Tuesday, 17 September 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

अचानक तेल, अनाज और धातु क्यों जमा कर रहा है चीन?

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 27, 2024, 12:10 pm IST
Keywords: China News   China Stockpiling Resources   प्राकृतिक गैस सहित ईंधन के भंडार   तांबा   लौह अयस्क   
फ़ॉन्ट साइज :
अचानक तेल, अनाज और धातु क्यों जमा कर रहा है चीन? चीन तेजी से महत्वपूर्ण सामग्रियों का भंडारण कर रहा है, जिस पर अब दुनिया का ध्यान जाने लगा है. न्यूजवीक के मुताबिक सामग्रियों में कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस सहित ईंधन के भंडार, तांबा, लौह अयस्क और कोबाल्ट जैसी मूल्यवान मैन्युफैक्चरिंग और विशेष रूप से सोना जैसी कीमती धातुएं शामिल हैं.

द इकोनॉमिस्ट ने कहा कि यह सब ऐसे समय में हो रहा है, 'जब वस्तुएं महंगी हैं' और चीन के सामने मौजूद आर्थिक समस्याओं को देखते हुए, 'यह बढ़ती खपत को भी प्रतिबिंबित नहीं करता है.

इससे यह सवाल उठता है कि चीन बड़ी मात्रा में चीजों को जमा करने में लगा है? क्या यह एक 'रक्षात्मक उपाय' है या भविष्य में भविष्य बीजिंग कोई आक्रमक कार्रवाई कर सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने सरकारी तेल कंपनियों को अपने भंडार में "लगभग 60 मिलियन बैरल" कच्चा तेल जोड़ने और सरकारी स्वामित्व वाली कृषि भंडार कंपनी सिनोग्रेन को अपने अनाज आयात को बढ़ाने के लिए कहना शामिल है.

कितना भंडारण किया जा रहा है, इसका पता लगाना मुश्किल है. चीनी सरकार अपने आपातकालीन भंडारण के बारे में सूचनाओं पर कड़ी निगरानी रखती है जिससे 'इसके भंडार के स्तर का अनुमान लगाना या ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है.

जब भी कोई देश जरूरी सामग्रियों को जमा करने लगता है तो इसका सबसे खतरनाक कारण युद्ध की संभावना है. संघर्ष का मतलब है कि सामग्रियों का आयात और उन तक पहुंच प्रतिबंधित हो जाती है.

चीन में मौजूदा भंडारण उपायों ने 'कुछ विश्लेषकों को यह अनुमान लगाने के लिए प्रेरित किया है' कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान पर आक्रमण की योजना बना रहे हैं. गौरतलब है कि चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और उसका कहना है कि इसे पाने के लिए वह ताकत इस्तेमाल करने परहेज नहीं करेगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों के बीच ऐसी चर्चा है कि चीनी राष्ट्रपति चाहते हैं कि उनकी सेनाएं 2027 तक ताइवान पर हमला करने के लिए तैयार रहें. हालांकि, 'इस खतरे की वास्तविकता पर' मतभेद हैं. लेकिन चीन अभी भी 'उस लिमिट से कहीं ज़्यादा संसाधनों का भंडारण कर रहा है जिसे शांति काल के दौरान सामान्य माना जाता है.'

एक थ्योरी यह कहती है कि चीन आगे की आर्थिक मंदी के लिए तैयारी कर रहा है, और इसलिए वह विशेष रूप से 'पश्चिमी सप्लाई से खुद को दूर करना' चाहता है. वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) ने कहा कि यह 'कठोर निर्यात प्रतिबंधों' का सामना करने के लिए है, खासकर अगर डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस पर फिर से कब्ज़ा कर लेते हैं.

इसके अलावा और भी वैकल्पिक व्याख्याएं की जा रही है जैसे कि चीन 'प्रतिस्पर्धियों पर लाभ उठाने' या 'बाजार पर नियंत्रण' हासिल करने की कोशिश कर सकता है. यह भी संभावना है कि वह प्रोपेगेंडा के साथ 'युद्ध के अंतर्राष्ट्रीय भय को भड़का रहा है.'

चीन के चीजें जमा करने का असर क्या होगा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन की हरकतें चिंता का विषय हैं. हाल के वर्षों में इसके सैन्य विस्तार और ताइवान के साथ लगातार बढ़ते तनाव को देखते हुए, 'एक लंबे संघर्ष में जीवित रहने के लिए अपनी ज़रूरत के हिसाब से हथियारों का भंडारण करना खतरे की घंटी बजा रहा है.'

आर्थिक रूप से, कुछ उद्योगों के लिए भंडारण 'एक आशीर्वाद और एक अभिशाप' हो सकता है. अभी के लिए, कुछ कंपनियां और बाजार व्यापक बिक्री कर रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही 'दीर्घकालिक जोखिम कई गुना बढ़ रहे हैं', और भंडारण अंततः 'बिक्री वृद्धि को कम कर सकता है.'

इस बात के भी संकेत हैं कि चीन अमेरिका से खुद को दूर करने के लिए और कदम उठा रहा है. टेलीग्राफ के मुताबिक इस साल की शुरुआत में भारी मात्रा में सोना खरीदने के साथ-साथ चीन 'अमेरिकी सरकार के कर्ज की अपनी होल्डिंग्स को बेच रहा हैृ ताकि पश्चिम के साथ संघर्ष की स्थिति में डॉलर प्रतिबंधों से खुद को बचा सके. यह यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की प्रतिक्रिया में हो सकता है.

वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल