अब यह व्हाइट फंगस! है क्या बला, कारण, लक्षण और इलाज...
जनता जनार्दन डेस्क ,
May 23, 2021, 20:21 pm IST
Keywords: White Fungus व्हाइट फंगस White Fungus cause White Fungus symptoms White Fungus treatment White Fungus medicine White Fungus vs White Fungus Black Fungus coronavirus symptoms Corona
कोरोना महामारी के बीच फंगल संक्रमण का कहर भी जारी है. कई राज्यों में एक के बाद एक ब्लैक फंगस के ढेरों मरीजों के आने के बाद केंद्र सरकार ने प्रभावित राज्यों से इसे महामारी घोषित करने को कहा. इस इंफेक्शन के खात्मे की शुरुआत भी नहीं हो सकी थी, कि एकाएक व्हाइट फंगस के मरीज भी आने लगे. विशषज्ञों के मुताबिक ये नया संक्रमण ब्लैक फंगस से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि ये केवल एक अंग नहीं, बल्कि फेफड़ों और ब्रेन से लेकर हर अंग पर असर डालता है.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी जारी है इसी बीच ब्लैक फंगस के मरीज काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. दिल्ली समेत अन्य राज्यों में लोगों में तेजी से बढ़ रहे ब्लैक फंगस को देखते हुए राज्यों में इसे महामारी घोषित करने पर विचार हो रहा है. अभी विशेषज्ञ ब्लैक फंगस के इलाज और उसके खात्मे को लेकर रिसर्च कर ही रहे हैं कि अचानक व्हाइटफंगस यानी म्यूकरमाइकोनिस के मरीजों के आने की शुरूआत हो चुकी है. विशेषज्ञों के अनुसार ये व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस संक्रमण से अधिक घातक हैं, क्योंकि ये मनुष्य के मस्तिष्क और फेफड़ों को अपनी चपेट में लेकर प्रभावित करता है. केवल एक अंग नहीं, बल्कि फेफड़ों और ब्रेन से लेकर हर अंग पर असर डालता है. किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय लखनऊ की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सीनियर डॉक्टर शीतल वर्मा से जानें व्हाइट फंगस क्या है, इसके कारण, लक्षण और इलाज..... जानें किन अंगों पर होता है असर केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सीनियर डॉक्टर शीतल वर्मा के अनुसार इसकी जल्द पहचान कर इसका तुरंत इलाज किया जा सकता है. कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीज जो लंबे समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे उनमें ये व्हाइट फंगस मिला है. हालांकि ये पहले भी कैंसर, एसचआईवी मरीजों में देखा गया है. अगर जल्द इलाज शुरू हो जाता है तो मरीज को खतरा नहीं होता है. कैसे शरीर में करता है प्रवेश इसे कैंडिडा भी कहते है कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में होता है, विशेष रूप से मधुमेह, एचआईवी पेसेन्ट या स्टेरॉयड का प्रयोग. ये संक्रमण जो खून के माध्यम से शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है. ये बीमारी म्यूकॉरमाइसाइट्स नामक फफूंद से होती है जो नाक के माध्यम से बाकी अंग में पहुंचती है. ये फंगस हवा में होता है जो सांस के जरिए नाक में जाता है. इसके अलावा शरीर के कटे हुए अंग के संपर्क में अगर ये फंगस आता है तो ये संक्रमण हो जाता है. हर अंग पर असर चिकित्सकीय भाषा में इसे कैंडिडा कहते हैं, जो रक्त के जरिए होते हुए शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है. ये नाखून, स्किन, पेट, किडनी, ब्रेन, प्राइवेट पार्ट और मुंह के साथ फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है. हालांकि इस फंगस से प्रभावित जो मरीज आ रहे हैं, उनके साथ जरूरी नहीं कि वे कोविड से संक्रमित हों. हालांकि लंग्स पर असर होने के कारण उनके लक्षण कोरोना से लगभग मिलते-जुलते होते हैं, जैसे सांस फूलना या कई बार सीने में दर्द. व्हाइट फंगस होता क्यों है जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है, उन्हें व्हाइट फंगस संक्रमण हो सकता है- सांकेतिक फोटोजिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है, उन्हें व्हाइट फंगस संक्रमण हो सकता है. फेफड़ों और मस्तिष्क पर असर डालने वाले व्हाइट फंगस के कई लक्षण कोरोना से मिलते-जुलते हैं. यही कारण है कि कोरोना के दौर में ये ज्यादा खतरनाक हो सकता है अगर बीमारी की पहचान न हो सके. कई दूसरे लक्षण संक्रमण अगर शरीर के जॉइंट्स पर असर करे तो उनमें दर्द होने लगता है. ब्रेन तक पहुंचा तो सोचने विचारने की क्षमता पर असर दिखता है. मरीज जल्दी फैसला नहीं ले पाता और बोलने में भी दिक्कत होने लगती है. इसके अलावा सिर में तेज दर्द के साथ उल्टियां हो सकती हैं. स्किन में रक्त के जरिए फैलने पर छोटे-छोटे फोड़े हो सकते हैं, जो आमतौर पर दर्दरहित होते हैं. ये संक्रमण का शुरुआती लक्षण है. |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|