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मोदी का नेपाल दौराः रोटी-बेटी, रामायण सर्किट, धार्मिक और सांस्कृतिक के पीछे छिपा कूटनीतिक एजेंडा

मोदी का नेपाल दौराः रोटी-बेटी, रामायण सर्किट, धार्मिक और सांस्कृतिक के पीछे छिपा कूटनीतिक एजेंडा जनकपुर: दुनिया भर का दौरा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर आखिर अपने कार्यकाल के आखिरी साल में अपने पड़ोसी नेपाल पर पड़ ही गई. इसी तरह से जिस रामायण सर्किट की कभी उन्होंने जोर-शोर से घोषणा की थी पर उस पर सत्ता में आने के बाद अनदेखी की मोटी धूल जम गई थी, उसे भी धो-पोंछ कर ठीक किया जा रहा है.

संभवतः इसी लिए अपने इस तीसरे नेपाल दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के भीतर पहाड़ से लेकर तराई तक तीन तीर्थधामों के दर्शन करेंगे. जानकीधाम, मुक्तिनाथ और पशुपतिनाथ के दर्शन व पूजा प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में है. मगर धार्मिक और संस्कृतिक एजेंडा वाली पीएम मोदी की ताजा नेपाल यात्रा के काफी गहरे राजनीतिक व कूटनीतिक मायने भी हैं. भारत और नेपाल के रिश्तों की हिंदू जड़ों को सींचने के साथ ही पीएम इसे विकास की बिजली देने का भी प्रयास करेंगे. जनकपुर को रामायण सर्किट से जोड़ने वाले ऐलानों को इसी सौगात की कड़ी में देखा जा रहा है.

दरअसल, पहला अवसर है जब भारत का कोई प्रधानमंत्री काठमांडू से नहीं बल्कि जनकपुर से अपने नेपाल दौरे की शुरुआत करेगा. पहाड़ और तराई के तनाव भरे रिश्तों वाली नेपाली सियासत में जनकपुर को काठमांडू के बराबर तवज्जो देने वाले इस दौरे को भारतीय प्राथमिकताओं के मुखर वक्तव्य के तौर पर पढ़ा जा रहा है.

निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक पीएम मोदी सुबह 10 बजे जनकपुर पहुंचने के बाद सीधे जानकीधाम मंदिर जाएंगे जहां माना जाता है कि कभी राजा जनक का महल था और देवी सीता का बचपन बीता. जानकी मंदिर में पूजा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ ही नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी मौजूद रहेंगे. पूजा के बाद जानकी मंदिर के अहाते में ही दोनों प्रधानमंत्री अयोध्या और जनकपुर के बीच चलने वाली नई बस सेवा का शुभारंभ करेंगे. देवी सीता के मायके और ससुराल के बीच इस बस सेवा को भारत-नेपाल के रोटी-बेटी वाले रिश्तों की नई मुहर माना जा रहा है.

जनकपुर से अयोध्या को रवाना हो रही पहली बस में जा रही प्रदेश सरकार की राज्यमंत्री उषा देवी कहती हैं कि उन्हें ठीक वैसे ही खुशी हो रही है जैसी कभी अपने मामा के घर जाने पर होती थी. एबीपी न्यूज से बातचीत में उन्होंने बताया कि भारत और नेपाल के प्रधानमंत्री उनकी बस को रवाना करेंगे तो भारत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ 12 मई को उनकी अगवानी करेंगे. बस की पहली अयोध्या यात्रा में करीब 32 यात्रियों का जत्था भारत पहुंचेगा.

बस के अलावा और भी कई परियोजनाएं हैं जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी की जनकपुर यात्रा से रफ्तार मिलने की उम्मीद है. इसमें जनकपुर में राम-जानकी विवाह हॉल, जानकी ऑडिटोरियम हॉल, तालाबों का संरक्षण, संस्कृत गुरुकुल की स्थापना, जानकीधाम मंदिर में सोलर लाइट प्रणाली, जनकपुर-धनुषाधाम को जोड़ने वाली सड़क का विस्तार, जनकपुर से बिहार के गिरिजास्थान को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण आदि.

जानकीधाम के बाद पीएम मोदी बरसों ने उनकी बाट जोह रहे जनकपुर के लोगों से रूबरू होंगे. भारतीय प्रधानमंत्री के सम्मान में एक अभिनंदन समारोह रखा गया है जहां वो जनसमूह को संबोधित भी करेंगे. इसके लिए उस बारह बीघा मैदान को चुना गया है जहां लोकमान्यता के अनुसार देवी सीता का स्वयंवर हुआ था. उसी रंगशाला की भूमि को मिथिला संस्कृति के रंगों के साथ भारतीय प्रधानमंत्री के स्वागत की खातिर सजाया गया है. विश्व प्रसिद्ध मिथिला शैली की चित्रकारी जानकी मंदिर से रंगशाला तक जाती सड़क के दोनों ओर दीवारों पर की गई है. इसके अलाव बड़े बड़े स्वागत द्वार और बैनर पूरे शहर में देखे जा सकते हैं.

