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'गगन शक्ति 2018' युद्धाभ्यास के दौरान भारतीय वायु सेना ने चीरा गगन का सीना, दिखाया दम

'गगन शक्ति 2018' युद्धाभ्यास के दौरान भारतीय वायु सेना ने चीरा गगन का सीना, दिखाया दम नई दिल्लीः भारतीय वायु सेना के जांबाज इस भयानक गर्मी और लू भरे अंधड़ के बीच भी आसमान का सीना चीर कर अपना पराक्रम दिखा रहे हैं. पिछले तीन दशक में भारतीय वायु सेना के सबसे बड़े अभ्यास 'गगन शक्ति-2018' में पिछले तीन दिनों के अंदर करीब 1100 विमानों ने हिस्सा लिया. जिनमें करीब आधा लड़ाकू विमान थे.

वायु सेनाध्यक्ष बी.एस. धनोवा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पड़ोसी पाकिस्तान बेहद करीब से इस ऑपरेशन पर नज़र रख रहा था जो “आसमान को हिला रहा है और धरती को चीर रहा है.”  अब वायुसेना अपना अभ्यास वेस्टर्न सेक्टर से ईस्टर्न सेक्टर में करने जा रही है.

वायु सेना प्रमुख धनोवा ने कहा कि सभी तरह के प्रशिक्षण को 22 अप्रैल तक दो चरणों में चलनेवाले अभ्यास के चलते सस्पेंड किया जा रहा है. अमूमन  युद्ध के समय में ