कब है सोमवती अमावस्या?
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Apr 06, 2024, 16:17 pm IST
Keywords: शिव जी की पूजा शिव चालीसा श्री गणेश गिरिजा सुवन मंगल मूल सुजान जय गिरिजा पति दीन दयाला Lord Shiva Shiv Ji Somvati Amavasya 2024
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि होती है. चैत्र महीने की अमावस्या तिथि पर सोमवती अमावस्या मनाई जाती है. इस साल सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को मनाई जाएगी. 8 अप्रैल को सूर्य ग्रहण भी है, लेकिन ये भारत में नहीं दिखाई देगा इसलिए इसका कोई भी नियम भारत में लागू नहीं होगा. सोमवती अमावस्या पर स्नान दान करना काफी शुभ माना जाता है.
सोमवती अमावस्या पर विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना शुभ माना जाता है. इससे भगवान शिव की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है. सोमवती अमावस्या के अवसर पर आप श्रद्धाभाव से शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. ऐसा करने से भोलेनाथ आपके जीवन के संकट कम करेंगे और मनोकामनाओं की पूर्ति होगी. शिव चालीसा ।।दोहा।। श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।
।।चौपाई।। जय गिरिजा पति दीन दयाला। भाल चंद्रमा सोहत नीके। अंग गौर शिर गंग बहाये। वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। मैना मातु की ह्वै दुलारी। कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। नंदि गणेश सोहै तहं कैसे। कार्तिक श्याम और गणराऊ। देवन जबहीं जाय पुकारा। किया उपद्रव तारक भारी। तुरत षडानन आप पठायउ। आप जलंधर असुर संहारा। त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। किया तपहिं भागीरथ भारी। दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। वेद नाम महिमा तव गाई। प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। कीन्ह दया तहं करी सहाई। पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। सहस कमल में हो रहे धारी। एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। जय जय जय अनंत अविनाशी। दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। मातु पिता भ्राता सब कोई। स्वामी एक है आस तुम्हारी। धन निर्धन को देत सदाहीं। अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। शंकर हो संकट के नाशन। योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नमो नमो जय नमो शिवाय। जो यह पाठ करे मन लाई। ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पुत्र हीन कर इच्छा कोई। पंडित त्रयोदशी को लावे। त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। जन्म जन्म के पाप नसावे। कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।। मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।। |
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