खतरों से भरी है सबसे अमीर जेफ बेजोस की स्पेस यात्रा, जो कहते हैं- धरती को अंतरिक्ष से देखना, आपको बदल देता है
ऋचा पांडेय ,
Jun 13, 2021, 20:20 pm IST
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दुनिया में अपनी तरह के वे अकेले हैं. व्यावसाय हो या अमीरी, जिसे सोचते हैं अंजाम देते हैं. धरती के सबसे अमीर अरबपति और ऐमजॉन कंपनी सीईओ जेफ बेजोस ने अपने बचपन के सपने को साकार करने के लिए अंतरिक्ष की यात्रा पर रवाना होने जा रहे हैं. बेजोस अपनी कंपनी 'ब्लू ओरिजिन' के रॉकेट से 20 जुलाई को अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना होंगे. खबरों के मुताबिक इस यात्रा के दौरान जेफ बेजोस कुल 11 मिनट तक ही अंतरिक्ष में रहेंगे.
दुनिया के सबसे बड़े रईस बेजोस के पास 190 अरब डॉलर की संपत्ति है. वह चाहें तो अपने बेहद तेज चलने वाले प्राइवेट जेट की मदद से पूरी दुनिया को नाप सकते हैं. बेजोस के पास आलीशान याट है जिसकी मदद से वह जब चाहें दुनिया के किसी समुद्र में सैर पर निकल सकते हैं. बेजोस अपने परिवार और दोस्तों के लिए एक पूरा द्वीप ही खरीद सकते हैं और वहां ऐशो-आराम से भरी जिंदगी बिता सकते हैं. इन सब संभावनाओं के बाद भी जेफ बेजोस मात्र 11 मिनट की सैर के लिए यह बड़ा जोखिम लेने जा रहे हैं. इसमें बेजोस की जान भी जा सकती है. आइए समझते हैं कि जेफ बेजोस को अपनी अंतरिक्ष यात्रा में किन-किन चुनौतियों का सामना करना होगा. अंतरिक्ष में यात्रा हमेशा से ही बहुत खतरों से भरी रही है. भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की स्पेस की उड़ान के दौरान हुए हादसे में मौत हो गई थी. इसी खतरे को देखते हुए बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन पिछले एक दशक से अपने न्यू शेफर्ड रॉकेट पर काफी मेहनत कर रही है. इस रॉकेट के कई सफल परीक्षण किए गए हैं. बेजोस और उनके भाई मार्क बेजोस जिस रॉकेट से जा रहे हैं, यह पूरी तरह से ऑटोनॉमस है. हालांकि इसमें भी खतरा बना हुआ है. अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक बेजोस यह अंतरिक्ष यात्रा जान हथेली पर रखकर करने जा रहे हैं. अक्सर जब हम अंतरिक्ष यात्रा के बारे में सोचते हैं तो हमारे जेहन में आता है कि अंतरिक्षयात्री स्पेस में तैरते हुए धरती के चक्कर लगाते हैं. जेफ बेजोस और उनके साथ जाने वाले अन्य यात्री ऐसा नहीं करने जा रहे हैं. बेजोस और साथी यात्रियों के साथ अंतरिक्ष में ऊपर जाएंगे और फिर वापस लौट आएंगे. वे करीब 11 मिनट के लिए ही अंतरिक्ष में रहेंगे. सीएनएन के मुताबिक बेजोस की उड़ान धरती से करीब 100 किमी की ऊंचाई तक ही जाएगी. इसे बाहरी अंतरिक्ष की शुरुआत माना जाता है. अंतरिक्ष में ले जाने वाले किसी रॉकेट के अंदर इतनी ताकत होनी चाहिए कि वह कम से कम 27 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से रॉकेट को उड़ा सके. दरअसल, पृथ्वी की गुरुत्वार्षण की शक्ति अंतरिक्षयान को अपनी ओर खींच सकती है, इसलिए बेहद तेज रफ्तार से उड़ान भरना जरूरी होता है. बेजोस का न्यू शेफर्ड रॉकेट सबऑर्बिटल फ्लाइट है और यह ध्वनि की तीन गुना रफ्तार से अंतरिक्ष की ओर अपने कदम बढ़ाएगा. यह तब तक सीधा अंतरिक्ष में जाता रहेगा जब तक कि उसका ज्यादातर ईंधन खत्म नहीं हो जाता है. इसके बाद