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नेपाल में गिरी चीन के चहेते प्रचंड की सरकार, साबित नहीं कर पाए विश्वासमत

नेपाल में गिरी चीन के चहेते प्रचंड की सरकार, साबित नहीं कर पाए विश्वासमत नेपाल में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की सरकार गिर गई है. संसद में शुक्रवार को प्रचंड विश्वासमत साबित नहीं कर पाए. 10 दिन पहले ही उनकी सहयोगी पार्टियों कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनिस्ट ने अपना समर्थन वापस ले लिया था. विश्वासमत के दौरान प्रचंड को 63 वोट मिले, जबकि 194 उनके विरोध में रहे. प्रचंड को चीन का करीबी माना जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दहल को संसद के आधे से ज्यादा सदस्यों का समर्थन नहीं मिला. विश्वासमत में हार का मतलब है कि 69 साल के नेता को अब 19 महीने की सरकार चलाने का बाद पद छोड़ना होगा.

275 सदस्यों वाली नेपाल की संसद में विश्वासमत हासिल करने के लिए 138 वोटों की जरूरत पड़ती है. नेपाल कांग्रेस से समर्थन वाले सीपीएन-यूएमएल के चेयरमैन केपी शर्मा अब नए प्रधानमंत्री होंगे. 

प्रचंड दिसंबर 2022 में नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे और तब से लेकर अब तक का उनका कार्यकाल उतार-चढ़ाव भरा रहा. सरकार में उनके सहयोगी दल बदलते रहे. पिछले 4 विश्वासमत प्रचंड ने जीते. लेकिन इस बार उनकी सरकार गिर गई. वह 1 साल 6 महीने तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे. सीपीएन (यूएमएल) ने पिछले हफ्ते दहल से समर्थन वापस ले लिया और नेपाल कांग्रेस के साथ गठबंधन बना लिया. इसके बाद दहल सरकार अल्पमत में आ गई और उसे विश्वासमत साबित करने के लिए बुलाया गया. लेकिन दहल ऐसा नहीं कर पाए. 

बता दें कि दहल का प्रधानमंत्री के तौर पर यह तीसरा कार्यकाल था. उनके माओवादी समूह ने साल 2006 में हथियार और विरोध का रास्ता छोड़कर राजनीति में आने का फैसला किया था. 1996 से लेकर 2006 तक दहल हिंसक माओवादी कम्युनिस्ट विद्रोह के अगुवा रहे. इस दौरान करीब 17000 लोग मारे गए थे और कई लोगों के बारे में कोई जानकारी मौजूद नहीं है. 

जैसे ही स्पीकर देवराज घिमिरे ने प्रचंड सरकार गिरने का ऐलान किया तो सदस्य ओली को बधाई देने लगे. ओली और नेपाली कांग्रेस के चीफ शेर बहादुर देउबा संयुक्त रूप से जल्द ही दोनों पार्टियों के सांसदों के समर्थन के साथ राष्ट्रपति राम चंद्र पौडल से मुलाकात कर सरकार बनाने और ओली को नया प्रधानमंत्री बनाने का दावा पेश करेंगे. दोनों पार्टियों के पास मिलाकर संसद में 167 सांसदों का समर्थन है. गठन के 30 दिनों के भीतर ही नई सरकार को बहुमत साबित करना होगा.
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