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पूर्व क्रिकेटर संजय बांगड़ के बेटे ने कराया सेक्स चेंज

जनता जनार्दन संवाददाता , Nov 11, 2024, 18:26 pm IST
Keywords: National Institutes of Health   HRT   What Is Hormone Replacement    Therapy   हार्मोनल ट्रास्फॉर्मेशन  
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पूर्व क्रिकेटर संजय बांगड़ के बेटे ने कराया सेक्स चेंज संजय बांगड़ की बेटी अनाया ने सोशल मीडिया पर खुलकर इस बात को स्वीकार किया है कि वो कैसे हार्मोनल ट्रास्फॉर्मेशन से गुजरी हैं. पैदाइश के वक्त वो लड़का थी, पैरेंट्स ने उनका नाम आर्यन रखा था. हालांकि साल 2023 में उन्होंने हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी )  कराया जिससे उसकी पहचान पूरी तरह बदल गई. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि एचआरटी (HRT) क्या है और लोग सेक्स चेंज क्यों कराते हैं?

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT), जिसे जेंडर-अफर्मिंग हार्मोन थेरेपी (GAHT) भी कहा जाता है, एक मेडिकल ट्रीटमेंट है जो ट्रांसजेंडर लोगों को उनकी शारीरिक विशेषताओं को उनकी जेंटर आइडेंटिटी के साथ अरेंज करने में मदद करता है. ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए, हार्मोन थेरेपी का मकसद फैट डिस्ट्रीब्यूशन को बदलकर, ब्रेस्ट डेवलपमेंट को बढ़ावा देकर और मेल-पैटर्न हेयर ग्रोथ को कम करके ज्यादा फीमेल अपीयरेंस देता है.

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी में मुख्य रूप से एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन या दोनों का कॉम्बिनेशन शामिल होता है. जिन महिलाओं ने हिस्टेरेक्टॉमी  करवाई है, उनके लिए अक्सर एस्ट्रोजन थेरेपी अकेले ही निर्धारित की जाती है, क्योंकि प्रोजेस्टेरोन मुख्य रूप से गर्भाशय की परत को संभावित कैंसर के रिस्क से बचाने के लिए जरूरी है.

जिन महिलाओं का गर्भाशय अभी भी है, उनके लिए एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए कंबाइंड हार्मोन थेरेपी की आमतौर पर सिफारिश की जाती है. हार्मोन को अलग-अलग तरीकों से एडमिनिस्टर किया जा सकता है, जैसे कि दवाइयां, पैच, जैल, क्रीम या यहां तक कि इमप्लांट, जो निजी जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर लचीलापन देते हैं.

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का ड्यूरेशन हर किसी की जरूरतों और हेल्थ टारगेट के हिसाब से अलग-अलग होता है. कई लोगों के लिए, लक्षणों से राहत कुछ हफ्तों में ही मिलनी शुरू हो जाती है, हालांकि इसके पूरे असर को महसूस करने में 3 महीने तक का वक्त लग सकता है.

मेनोपॉज के लक्षणों को मैनेज करने के लिए अक्सर शॉर्ट टर्म एचआरटी की सलाह दी जाती है, जो आमतौर पर 1 से 5 साल तक रहता है. हालांकि, कुछ लोगों को लगातार लक्षणों और हेल्थ फैक्टर्स के बेस पर, क्लोज मेडिकल सुपरविजन के तहत लंबे वक्त तक ट्रीटमेंट की जरूरत हो सकती है. एचआरटी का आइडियल लेंथ और टाइप को किसी हेल्थकेयर प्रोवाइडर के साथ निर्धारित किया जाना चाहिए ताकि किसी भी संभावित खतरे के साथ फायदों को बैलेंस किया जा सके, जिससे हर शख्स के लिए सेफ्टी सुनिश्चित की जा सके.

लोग सेक्स चेंज क्यों कराते हैं?

अब सवाल उठता है कि आखिर सेक्स चेंज कराया ही क्यों जाता है? कुदरत ने जिस जेंडर में पैदा किया उससे परेशानी क्या है? लिंग परिवर्तन का गहरा और निजी होता है, जो किसी इसान की इमोशनल, मेंटल, और सोशल नीड से जुड़ा होता है.

1. जेंडर डिस्फोरिया
इसमें किसी शख्स को अपने जन्म से निर्धारित लिंग और अपनी असल पहचान के बीच एक गहरा फर्क महसूस होता है. ये अंतर उस इंसान में बेचैनी, टेंशन और डिप्रेशन पैदा कर सकता है. इसलिए, कई लोग सर्जरी या हार्मोन थेरेपी के जरिए अपने फिजिकल अपीयरेंस को अपनी अंदरूनी पहचान से मिलाने की कोशिश करते हैं. ऐसा समझ लीजिए कि कोई पैदा तो लड़के के तौर पर हुआ है, लेकिन अंदर से वो लड़की जैसा महसूस करता है, ऐसे में वो सेक्स चेंज का सहारा लेता है.

2. सोशल एक्सेप्टेंस
पहले के मुकाबले अब सोशल अवेयरनेस काफी बढ़ गया है, जिसकी वजह से समाज में इसको लेकर एक्सेप्टेंस भी ज्यादा देखने को मिल रहा है. पहले इस तरह की बातों का जिक्र करना भी मुश्किल था, लेकिन अब लोग खुलकर सेक्स चेंज कराते हैं और शर्मिंदगी भी महसूस नहीं करते.

3. आइडेंटिटी चेंज
कई लोगों के अतीत में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जिसे वो भुलाना तो चाहता है, लेकिन मौजूदा पहचान की वजह से वो पहचान बार-बार उजागर होती है. ऐसे में अगर कोई सेक्स चेंज करता है तो आइडेंटिटी बदल जाती है और पास्ट को भुलाना आसान हो जाता है.

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