चालक दल का कैप्सूल रॉकेट के सबसे ज्यादा ऊंचाई तक पहुंचने पर रॉकेट से अलग हो जाएगा और कुछ देर तक अंतरिक्ष में घूमता रहेगा. इस दौरान चालक दल को कुछ मिनट तक भारहीनता का अनुभव भी होगा जो इतनी ऊंचाई पर पृथ्वी के गुरुवात्वाकर्षण के खत्म होने के कारण होता है. इसके बाद स्पेस कैप्सूल बेजोस को लेकर धरती की ओर रवाना हो जाएगा. इसके बाद न्यू शेफर्ड रॉकेट अपनी रफ्तार को कम करने के लिए पैराशूट को खोल देगा. उधर, रॉकेट अलग से उड़ान भरता रहेगा और अपने इंजन को फिर से चालू कर देगा. इसके बाद वह अपने कंप्यूटर की मदद से ठीक जगह पर लैंड कर जाएगा. बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन का न्यू शेफर्ड कैप्सूल पूरी तरह से स्वचालित है और उसे पायलट की जरूरत नहीं है. अब तक कि 15 टेस्ट उड़ान में इस कैप्सूल को लेकर कभी कोई हादसा नहीं हुआ है. मतलब यह है कि बेजोस की अंतरिक्ष की उड़ान में खतरा कम है. हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि बेजोस की उड़ान पूरी तरह से खतरे से मुक्त है. सबऑर्बिटल फ्लाइट की वजह से इस रॉकेट को बहुत ज्यादा स्पीड और धरती की कक्षा में फिर से प्रवेश करने के जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा. इससे खतरा कम होगा. दरअसल, अंतरिक्ष यान के धरती की कक्षा में फिर से प्रवेश करने पर उसका तापमान 3500 डिग्री फॉरेनहाइट तक पहुंच जाता है. इससे उसके अंदर बैठे अंतरिक्षयात्रियों को भारी दबाव का सामना करना पड़ता है. तेज रफ्तार और अत्यधिक ऊंचाई की वजह से इसमें काफी खतरा होता है. एक छोटी सी गलती भी जानलेवा हो सकती है. बेजोस करीब 3,50,000 फुट की ऊंचाई पर जा रहे हैं. यहां पर जिस कैप्सूल में वह जा रहे हैं, उन्हें स्पेसशूट पहनने की जरूरत नहीं होगी. अगर केबिन में ऑक्सीजन की कमी होती भी है तो वहां ऑक्सीजन मास्क रहेंगे जिससे वह सांस ले सकेंगे. बेजोस के न्यू शेफर्ड रॉकेट को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अगर कोई आपात स्थिति आती है तो कैप्सूल बीच रास्ते में ही रॉकेट से अलग हो जाएगा और यात्री उस रॉकेट से दूर हो जाएंगे. यही नहीं कैप्सूल को इस तरह से बनाया गया है कि अगर पैराशूट नहीं खुलता है तो भी वह पृथ्वी पर सही सलामत उतर जाएगा. विशेषज्ञों के मुताबिक इतनी सुरक्षा के बाद भी बेजोस की यह अंतरिक्ष यात्रा पूरी तरह से खतरे से मुक्त नहीं है. यह जानलेवा भी हो सकती है. वर्ष 2014 में वर्जिन गैलेक्टिक की एक उड़ान कई टुकड़ों में बंट गई थी. इस हादसे में एक पायलट की मौत हो गई थी. दरअसल, अंतरिक्ष की सैर करना जेफ बेजोस का बचपन का सपना रहा है. बेजोस अपने भाई और अन्य यात्रियों के साथ 20 जुलाई को अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगे. 20 जुलाई वही दिन है जब अमेरिका के अपोलो-11 मिशन ने चांद की सतह पर कदम रखा था. बेजोस ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा के बारे में लिखा, 'धरती को अंतरिक्ष से देखना, आपको बदल देता है, इस ग्रह से आपके रिश्ते को बदल देता है. मैं इस उड़ान में सवार होना चाहता हूं क्योंकि यह एक ऐसी चीज है, जिसे मैं हमेशा से ही अपने जीवन में करना चाहता था. यह एक रोमांच है. यह मेरे लिए बेहद अहम है.' |
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