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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की किताब 'मूविंग आन मूविंग फारवर्ड, ए इयर इन ऑफिस' के विमोचन के मौके पर जुटी हस्तियां

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की किताब 'मूविंग आन मूविंग फारवर्ड, ए इयर इन ऑफिस' के विमोचन के मौके पर जुटी हस्तियां नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में वेंकैया नायडू की पहली पुस्तक ‘मूविंग आन मूविंग फारवर्ड, ए इयर इन ऑफिस’ का विमोचन रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया. इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद रहे.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यवस्था में अनुशासन के महत्व को प्राथमिक बताते हुये कहा है कि इन दिनों अनुशासन को ‘‘निरंकुशता’’ करार दिया जाता है. मोदी ने रविवार को उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू की पुस्तक ‘मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड’ के विमोचन समारोह में उपराष्ट्रपति की अनुशासनप्रिय कार्यशैली का जिक्र करते हुये कहा कि दायित्वों की पूर्ति में सफलता के लिये नियमबद्ध कार्यप्रणाली अनिवार्य है. व्यवस्था और व्यक्ति, दोनों के लिये यह गुण लाभप्रद होता है. नायडू ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में एक वर्ष के अपने कार्यकाल के अनुभवों का सचित्र संकलन ‘कॉफी टेबल बुक’ के रूप में किया है.

पुस्तक का विमोचन करने के बाद मोदी ने कहा "वैंकेया जी अनुशासन के प्रति बहुत आग्रही हैं और हमारे देश की स्थिति ऐसी है कि अनुशासन को अलोकतांत्रिक कह देना आजकल सरल हो गया है." प्रधानमंत्री ने कहा "अगर कोई अनुशासन का जरा सा भी आग्रह करे तो उसे निरंकुश बता दिया जाता है. लोग इसे कुछ नाम देने के लिये शब्दकोष खोलकर बैठ जाते हैं."

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैंकेया जी की यह पुस्तक बतौर उपराष्ट्रपति उनके अनुभवों का संकलन तो है ही, साथ में इसके माध्यम से उन्होंने इसके माध्यम से एक साल में किये गये अपने काम का हिसाब देश के समक्ष प्रस्तुत किया है.

उन्होंने कहा कि नायडू ने उपराष्ट्रपति की संस्था को नया रूप देने का खाका भी इस पुस्तक में खींचा है. जिसकी झलक इसमें साफ दिखती है. मोदी ने नायडू को स्वभाव से किसान बताते हुये कहा कि उनके चिंतन में हमेशा देश के गांव, किसान और कृषि की बात समाहित होती है. उन्होंने कहा कि इसका सटीक उदाहरण नायडू द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के गठन के समय अपने लिये ग्रामीण विकास मंत्रालय देने की इच्छा व्यक्त करना था.

मोदी ने कहा "यद्यपि अटल जी वैंकेया जी की प्रतिभा को देखते हुये उन्हें कोई अन्य अहम मंत्रालय देना चाहते थे लेकिन इसकी भनक लगने पर वैंकेया जी ने खुद अटल जी के पास जाकर अपने दिल की इच्छा व्यक्त कर दी."  उन्होंने कहा कि गांवों को शहरों से जोड़ने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के सूत्रपात का श्रेय वैंकेया जी को जाता है.  

पुस्तक के विमोचन समारोह के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह शायराने अंदाज में नजर आए. अपने संबोधन के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने एक कविता सुनाई- 'सितारों के आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क के इम्तेहां और भी हैं.' बता दें कि उपराष्ट्रपति नायडू ने पिछले एक साल में अपने अनुभवों का उल्लेख 245 पृष्ठ की इस पुस्तक में शब्दों और चित्रों के माध्यम से किया है. उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने अपने पहले साल के कार्यकाल के अनुभवों को पुस्तक के रूप में संकलित किया है.

अपने संबोधन के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि- वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति कार्यकाल में अपने राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव को शामिल करते हैं, और यह उनके एक साल के कार्यकाल में काफी हद तक परिलक्षित होता है. मगर सबसे अच्छा अभी भी आने वाला है. किसी कवि ने कहा है कि 'सितारों के आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क के इम्तेहां और भी हैं.'

