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दिल दहला देगी इस मेडल विनर की कहानी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Sep 04, 2024, 18:58 pm IST
Keywords: Paralympic 2024 मेहनत और लगन दीप्ति जीवंजी
![]() दीप्ति की मां बताती हैं कि उनका जन्म सूर्यग्रहण के दिन हुआ था, जिसका प्रभाव दीप्ति पर पड़ा और वे बौद्धिक रूप से कमजोर थीं. गांव के लोग उन्हें 'पिछी कोठी' इसे आसान भाषा में समझें तो 'मेंटल मंकी' कहकर बुलाने लगे. इसका गहरा प्रभाव दीप्ति पर देखने को मिलता था और वे अकेले में रोया करती थीं. इतना ही नहीं, उनकी मां को कई लोगों ने उन्हें पागल बताकर अनाथालय भेजने की तक सलाह दे डाली. लेकिन बोलने वालों को क्या पता था कि एक दौर आएगा जब दीप्ति उन्हीं लोगों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर देंगी. दीप्ति जीवंजी के शरीर की बनावट बाकी लोगों से काफी अलग थी. बचपन से ही उनका सिर सामान्य बच्चों की तुलना में काफी छोटा था. वहीं, नाक और होंठों का आकार भी काफी अलग था. जिसके चलते उन्हें गांव के लोग'पिछी कोठी' कहकर परेशान करते थे. लेकिन आज वे दीप्ति के कसीदे पढ़ रहे हैं. दीप्ति का घर वारंगल जिले के कल्लेडा गांव में है. दीप्ति के मां जीवंजी धनलक्ष्मी बताती हैं कि उनके घर की स्थिति काफी खराब थी. उनके ससुर के निधन के बाद हालात खराब होते गए. जिसके चलते दीप्ति के पिता जीवंजी यादगिरी को कुछ खेत भी बेचने पढ़ गए. लेकिन आज दीप्ति ने अपनी बनावट को रोढ़ा न बनाते हुए सभी की थकी आंखों को सुकून दे दिया है. |
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