प्रतापी महापुरुष पंडित प्रताप नारायण मिश्र की याद में..
गौरव अवस्थी ,
Sep 24, 2021, 18:31 pm IST
Keywords: आध्यात्मिक साहित्यिक हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान पंडित प्रताप नारायण मिश्र Personality Hindi Sahitya
उन्नाव जनपद के बैजेगांव (अब बेथर) में 165 वर्ष पहले आज ही के दिन पंडित संकटादीन के आंगन में जन्मे भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखक पंडित प्रताप नारायण मिश्र धार्मिक-आध्यात्मिक-साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना के अग्रदूत थे। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा लार्ड मैकाले की अंग्रेजी शिक्षा पद्धति पूरे भारत में लागू किए जाने के विरोध में राजा राममोहन राय और स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा शुरू किए सुधार आंदोलन को आपने हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान का नारा देकर बल दिया। "ब्राह्मण" नामक पत्रिका निकालकर हिंदुओं को पाश्चात्य संस्कृति के साथ ही हिंदू धर्म के संकीर्ण विचारों, कुरीतियों से दूर रखने की हर संभव कोशिश की।
अधिकांश समय पिता के पास कानपुर रहते हुए उन्होंने समाज सुधार के आंदोलन को अपनी उत्कृष्ट साहित्यिक रचनाओं से भी गति प्रदान की। विदेशी विद्वानों की स्थापना को खारिज किया। जनभाषा के रूप में प्रयोग हो रही हिंदी खड़ी बोली को अपनाकर भारतेंदु हरिश्चंद्र की कोशिशों को समाज में प्रतिष्ठित करने का भरपूर प्रयास भी किया। अपने इन्हीं अनुकरणीय प्रयास की बदौलत ही पंडित प्रताप नारायण मिश्र सदियों तक याद किए जा रहे हैं। सिर्फ 38 वर्ष की अवस्था में 6 जुलाई 1894 में अंतिम सांस लेने वाले पंडित मिश्र जी युगों-युगों तक याद किए जाते रहेंगे.
ऐसे कर्मठ साहित्यिक सामाजिक योद्धा प्रताप नारायण मिश्र को उनके अपने जन्म ग्राम बैजेगांव के लोग शिद्द्त से याद करते हैं। गांव के ही रहने वाले जनपद की राजनीति में अपनी अलग पहचान बना चुके पंडित हरिसहाय मिश्र "मदन" दो दशक से अधिक समय से प्रताप नारायण मिश्र जयंती समारोह आयोजित करते चले आ रहे हैं। गांव में पंडित प्रताप नारायण मिश्र पार्क हर जयंती समारोह का साक्षी बनता है। इस पार्क की देखरेख मदन मिश्र जी अपनी जेब से करते हैं। साफ-सुथरे पार्क में स्थापित प्रताप नारायण मिश्र की आदमकद प्रतिमा पितृपक्ष में प्रतापी पूर्वजों की छांव का सुखद अहसास कराती है.
165वीं जयंती समारोह का हिस्सा बनने का सौभाग्य आज अपने हिस्से में भी आया। कल रात से ही खराब हुए मौसम के बावजूद मदन मिश्रा जी की जयंती समारोह की आयोजना पर शंका-आशंका के एक भी बादल नहीं दिखे। वे डटे रहे। उनकी एकनिष्ठ सेवा देखकर मन प्रफुल्लित हुए बिना नहीं रहा। अपने प्रेरणास्रोत के रूप में उन्होंने 60 वर्षों से अधिक समय तक उन्नाव जनपद के साहित्यिक-सामाजिक-शैक्षणिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पंडित कमला शंकर अवस्थी उर्फ दद्दू (मेरे स्वर्गवासी पिता) को भी जिस श्रद्धा और भाव के साथ याद किया, उससे मैं अपने को उनका कर्जदार महसूस करने लगा हूं। वह कहते हैं कि अपने पूर्वज की स्मृतियों से जुड़ने की प्रेरणा पहली बार और बार-बार उन्हीं से प्राप्त हुई। आज उन्होंने इस मौके पर उन्हें भी याद किया.
ऐसे उन्नाव जनपद के प्रतापी पुरुष पंडित प्रताप नारायण मिश्र जी के श्रीचरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए मन में यह संकल्प अपने आप जागृत हुआ कि पिताजी और भैया नीरज अवस्थी (21 अगस्त 2021 को ही दिवंगत) के प्रतिनिधि के रुप में प्रतिवर्ष इस आयोजन का हिस्सेदार अवश्य बनूंगा रहूं, चाहे कहीं भी.. जय हिंदी-जय प्रताप-जय निराला |
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