![]() |
लोकसभा चुनाव 2019: सत्ता के साथ रह कर भी विकास के लिए तरसता चंदौली संसदीय क्षेत्र #Exclusive
अमिय पाण्डेय ,
Mar 14, 2019, 11:57 am IST
Keywords: Chandauli Chandauli News Exclusive Report Chandauli Loksabha Election 2019 Loksabha Poll Profile Loksabha Chandauli 2019 चन्दौली लोकसभा 2019 लोकसभा संसदीय क्षेत्र 2019 लोकसभा चन्दौली 2019 लोकसभा चन्दौली
![]() चंदौली: चन्दौली यू तो धान का कटोरा कहा जाता है तमाम नेता जी चुनाव में इसका दौरा करते है तमाम स्तिथी भी राजनीति में लोक लुभावन वादों के रूप में विख्यात है ऐसे में चन्दौली संसदीय सीट देश के पहले चुनाव के समय से ही अस्तित्व में है। 1997 से पहले तक चंदौली वाराणसी जिले का हिस्सा था। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने वाराणसी से पृथक कर चंदौली जनपद का सृजन किया। जिले का नक्सल प्रभावित चकिया विधानसभा क्षेत्र पड़ोसी राबर्ट्सगंज सीट में समाहित है। जबकि चंदौली संसदीय सीट में मुगलसराय, सकलडीहा व सैयदराजा के अलावा वाराणसी की अजगरा व शिवपुर विधानसभाएं शामिल हैं। कृषि प्रधान जनपद होने से पूरे जिले में नहरों का संजाल है।किन्तु यहां नहरों में टेल तक पानी आजतक नही पहुचा.आप जिले के पई माइनर से लेकर तलासपुर गांव में तलाश कर लीजिए या तो दैथा गांव में विकास को देख लीजिए आपको विकाश नाम से ही नफरत हो जायेगी.
कहते है वर्तमान में यह गृहमंत्री का गृह जनपद है किंतु आज भी यह जनपद विकास की बाट जोह रहा है यहां न तो केंद्रीय विद्यालय है और न ही पोस्ट ग्रेजुएशन तक मेडिकल कालेज तमाम वादे हर चुनाव में नेता जी करते गए किन्तु नतीजा निकला जीरो खैर चुनाव का समय चल रहा है इसलिए अभी एक और नए नेता जी! एक औऱ लॉलीपॉप देकर चुनाव जीत जाएंगे.
यहां यूपी बिहार की सीमा पर बसे चंदौली में चुनाव के समय विकास के मुद्दे दूसरी लहरों में हवा हो जाते हैं। इसी का परिणाम रहा कि शुरुआती दो चुनाव में समाजवाद के पुरोधा डा. राममनोहर लोहिया तक को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 1989 के चुनाव में कांग्रेस और जनता पार्टी के बीच घमासान देखने को मिला। जबकि 1991 से 98 तक भाजपा की लहर ने हैट्रिक मारी। वहीं 1999 से 2004 के तक चुनाव में जातिगत वोट की लड़ाई में सपा व बसपा के बीच ही उठापटक देखने को मिलता रहा। 2014 तक मोदी लहर ने यहां से पुनः भाजपा को जीत दिलाई और महेंद्रनाथ पाण्डेय सांसद बनें. और अब 2019 के चुनाव में इस बार दोस्ती सपा और बसपा की हो गयी हैं. ऐसे में विकास और राजनीति जाती के नाम पे इस बार चुनाव लड़ना लगभग तय है।
लोकसभा क्षेत्र का लेखा जोखा ग्राउंड रिपोर्टिंग
#जिला सृजन के 22 साल बाद भी नहीं हुआ जिला मुख्यालय का अब तक निर्माण। आज भी अधिकारी रहने को वाराणसी चले जाते है.
#यूपी और बिहार की सीमा को जोड़ता है चंदौली जनपद.
#संसदीय सीट में तीन विधानसभा चंदौली में जबकि दो वाराणसी जिले में हैं.
#पर्यटन के दृष्टिकोण से चंदौली काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके उत्थान के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया.
#रोजगार के अवसर नहीं मिलने से युवाओं को महानगरों की ओर करना पड़ता है पलायन.
आईए एक नज़र जरा इसपे भी कब कौन जीता
1952 त्रिभुवन नारायण सिंह (कांग्रेस)
1957 त्रिभुवन नारायण सिंह (कांग्रेस)
1962 बालकृष्ण सिंह (कांग्रेस)
1967 निहाल सिंह (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
1971 सुधाकर पांडेय (कांग्रेस)
1977 नरसिंह यादव (जनता पार्टी)
1980 निहाल सिंह (जनता पार्टी)
1984 चंद्रा त्रिपाठी (कांग्रेस)
1989 कैलाशनाथ सिंह (जनता दल)
1991 आनंदरत्न मौर्या (भाजपा)
1996 आनंदरत्न मौर्या (भाजपा)
1998 आनंदरत्न मौर्या (भाजपा)
1999 जवाहरलाल जायसवाल (सपा)
2004 कैलाशनाथ सिंह यादव (बसपा)
2009 रामकिशुन यादव (सपा)
2014 महेंद्र नाथ पाण्डेय (भाजपा)
2014 लोकसभा चुनाव में कौन हारा कौन जीता
जिला निर्वाचन अधिकारी ने लोकसभा चुनाव 2019 में जारी किया आंकड़ा कुल मतदाता: 13,92,278
पुरुष: 7,52,570
महिला: 6,39,617
दिव्यांग मतदाता: 6285
चंदौली संसदीय के अंतर्गत विधानसभा सीट
मुगलसराय
सकलडीहा
सैयदराजा
शिवपुर
अजगरा
|
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|
सप्ताह की सबसे चर्चित खबर / लेख
|