हम हर समुद्रमंथन में अमृत से ले कर अप्सरा तक निगाह तो रखते हैं पर विष नहीं पीना चाहते
अमित मौर्या ,
Jul 26, 2018, 19:15 pm IST
Keywords: Sawan Special Special Sawan Article National Article Article Religion
श्रावण मास का प्रारम्भ हो गया है हर तरफ ओम नमः शिवाय साल भर शराब मांस का भक्षण करने वाले श्रावण मास में इससे दूर रहते है क्या ढकोसला है क्या इसके बाद शिव आराधना नही करते हो श्रावण मास में शराब व मांस का परित्याग लेकिन कोई सुंदरी मिल जाये तो उससे सम्बन्ध बनाने में नही चूकते जिंदा मांस में पूण्य मिलता है क्या शंकर .हमको आज भी शंकर चाहिए विश्व में .देश में प्रदेश में जिले में शहर शहर .हर घर शंकर चाहिए विष बिखरा पड़ा है और हम सब विष वमन करने में व्यस्त हैं.
हम हर समुद्रमंथन में अमृत से ले कर अप्सरा तक निगाह तो रखते हैं पर विष नहीं पीना चाहते शंकर के बाद संसार का विष अनियंत्रित है शंकर दुनिया को पहला गणराज्य देने वाला शंकर.प्लेटो की रिपब्लिक में गणराज्य की कल्पना से पहले महाभारत के शान्ति पर्व से भी बहुत पहले शंकर ने दुनिया का पहला गणराज्य स्थापित किया था और उस प्रथम गणराज्य का गणपति गजानन को बने था ...गणराज्य के प्रमुख गणपति का चित्र और चरित्र देखिये.
हाथी सा विराट व्यक्तित्व राज सत्ता के दिखने के डाट अलग ,खाने के अलग ...जमीनी हकीकत सूंघती सूंड सी नाक ...जन वेदना को सुनने में सक्षम बड़े से घूमते हुए कान छोटी सवारी चूहे जैसी जैसे राष्ट्रपति मारुति 800 से निकल जाए (भूत गण आदि सेवकं ) यानी जनता की सेवा के लिए "भूत" के सन्दर्भों /नजीरों से अपना नजरिया स्पष्ट करे जैसे वर्तमान राष्ट्रपति /राज्यपाल बोम्मई वाद का हवाला दें ...शंकर यानी गणराज्य की परिकल्पना ही नहीं 'आर्यावर्त ,जम्मू द्वीप ,भारत खंड में चार ज्योतिर्लिंग स्थापित कर भारत राष्ट्र की चोहद्दी निर्धारित करने वाला महानायक शंकर यानी प्रथम गणराज्य के प्रणेता की सेना /पुलिस पर गौर करें राजसत्ता के लिए आवश्यक पुलिस के हमशक्ल दिखते हैं.
शंकर के गले का नाग आज भी चिकित्सा विज्ञानं का ब्रांड एम्बेसेडर है .यूरोप में उपजे चिकित्सा विज्ञानं के प्रतीक चिन्ह में शामिल .दुनिया के परमाणु रिएक्टरों को गौर से देखो ! सभी संरचना शिवलिंग जैसी है .उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों का प्रतीक डमरू प्यार करो तो वैसे करो जैसे शंकर ने पार्वती से किया .शंकर स्वयं से प्यार नहीं करता शेष सभी से करता है और हम स्वयं से ही प्यार करते हैं.
शंकर को रावण भी मानता है और राम भी .शंकर सृजन का प्रतीक और संहार का सम्पादक...नृत्य का नटराज जिसके सात तांडव में पांच श्रृगार तांडव और दो रौद्र तांडव शामिल हैं ,शंकर यानी सत्य का सतत सुन्दर प्रथम प्रवक्ता . - हमारे आपके अन्दर सुसुप्त पड़ा शंकर जाग उठे ! -श्रावण मास की बधाई हो |
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