नेपाल के नवगठित प्रदेश नंबर 2 के मुख्यमंत्री लालबाबू राउत कहते हैं कि उनकी सरकार के सौ दिनों के भीतर ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा बेहद अहम है. इस यात्रा को अभूतपूर्व और ऐतिहासिक बनाने के लिए यथासंभव प्रयास किया जा रहा है. पीएम मोदी रामायण सर्किट से जनकपुर को जोड़ने का ऐलान करेंगे. वहीं जनकपुर के लोग उनका नागरिक अभिनंदन करेंगे जिसके लिए व्यापक पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं. मौसम की चुनौतियों के बावजूद पीरे उत्साह के साथ शहर को पीएम मोदी के स्वागत के लिए तैयार किया जा रहा है. आयोजकों का अनुमान है कि मोदी का भाषण सुनने के लिए करीब एक लाख लोग पहुंचेंगे. इसमें सीमापार बिहार के सीमावर्ती इलाकों से भी लोगों के पहुंचने की उम्मीद है.

अभिनंदन पत्र के साथ मोदी को सौंपेंगे चाबी भी
प्रधानमंत्री मोदी के अभिनंदन समारोह के इंतजामों से जुड़े कौशलकिशोर यादव बताते हैं कि बीते करीब एक पखवाड़े से रात दिन तैयारियां चल रही हैं. निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी को एक अभिनंदन पत्र भेंट किया जाएगा साथ ही उन्हें सौंपी जाएगी एक चाबी. यादव के मुताबिक चाबी एक प्रतीक है जो उनपर मधेस की जनता के विश्वास का संदेश देगी. एक परिवार के सदस्य को ही चाबी सौंपी जाती है और उसपर भरोसा होता है कि वो हर चीज का ध्यान रखेगा.

जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास भी कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की आमद को जनकपुर यूं उत्सवी तौर से देखा जा रहा है ज्यों नाती या भांजा आ रहा हो. इसलिए हम उनसे कुछ मांगेंगे नहीं बल्कि अपनी ओर से जो हो सकेगा देने का प्रयास करेंगे. क्योंकि हिंदू संस्कृति में नाती-भांजे का बड़ा महत्व है और उसे सामर्थ्य क्षमता के मुतािबक दिया ही जाता है.

मैथिल संस्कृति विद और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ भोगेंद्र झा कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की इस जनकपुर यात्रा से बीते कुछ समय में रिश्तों पर जो धूल जमी थी वो साफ होगी. हालांकि संबंधों की इस प्रगाढ़ता के बीच भारत को यह ध्यान रखना होगा कि वो उन्हीं वादों का ऐलान करे जिन्हें निभाया जा सके. अन्यथा अधूरे वादों का नकारात्मक असर अधिक होता है. झा कहते हैं कि पूर्व में भारत की ओर से किए गए कई वादे आज तक अधूरे हैं.

जनकपुर में दो घंटे से कुछ ज्यादा का वक्त बिताने के बाद प्रधानमंत्री काठमांडू रवाना होंगे जहां उनकी नेपाल सरकार के साथ आधिकारिक स्तर की बातचीत होगी. पीएम मोदी के इस दौरे में भारत के सहयोग से बन रही अरुण-3 जलविद्युत परियोजना का भी उद्घाटन होना है. ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 की अपनी पहली नेपाल यात्रा में हिमालय के इस पड़ोसी देश को संपर्क और समृद्धि में भारत का साझेदार बनाने का वादा किया था. महज एक महीना पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की भारत यात्रा के दौरान रक्सौल-काठमांडू रेल लिंक समेत कई महती संपर्क परियोजनाओं का ऐलान किया गया था. उम्मीद की जा रही है कि नेपाल सरकार के साथ अपने संवाद में पीएम मोदी अन्य संभावित परियोजनाओं की भी जमीन तैयार करेंगे.

प्रधानमंत्री मोदी नेपाल में अपनी यात्रा की शुरुआत जानकीधाम में पूजा से कर रहे हैं तो उनके दूसरे दिन का आरंभ भी तीर्थ दर्शन से ही होगा. वैष्णव मत के प्रसिद्ध तीर्थ मुक्तिधाम में पूजा के लिए मोदी धौलागिरी पर्वत क्षेत्र में जाएंगे जो बारह हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर है. इस तीर्थ का महत्व रामेश्वरम और बद्रीनाथ जैसा ही है और मान्यता है कि चार धाम दर्शन के बाद मुक्तिनाथ में दर्शन जरूर करना चाहिए. वहीं 12 मई की शाम भारत वापसी के पहले पीएम मोदी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर भी जाएंगे. साथ ही नेपाल में मौजूद भारतीय समुदाय के लोगों से भी मिलेंगे.

पीएम मोदी की इस यात्रा को चीन और पाकिस्तान के पाले में झुकती दिख रही मौजूदा नेपाल सरकार को भारतीय दबदबे और मजबूत सांस्कृतिक संबंधों का एहसास कराना भी है. हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हुए नेपाल की विदेश नीति में बीते दिनों ऐसे कई बदलाव दिखे जिनको लेकर भारत के कई सवाल हैं.

गत दिनों पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी की काठमांडू यात्रा के दौरान दिखाई गई गर्मजोशी और चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के समर्थन में आए नेपाल सरकार के मुखर बयान जैसे मुद्दे शामिल हैं. अप्रैल 2018 में हुई पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा किसी भी पाक पीएम का 24 साल में हुआ पहला दौरा था. जाहिर है मोदी अपने इस दौरे से अपने पड़ोसियों को एक संदेश देने की कोशिश में हैं कि दुनिया के एकलौते हिंदू राष्ट्र से भारत की करीबी किसी से कमजोर नहीं है.
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