतिशत रहा जो एक साल पहले की समान अवधि में 1.7 प्रतिशत था. 
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