साहित्य अकादेमी तथा भारत में लिथुआनिया गणराज्य के दूतावास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ साहित्य मंच कार्यक्रम
जनता जनार्दन संवाददाता ,
May 21, 2024, 20:33 pm IST
Keywords: Literary Forum Lecture by Mr. Mindaugas Kvietkauskas Sahitya Akademi Philology Dean Faculty of Philology साहित्य अकादेमी
नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी तथा भारत में लिथुआनिया गणराज्य के दूतावास के संयुक्त तत्वावधान में साहित्य मंच कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें भाषाशास्त्र संकाय, विलनिअस यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एवं लिथुआनिया के पूर्व संस्कृति मंत्री मिंडौगस क्वितकौस्कस ने बहुभाषिक एवं बहुसांस्कृतिक शहर विलनिअस तथा उसकी सांस्कृतिक/ऐतिहासिक स्मृतियों पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। यह व्याख्यान पॉवर पाइंट प्रजेंटशन के साथ दिया गया जिसमें विभिन्न चित्र और सूचनाएँ थी। उन्होंने बताया कि लिथुआनिया में लगभग 20 भाषाएँ बोली जाती है लेकिन उनमें 12 भाषाएँ प्रमुख हैं, जिनमें पोलिश, जर्मन, लैटिन, हिब्रू, रशियन, कतर, लिथुआनिआई, रोमानियन आदि। उन्होंने बताया कि इन भाषाओं का महत्त्व और उपयोगिता युद्ध, व्यापार और राजनीतिक उतार-चढ़ाव के साथ घटती-बढ़ती रही है। उन्होंने वहाँ के चार प्रमुख आधुनिक लेखकों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि उनके द्वारा चलाए गए साहित्यिक आंदोलनों के द्वारा विलनिअस में बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक परिवेश तैयार हुआ। उन्होंने वहाँ की प्रसिद्ध कवयित्री जुडिता के बारे में भी बताया जिसने आधुनिक लिथुआनिआई साहित्य में वहाँ के पूर्वजों की पीड़ा को प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने अपने स्वागत-वक्तव्य में कहा कि कोई भी बहुभाषिक और बहुसांस्कृतिक संस्कृति तब तक ही जीवंत रहती है जब तक उसमें परस्पर स्वस्थ संवाद बना रहता है। यह संवाद ही इस परिवेश को उनन्त और लोकप्रिय बनाता है। भारत में लिथुआनिया की राजदूत डॉ. डायना ने कहा कि दिल्ली जो अपने आप में एक बहुभाषिक और बहुसांस्कृतिक शहर है, उसमें यह वक्तव्य और महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि दोनों शहरों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि एक दूसरे को चिह्नित करती है। कार्यक्रम में कई महत्त्वपूर्ण लेखक, अनुवादक, राजदूत, प्रकाशक और राजनयिक शामिल थे।
के. श्रीनिवासराव |
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