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गणतंत्र बनाम गनतंत्र, हर तंत्र पर हावी होता गन

गणतंत्र बनाम गनतंत्र, हर तंत्र पर हावी होता गन
आज हम सत्तरवाँ गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। गणतंत्र का मतलब जहां का शासक राजा नही होता और देश की संम्पति पर उनका निजी हक नही होता।हमारा देश कहने को गणतांत्रिक व्यवस्था से चलता है, मगर यहां गनतंत्र यानी बंदूक का राज हर जगह है। जैसे बॉर्डर पर सैनिक गन लेकर ही सीमा रेखा की सुरक्षा करता है,देश में पुलिस फोर्स जनता की सुरक्षा में लगी रहती है। किसी विवादित धार्मिक परिसर को भी अर्धसैनिक बल गन लेकर ही सुरक्षा में रहते हैं। रेलेवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डों की सुरक्षा भी गनो की साये में रहती है। माननीयों से लेकर नेताओं अभी नेताओं को भी अपनी सिक्योरिटी के लिए गनर यानी गन लिया हुआ सुरक्षाकर्मी चाहिए।

यही नही प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक मंत्री से लेकर संतरी तक सबके जीवन की सुरक्षा और गारंटी गन (बंदूक) के हवाले है। चोर लुटेरे डकैतो को आतंक भी गन के बल पर होता है और इनका खात्मा भी गन करता है।
यही नही हद तो तब हो गयी जब इन्ही गनो के बदौलत कई डकैत गुंडे माफिया बाद में अवैध तरीके से कमाई गयी दौलत आतंक और गन तंत्र के बल माफिया से माननीय बन गए ।
 
इन गुंडों माफियाओं ने भले ही संसद में संविधान की शपथ ली हो कि हम गणतंत्र कायम रखेंगे मगर बाहर और पर्दे के पीछे से यही समाज को गन तंत्र से खौफ पैदा किये रहते हैं। हालांकि पूरी तरह इनको ही दोषी नही कह सकते इसमें जनता का नब्बे प्रतिशत दोष है । भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं कानून की कमियां कहें या संविधान की खामियां यहाँ एक गुंडा माफिया लुटेरा डकैत भी चुनाव लड़ सकता है। खैर वह चुनाव तो लड़ सकता है ।

मगर जब जीत और हार की कुंजी जनता के पास रहती है औऱ समाज जानता है कि यह अपराधी है,यह जनता का भला करने नही खुद को सुरक्षित करने आया है,तो ऐसे लोगों को जनता क्यों वोट देती है। दरअसल दसियों गनरों के काफिले के साथ चल रहे सफेदपोशों के ग्लैमर में युवाऔर जात धरम के कुचक्र में भारत की जनता पड़ी रहेगी तब तक गणतंत्र पर गनतंत्र हावी रहेगा। और समय के साथ गन वाले तंत्र से माफिया से माननीय बने नेता देश को लूटेंगे जरूर मगर खद्दर पहन कर और खाकी उसी गन से इनकी सुरक्षा के लिए खड़ी दिखेगी जिस गन की नाल कभी इनको कराया हो।गणतंत्र में अगर आप गन तंत्र वालों को महत्व दे रहे तो दोषी हम और आप हैं ।

लेखक एक हिंदी साप्ताहिक अखबार के संपादक हैं, सोशल मीडिया पे ये पोस्ट फेसबुक वाल से लिया गया है.
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