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झांसी के मेडिकल कॉलेज में इतने बच्चे झुलस गए?

जनता जनार्दन संवाददाता , Nov 16, 2024, 11:29 am IST
Keywords: NICU   What Is NICU   ऑक्सीजन कंसंट्रेटर   सचिन मोहर   झांसी   चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट  
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झांसी के मेडिकल कॉलेज में इतने बच्चे झुलस गए? यूपी के झांसी शहर में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में बीते शुक्रवार को रात में भीषण आग लग गई, जिसके कारण 10 नवजात की मौत हो गई. ये आग एनआईसीयू में लगी. झांसी के चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट (CMS) सचिन मोहर ने बताया है कि ये वारदात ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लगने से हुई है, एनआईसीयू वार्ड में 54 बच्चे एडमिट थे. क्या आप जानते हैं कि एनआईसीयू किसे कहते हैं.

जब बच्चे का जन्म वक्त से पहले होता है, और उन्हें सेहत से जुड़ी कई परेशानियां होती हैं, या फिर बर्थ के टाइम कॉम्पलिकेशंस होते हैं तो उन्हें हॉस्पिटल के एनआईसीयू वॉर्ड में ट्रांसफर किया जाता है. इसका फुल फॉर्म है 'नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट' (Neonatal Intensive Care Unit) यानी 'नवजात गहन चिकित्सा इकाई'. यहां एक्सपर्ट टीम चौबीसों घंटे बच्चों की देखभाल में लगी रहती है. इनमें से ज्यादातर बच्चे पैदाइश के 24 घंटों के भीतर एनआईसीयू वॉर्ड में जाते हैं. वो यहां कितने वक्त तक रहते हैं, ये उनके हेल्थ कंडीशन पर डिपेंड करता है. कुछ नवजात कुछ घंटे या दिन के लिए यहां रहते हैं, वही कुछ हफ्ते या महीनों तक रहते हैं.

पैरेंट्स NICU में अपने बच्चों से मिलने जा सकते हैं और समय भी बिता सकते हैं. परिवार के दूसरे सदस्य भी मिलने जा सकते हैं, लेकिन सिर्फ निर्धारित समय के दौरान और एक वक्त में सिर्फ कुछ ही लोगों को अंदर जाने की इजाजत होती है. अगर NICU में कोई छोटा बच्चा आना चाहता है, तो वो बीमार नहीं होना चाहिए और उनका सारा वैक्सीनेशन हो चुका हो. कुछ यूनिट्स में विजिटर्स को अस्पताल के गाउन पहनने की जरूर होती है. आपको दस्ताने और मास्क पहनने को भी कहा जा सकता है. ताकि वॉर्ड को साफ रखा जा सके और नवजात किसी तरह के कीटाणुओं के संपर्क में न आए.

1. इंफैंट वार्मर

ये छोटे बिस्तर होते हैं जिन पर हीटर लगे होते हैं ताकि निगरानी के दौरान बच्चे गर्म रहें. चूंकि ये खुले होते हैं, इसलिए इन पर बच्चे आसानी से पहुंच सकते हैं.

2. इनक्यूबेटर

ये छोटे बिस्तर होते हैं जो पारदर्शी, सख्त प्लास्टिक से घिरे होते हैं.  इनमें टेम्प्रेचर कंट्रोल किया जाता है, ताकि आपके बच्चे के शरीर का तापमान जितना होना चाहिए, वहीं रहे. डॉक्टर, नर्स और दूसरे केयरटेकर्स इनक्यूबेटर के किनारों में छेद के जरिए बच्चों की देखभाल करते हैं.

3. फोटोथेरेपी

कुछ बच्चों को जन्म के समय जॉन्डिस नामक बीमारी हो जाती है, जिससे त्वचा और आंखों का सफेद हिस्सा पीला हो जाता है. फोटोथेरेपी से पीलिया का इलाज होता है. ट्रीटमेंट के दौरान, बच्चे एक खास लाइट थेरेपी वाले कंबल पर लेटते हैं और उनके बिस्तर या इनक्यूबेटर पर रोशनी लगी होती है. ज्यादातर बच्चों को सिर्फ कुछ दिनों के लिए फोटोथेरेपी की जरूरत होती है.

 

4. मॉनिटर्स

ये नर्सों और डॉक्टर्स को NICU में किसी भी जगह से आपके बच्चे के अहम इशारे (जैसे टेम्प्रेचर, हार्ट रेट और सांस लेना) पर नजर रखने देते हैं

 

5. फीडिंग ट्यूब

अक्सर प्रीमैच्योर बेबीज या बीमार बच्चे शुरुआत स्तनपान नहीं कर सकते या बोतल से फीड नहीं कर सकते. अगर ये मुमकिन भी हो फिर भी ग्रो करने के लिए उन्हें एक्सट्रा कैलोरी की जरूरत होती है. इन बच्चों को फीडिंग ट्यूब के जरिए से न्यूट्रीशन (फ़ॉर्मूला या ब्रेस्ट मिल्क) दिया जाता है.

6. वेंटिलेटर्स
कई बार नवजात बच्चों को बेहतर तरीके से सांस लेने के लिए एक्सट्रा हेल्प की जरूरत पड़ती है, ऐसे में वेंटिलेटर्स काफी काम आते हैं.

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