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कोरोना भारत में फिर मचा रहा तबाही, चौथी बूस्टर डोज की होने लगी चर्चा

जनता जनार्दन संवाददाता , Apr 01, 2023, 20:56 pm IST
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कोरोना भारत में फिर मचा रहा तबाही, चौथी बूस्टर डोज की होने लगी चर्चा

कोरोना वायरस एक बार फिर लोगों को संक्रमित करने लगा है. बीते एक पखवाड़े से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. कुछ मौत के मामले भी सामने आए हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कोरोना के खिलाफ वैक्सीन की चौथी बूस्टर डोज लेनी चाहिए या नहीं? इधर बीच कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन की संख्या भी बढ़ी है. टीका लगवाने वालों में ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने वैक्सीन का पहला डोज लिया है. आइये आपको बताते हैं चौथी बूस्टर डोज के बारे में WHO का क्या कहना है..

WHO ने इस भारे में स्थिति साफ की है कि किसे कोविड की चौथी बूस्टर डोज लेनी चाहिए और किसे नहीं. आपको बता दें कि देश में 31 मार्च को 9981 लोगों ने कोविड के खिलाफ टीका लगवाया है. इन लोगों में 1050 लोग ऐसे हैं जिन्होंने वैक्सीन की पहली डोज लगवाई है. लोगों के मन में कोरोना के खिलाफ वैक्सीन को लेकर अब भी डर बसा हुआ है. वहीं, कुछ लोग चौथी बूस्टर डोज की प्लानिंग कर रहे हैं. 

चौथी बूस्टर डोज को लेकर WHO ने स्थिति साफ की है. Strategic Advisory Group of Experts on Immunization यानी SAGE ने इस बारे में गाइडलाइंस भी जारी की हैं.

इन लोगों को बूस्टर की जरुरत नहीं 

इस गाइडलाइन में कहा गया है कि स्वस्थ लोग जिन्हें कोई बीमारी नहीं है और उनकी उम्र 60 साल से कम है, तो उन्हें चौथी बूस्टर डोज लगवाने की कोई जरुरत नहीं है. अगर ऐसे लोग चौथी बूस्टर डोज लगवाते हैं तो उससे उन्हें नुकसान तो नहीं होगा लेकिन फायदा भी नहीं होगा. चौथी बूस्टर की जरुरत के हिसाब से WHO ने लोगों को तीन कैटेगरी में बांट दिया है. हाई (High risk), मीडियम (Medium risk) और लो रिस्क (low risk).

हाई रिस्क वालों को चौथी बूस्टर डोज जरूरी

Strategic Advisory Group of Experts on Immunization यानी SAGE की सिफारिश के मुताबिक गंभीर बीमारी के शिकार, बेकाबू डायबिटीज के मरीज, HIV जैसी या ऐसी और बीमारियां जो इम्यून सिस्टम को बेहद कमजोर कर देती हैं– ऐसे लोगों को बूस्टर डोज जरूर लगवा लेनी चाहिए. गर्भवती महिलाओं और हेल्थ केयर वर्कर्स जो सीधे कोविड मरीज के संपर्क में आ रहे हैं वो भी एक्स्ट्रा बूस्टर डोज ले सकते हैं.

मीडियम (Medium risk)

मीडियम (Medium risk) की कैटेगरी में ऐसे लोगों को रखा गया है, जो स्वस्थ हैं और उनकी उम्र 60 वर्ष से कम हैं, ऐसे किशोर और बच्चे जिन्हें कोई बीमारी है – इन्हें पहली बूस्टर ले लेनी चाहिए. इसके बाद इन्हें बूस्टर की जरुरत नहीं है.

लो रिस्क (low risk)

लो रिस्क ग्रुप में 6 महीने से 17 साल के स्वस्थ बच्चों को रखा गया है. इस आयु वर्ग को कोरोना ने सबसे कम प्रभावित किया है. इस ग्रुप की वैक्सीनेशन का फैसला देश को अपने हालात से करने का सुझाव दिया गया है.  

6 महीने से कम उम्र के बच्चों और गर्भ में पल रहे बच्चों को कोरोना से खतरा बाकी बच्चों के मुकाबले थोडा ज्यादा जताया गया है. ऐसे मामलों में गर्भवती महिला को दूसरी डोज के 6 महीने बाद एक बूस्टर लेने की सलाह दी गई है जो बच्चे को भी सुरक्षा दे सकती है 

कई देशों में चौथी बूस्टर डोज जरूरी

आमतौर पर भारत में दूसरी कोविड वैक्सीन के 9 महीने बाद आप बूस्टर डोज ले सकते हैं. हेल्थकेयर एक्सपर्ट्स, बहुत बीमार लोग और 60 साल से ज्यादा वाले लोगों के लिए बूस्टर जरुरी है. कई देशों में कोरोना की चौथी बूस्टर डोज को मंजूरी मिल चुकी है. अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा इन देशों में शामिल हैं. लेकिन भारत में अभी चौथी बूस्टर को लेकर कोई गाइडलाइंस नहीं हैं.

भारत में कोरोना का हाल

भारत में शनिवार को कोरोनावायरस के मामले लगभग 3 हजार पहुंचे. कुल 2994 केस एक दिन में रिपोर्ट हुए और भारत में कुल कोरोना मरीजों की संख्या 16 हज़ार 354 पहुंच गई. 7 लोगों की मौत हो गई जिसमें से दिल्ली, कर्नाटक और पंजाब से दो-दो और एक गुजरात से दर्ज की गई.

 
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