मंगल को बाजार में अमंगल... निवेशकों के 9 लाख करोड़ रुपये खाक
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Oct 22, 2024, 18:37 pm IST
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भारतीय शेयर बाजार में जारी गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. लगातार सेंसेक्स टूटता जा रहा है. मंगलवार को भी शेयर बाजार में बिकवाली हावी रही. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही गिरावट के साथ बंद हुए. सेंसेक्स 30 अंक और निफ्टी 303 अंक तक गिरकर बंद हुआ. इस गिरावट से निवेशकों को 9 लाख करोड़ खास कर दिए. स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स 4 फीसदी तक गिर गए हैं.
भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को भारी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स और निफ्टी कारोबार के अंत में लाल निशान में बंद हुए. पीएसयू बैंक, मेटल और रियल्टी सेक्टर में भारी बिकवाली देखने को मिली. शेयर बाजार में भारी गिरावट के कारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप करीब 9 लाख करोड़ रुपये कम होकर 445 लाख करोड़ रुपये रह गया है. सेंसेक्स कारोबार के अंत में 930.55 अंक या 1.15 प्रतिशत की भारी गिरावट के बाद 81,151.27 पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 309.00 अंक या 1.25 प्रतिशत गिरने के बाद 24,472.10 पर बंद हुआ. निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स कारोबार के अंत में 1503.65 अंक या 2.61 प्रतिशत फिसलने के बाद 56,174.05 पर लाल निशान में बंद हुआ. निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 736.40 अंक या 3.92 प्रतिशत गिरने के बाद 18,061.00 पर बंद हुआ. निफ्टी बैंक 705.55 अंक या 1.36 प्रतिशत गिरने के बाद 51,257.15 पर बंद हुआ. निफ्टी के ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फिन सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, प्राइवेट बैंक, इंफ्रा, कमोडिटी सेक्टर में बिकवाली देखने को मिली. बीएस) पर 576 शेयर्स हरे, 3,407 शेयर्स लाल निशान पर कारोबार कर रहे थे.वहीं, 75 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए. सेंसेक्स पैक में आईसीआईसीआई बैंक और भारती एयरटेल को छोड़कर सभी बड़े शेयर लाल निशान पर कारोबार करते हुए बंद हुए हैं. निफ्टी पैक में बीएचईएल, कोल इंडिया, एम एंड एम, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, एसबीआई और हिंडाल्को टॉप लूजर्स रहे. वहीं, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक और भारती एयरटेल टॉप गेनर्स रहे. क्यों गिर रहा भारत का शेयर बाजार बाजार के जानकारों के अनुसार आज घरेलू बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच मंदी का माहौल हावी रहा, जिसमें छोटे और मध्यम आकार के शेयरों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. हाल ही में अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में हुई तेज वृद्धि से अमेरिकी फेड द्वारा दरों में आक्रामक कटौती की उम्मीद कम होने का संकेत मिलता है, जिससे ईएम में फंड प्रवाह भी प्रभावित हुआ है अल्पावधि में आय वृद्धि के सुस्त रुझानों के कारण यह मंदी का दृष्टिकोण बना रह सकता है. |
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