अब NCERT की 11वीं की किताब में किया गया ये बदलाव
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jun 17, 2024, 16:36 pm IST
Keywords: Class 11 Political Science एनसीईआरटी वोट बैंक की राजनीति पॉलिटिकल साइंस अल्पसंख्यक
एनसीईआरटी (NCERT) ने बाबरी विध्वंस और रथयात्रा को लेकर अपने सिलेबस में बड़ा बदलाव किया है. विभाग ने 12वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से भगवान राम से लेकर बाबरी मस्जिद, रथयात्रा, कारसेवा और विध्वंस के बाद की हिंसा की जानकारी को हटा दिया है. इसके साथ ही एनसीईआरटी ने 11वीं क्लास की राजनीति विज्ञान की किताब में भी बदलाव किए हैं. नई किताब में 'वोट बैंक की राजनीति' वाले खंड में बताया गया है कि भारत में वोट बैंक की राजनीति 'अल्पसंख्यक तुष्टिकरण' से जुड़ी हुई है. यानी अब बच्चों को पढ़ाया जाएगा कि भारत की राजनीतिक पार्टियां वोट बैंक की पॉलिटिक्स करती हैं, जिसके लिए अल्पसंख्यक समूहों को प्राथमिकता देती हैं और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण करती हैं. 11वीं क्लास की राजनीति विज्ञान की किताब में साल 2023-24 के शैक्षणिक सत्र तक जो पढ़ाया जाता था, यह उससे पूरी तरह से अलग है जिसमें 'अल्पसंख्यक तुष्टिकरण' शामिल नहीं था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 11वीं की राजनीति विज्ञान की किताब के नए और पुराने दोनों संस्करणों में धर्मनिरपेक्षता वाला चैप्टर है, जिसमें एक खंड 'भारतीय धर्मनिरपेक्षता की आलोचना' है. इसी में वोट बैंक की राजनीति पर दो पैराग्राफ हैं. इस खंड में 2023-24 और 2024-25 दोनों पाठ्यपुस्तक संस्करणों में कहा गया है, 'यदि धर्मनिरपेक्ष नेता जो अल्पसंख्यकों के वोट मांगते हैं, उन्हें वो दे भी दें, जो वे चाहते हैं तो यह धर्मनिरपेक्ष परियोजना की सफलता है जिसका उद्देश्य आखिरकार अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना भी है. पाठ्यपुस्तक के दोनों संस्करणों में एक ही सवाल पूछा गया है, 'लेकिन क्या होगा अगर संबंधित समूह का कल्याण अन्य समूहों के कल्याण और अधिकारों की कीमत पर मांगा जाए? क्या होगा अगर इन धर्मनिरपेक्ष राजनेताओं द्वारा बहुसंख्यकों के हितों को कमजोर किया जाए? तब एक नया अन्याय पैदा होता है. पाठ्यपुस्तक के दोनों संस्करणों में सवाल एक जैसे ही है, लेकिन दोनों में इन सवालों के जवाब अलग-अलग हैं. पुराने संस्करण में लिखा है, 'लेकिन क्या आप ऐसे उदाहरणों के बारे में सोच सकते हैं? एक या दो नहीं, बल्कि बहुत सारे उदाहरण हैं, जिनके बारे में आप दावा कर सकते हैं कि पूरी व्यवस्था अल्पसंख्यकों के पक्ष में है? अगर आप गहराई से सोचें, तो आप पाएंगे कि भारत में ऐसा होने के बहुत कम सबूत हैं. संक्षेप में, वोट बैंक की राजनीति में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति से जिस अन्याय का जन्म होता है, वह गलत है. सिर्फ यह तथ्य कि धर्मनिरपेक्ष पार्टियां वोट बैंक का इस्तेमाल करती हैं, परेशान करने वाली बात नहीं है. सभी पार्टियां किसी न किसी सामाजिक समूह के संबंध में ऐसा करती हैं. |
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