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आंचलिक पत्रकार पत्रिका की छांव में..
गौरव अवस्थी ,
Sep 21, 2021, 17:51 pm IST
Keywords: आंचलिक पत्रकार पत्रिका की छांव में अंजलि पत्रकार पत्रिका के प्रकाशन सप्रे संग्रहालय Book Sahitya पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर
![]() यह एक ऐसा जंक्शन है,जहां आज का पत्रकार पूर्वज संपादकों-पत्रकारों की छांव में बैठ-सुस्ताकर आगे की नई नवेली राह बना सकता है। चाह पैदा कर सकता है। नई पीढ़ी की नई-नई योजनाओं से पुरानी पीढ़ी भी परिचित होने का मौका पाती है। उम्मीदें कभी जगती है और कभी बुझती भी है। यह जगना-बुझना ही जिंदादिली की निशानी है। ऐसा कोई समाज ही वर्ग तो आज तक बना ही नहीं जिसकी सभी उम्मीदें पूरी हुई हो, या एक भी पूरी ना हुई हो. हम पत्रकारों के लिए आंचलिक पत्रकार ज्ञानवर्धक भी है और उत्साहवर्धक भी। इस 40 साल के इस शानदार सफर का सहयात्री होना हमारे ऐसे अकिंचन पत्रकार के लिए कम गौरवपूर्ण नहीं है। जिस पत्रिका में राजेंद्र माथुर जी, प्रभाष जोशी जी, गणेश मंत्री लक्ष्मी शंकर व्यास डॉक्टर नंदकिशोर त्रिखा डॉ शंकर दयाल शर्मा, विद्यानिवास मिश्र गौरा पंत शिवानी मावली प्रसाद श्रीवास्तव, कुलदीप नैयर नारायण दत्त राम बहादुर राय श्रवण गर्ग जैसे स्वनामधन्य लेखकों पत्रकारों के आलेख प्रकाशित होते रहे हो, इन नामों की श्रंखला में अपना नाम देखना हमारे लिए "आठवें आश्चर्य" से कम नहीं। यह विजय दत्त श्रीधर जी की सरलता सहजता ही मानी जानी चाहिए। विजय दत्त श्रीधर जी ने पत्रिका के 4 दशक पूरे होने पर एक अनोखा प्रयोग किया है। ऐसा प्रयोग भी हमारे जानने सुनने और समझने में अभी कहीं भी सामने नहीं आया है.
सप्रे संग्रहालय ने अपनी प्रतिष्ठित आंचलिक पत्रकार पत्रिका में चार दशक में प्रकाशित चुनिंदा लेखकों के लेखों का "विवरणी विशेषांक" प्रकाशित किया है। वर्ष 2019, 2020 और 2021 के एक-एक अंक में हमारे लेखों को स्थान देकर सप्रे संग्रहालय भोपाल के संस्थापक विजय दत्त जी ने हम जैसे लोगों के उत्साह में श्रीवृद्धि की है। इसके लिए हम दिल से विजय दत्त श्रीधर जी और अंजलि पत्रकार पत्रिका के प्रकाशन से जुड़ सप्रे संग्रहालय के सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. |
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