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यूनुस सरकार ने हटाया जमात-ए-इस्लामी पार्टी से बैन

जनता जनार्दन संवाददाता , Aug 29, 2024, 15:58 pm IST
Keywords: Bangladesh News   Bangladesh   जमात-ए-इस्लामी पार्टी    शेख हसीना   Jamaat-e-Islami Party  
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यूनुस सरकार ने हटाया जमात-ए-इस्लामी पार्टी से बैन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी और इसकी छात्र इकाई इस्लामी छात्र शिबिर से प्रतिबंध हटा दिया. गृह मंत्रालय ने एक गजट नोटिफिकेशन में कहा कि यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू होगा.  पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था.

आवामी लीग सरकार ने एक अगस्त, 2024 को जमात पर प्रतिबंध लगाया था. पार्टी पर चरमपंथी एवं आतंकवादी संगठन होने का आरोप लगाया गया था.

सरकार का आरोप था कि जमात की छात्र इकाई ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर आंदोलन भड़काया है.

गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में कहा गया कि आतंकवाद निरोध कानून, 2009 के तहत लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया गया है क्योंकि संगठन के खिलाफ कोई खास सबूत नहीं है.

प्रतिबंध हटाए जाने के बाद जमात-ए-इस्लामी को अपनी गतिविधियां फिर शुरू करने का रास्ता मिल गया. जमात-ए-इस्लामी पर 2013 से तब से चुनावों में भाग लेने पर रोक है, जब आयोग ने उसका पंजीकरण रद्द कर दिया था और उच्च न्यायालय ने इस निर्णय को बरकरार रखा था. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि पार्टी ने धर्मनिरपेक्षता का विरोध करके संविधान का उल्लंघन किया है.

जमात ने 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता का विरोध किया और मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों का साथ दिया था. अविभाजित भारत में 1941 में स्थापित जमात पर पहली बार 1972 में प्रतिबंध लगाया गया था. उस साल बांग्लादेश ने अपना संविधान बनाया था, जिसने धर्म के आधार पर किसी भी संघ, संघ या राजनीतिक दल के कामकाज को खत्म कर दिया था.

लेकिन जनरल जियाउर रहमान के नेतृत्व वाली बाद की सैन्य सरकार ने मार्शल लॉ उद्घोषणा जारी करके प्रतिबंध हटा दिया. इससे जमात को फिर से उभरने की अनुमति दी. जमात वर्षों बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री खालिदा जिया की 2001-2006 की चार-पक्षीय गठबंधन सरकार का एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गई.  जमात के दो वरिष्ठ नेताओं को उनके मंत्रिमंडल में शामिल किया गया.

जमात अपना पंजीकरण खोने और अदालती फैसलों के कारण चुनावों से प्रतिबंधित होने के बावजूद सक्रिय रही.

अंतरिम सरकार के विधि सलाहकार आसिफ नजरुल ने बुधवार को कहा कि वह तब तक अवामी लीग या किसी अन्य राजनीतिक दल पर प्रतिबंध की मांग का विरोध करेंगे जब तक कि आतंकवादी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता का कोई ठोस सबूत न हो.

नजरुल ने कहा कि अवामी लीग पार्टी ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया. अलग-अलग लोकतांत्रिक आंदोलनों में योगदान दिया. हालांकि पिछले 15 साल में उन्होंने जो किया वह उनकी विरासत, मुक्ति संग्राम की भावना के अनुरूप नहीं है.

विधि सलाहकार ने कहा कि पार्टी ने बांग्लादेश के इतिहास में 'सबसे बर्बर फासीवाद' स्थापित किया, जिसके लिए किसी व्यक्ति या उसके नेताओं की सामूहिक जिम्मेदारी हो सकती है लेकिन मुझे नहीं लगता कि एक राजनीतिक पार्टी के रूप में इसे प्रतिबंधित करना एक बुद्धिमानी भरा निर्णय होगा.

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