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16 जुलाई को लैब रिपोर्ट में सामने आया कि एक फर्म के घी में मिलावट है.
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22 जुलाई को मंदिर ट्रस्ट की एक बैठक हुई.
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23 जुलाई को घी के सैंपल फिर से गहन जांच के लिए भेजे गए.
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18 सितंबर को इस सैंपल की रिपोर्ट आई. रिपोर्ट में घी के अंदर जानवरों की चर्बी मिले होने का शक जताया गया.
यानी तिरुपति देवस्थानम् में प्रसादम के नाम पर जानवरों की चर्बी खिलाई जा रही था. हिंदुओं के साथ इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है. रिपोर्ट आने से पहले तक ट्रस्ट के लोगों को प्रसाद की खराब क्वालिटी पर शक तो था, लेकिन वो आवाज़ नहीं उठा पाए, क्योंकि उन पर ऊपर का दबाव था. सवाल है वो कौन लोग थे, जिनके इशारे पर प्रसाद में चर्बी मिलाई गई.
अब मंदिरों में भी नहीं कर सकते भरोसा?
तिरुपति के प्रसाद में चर्बी मंदिरों के भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण है. सोचिए कि अब तो देश के हिंदू, देवस्थानों पर भी भरोसा नहीं कर सकते. मंदिरों की जिम्मेदारी जिन पर है, वो तो भक्तों को जानवरों की चर्बी चटा रहे हैं.
जिस वक्त तिरुपति के भक्त प्रसाद को सिर माथे से लगाते होंगे, उस वक्त चर्बी के सप्लायर राक्षसी अट्टाहस करते होंगे. वो सोचते होंगे कि देखो ये मूर्ख मरे हुए जानवर की चर्बी में दैवीयता तलाश रहा है.
यही तो हुआ है तिरुपति में सालाना आने वाले 3 करोड़ से ज्यादा भक्तों के साथ. तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में हुई मिलावट, भ्रष्टाचार के एक बड़े खेल का हिस्सा है. जानवरों की चर्बी केवल हिंदू धर्म को अपमानित करने के लिए ही नहीं, बल्कि लालच की वजह से मिलाई गई। इस खेल की शुरुआत तभी हो गई थी, आंध्र प्रदेश में दूध की कीमतें बढ़ी थीं.
नंदिनी घी की सप्लाई करता था KMF
पिछले 5 दशकों से कर्नाटक कॉपरेटिव मिल्क फेडरेशन तिरुपति ट्रस्ट को शुद्ध देसी घी दे रहा था. दूध की कीमतें बढ़ीं तो जुलाई 2023 में KMF ने कम रेट पर घी देने से इनकार किया. KMF ही मंदिर ट्रस्ट को मशहूर नंदिनी घी सप्लाई करता था. तत्कालीन जगन मोहन रेड्डी सरकार ने KMF का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया. सबसे कम बोली लगाने वाली 5 फर्मों के घी का टेंडर दे दिया गया.
हालांकि नई फर्मों के घी को लेकर लगातार शिकायतें आती रहीं. इसको लेकर पिछले वर्ष अगस्त में राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया था.
अगस्त 2023 में KMF के अध्यक्ष भीमा नाइक ने आरोप लगाया कि मंदिर ट्रस्ट कम गुणवत्ता का घी खरीद रहा है.
तब किसी ने नहीं खोला था मुंह
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के तत्कालीन अधिकारी एवी धर्म रेड्डी ने आरोपों को खारिज किया था और ई-टेंडर प्रक्रिया का हवाला दिया था.
हालांकि घी की क्वालिटी को लेकर तब कुछ नहीं कहा गया था. दरअसल सभी को अंदरखाने में पता था कि घी की क्लाविटी कुछ खराब हुई है, और इस वजह से लड्डू के स्वाद और गुणवत्ता पर असर पड़ा है.
तिरुपति बालाजी मंदिर का ट्रस्ट हर साल 5 लाख किलो घी खरीदता है. हर दिन 1 से डेढ़ लाख लड्डू तैयार किए जाते हैं. इससे आप समझ सकते हैं कि घी का इस्तेमाल कितने बड़े पैमाने पर होता है. ये भी तय है दूध की बढ़ती कीमतों की वजह से घी की कीमतें भी बढ़ी होंगी. ऐसे KMF के बजाए कम बोली लगाने वाले फर्म, बिना मिलावट के घी दे पा रही हों, इससे संदेह है.
नायडू ने फिर नंदिनी को दिया टेंडर
जुलाई में जब सैंपल में गड़बड़ी पाई गई थी, तो चंद्रबाबू नायडू सरकार ने 29 अगस्त को दोबारा से KMF को नंदिनी घी की सप्लाई टेंडर दे दिया था. यानी अभी फिलहाल तिरुपति में जो लड्डू मिल रहा है, उसकी शुद्धता पर भरोसा किया जा सकता है.
तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी की खबर ने करोड़ों हिंदुओं को हैरान कर दिया है, जो स्थान धर्म के ध्वज वाहक होते हैं, वहां धर्म को पथभ्रष्ट करने की साजिश हुई है. देशभर के साधु संत इसको लेकर गुस्से से भर गए हैं. घी में चर्बी की मिलावट की साजिश करने वालों के लिए सख्त से सख्त सजा की मांग की जा रही है. सिर्फ यहीं नहीं, धर्म गुरू तिरुपति मंदिर ट्रस्ट को सरकारी नियंत्रण बाहर करने की मांग कर रहे हैं.