बता दें कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने पुस्तक में 465 चित्रों के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों, यात्रा विवरण और विभिन्न सम्मेलनों के अनुभव साझा किये हैं. उल्लेखनीय है कि नायडू ने गत वर्ष 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की थी. गत 10 अगस्त को उन्होंने संसद के मानसून सत्र के दौरान उच्च सदन की समापन बैठक को संबोधित करते हुये बताया था कि वह अपने पहले वर्ष के कार्यकाल के अनुभवों पर एक पुस्तक लिख रहे हैं.

पुस्तक में नायडू ने अपनी नयी भूमिका के बारे में लिखा है कि उन्होंने देश के इतिहास के एक रोचक मोड़ पर उपराष्ट्रपति पद ग्रहण किया है. इस दौर को उन्होंने अदम्य चुनौतियों और असीमित अवसरों का कालखंड बताते हुये कहा कि वह भाग्यशाली हैं, कि जब उन्हें इस नयी भूमिका में देश और नागरिकों की सेवा करने का अवसर मिला है.

राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने अनुभवों के बारे में नायडू ने पुस्तक में पहले दो सत्रों में अपेक्षित कामकाज नहीं हो पाने के कारण निराशा व्यक्त की है. लेकिन मानसून सत्र में इस बार बेहतर कामकाज होने का हवाला देते हुये उन्होंने भविष्य के नयी शुरूआत होने की उम्मीद जताई है.

इससे पहले भी ने उपराष्ट्रपति के रूप में एक साल पूरा करने के मौके पर वेंकैया नायडू ने संसद में काम करने के तरीकों को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि संसद में या तो बात हो सकती है, या फिर वाक आउट, मगर संसद को ठप नहीं किया जा सकता. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि संसद में काम करने के केवल दो ही तरीके हैं, आप या तो बात करते हैं या बाहर चले जाते हैं, मगर कोई ब्रेकआउट नहीं होगा अन्यथा लोकतंत्र खत्म हो जाएगा.

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा था कि विपक्ष के पास कहने के लिए होना चाहिए लेकिन अंत में सरकार के पास अपना रास्ता होना चाहिए क्योंकि सरकार लोगों के द्वारा चुनी जाती है. उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि संवैधानिक पद पर अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में उन्होंने देश के 29 राज्यों में से 28 राज्यों की अपनी यात्रा के माध्यम से विभिन्न हितधारकों के साथ ‘‘प्रभावी सहभागिता’’ की.

उन्होंने कहा कि उनकी सहभागिताएं छात्रों, युवाओं तथा किसानों और विज्ञान तथा अनुसंधान और संस्कृति पर केन्द्रित थीं क्योंकि उनके कुल 313 प्रमुख कार्यक्रमों में से 60 प्रतिशत उनसे ही संबंधित थे. उपराष्ट्रपति सचिवालय ने पांच ट्वीट भी पोस्ट किये थे जिनमें एक वर्ष के दौरान नायडू के कार्यक्रमों का सारांश दिया गया था.

उपराष्ट्रपति के रूप में एक रिकॉर्ड बनाते हुए नायडू ने देश के 29 राज्यों में से 28 की यात्रा की. नायडू केवल सिक्किम राज्य की यात्रा नहीं कर पाये, क्योंकि खराब मौसम के कारण उनकी इस राज्य की प्रस्तावित यात्रा को रद्द कर दिया गया था. उन्होंने पूर्वोत्तर के सभी सातों राज्यों की यात्रा की. उनके कार्यालय के अनुसार उन्होंने 56 विश्वविवद्यालयों का दौरा किया और 29 दीक्षांत समारोहों को संबोधित किया. नायडू ने पिछले वर्ष 11 अगस्त को देश के 13वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी.

नायडू ने अपने एकमात्र विदेशी दौरे में लैटिन अमेरिका के ग्वाटेमाला, पनामा और पेरू की यात्रा कर उन देशों के राष्ट्रपतियों और वरिष्ठ मंत्रियों के साथ व्यापक द्विपक्षीय वार्ता और बहुपक्षीय मसलों पर बातचीत की. वह ग्वाटेमाला और पनामा का दौरा करने वाले भारत के पहले उच्चाधिकारी थे. राज्यसभा सभापति के सबसे अहम क्षण इस साल हाल ही में समाप्त हुए मॉनसून सत्र था, जिसे 'आशा का वर्ष' कहा गया. उन्होंने 24 जुलाई को पूरे दिन सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता कर अपनी सहनशीलता का परिचय दिया.

इस मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एच डी देवगौड़ा और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा भी मौजूद थे.
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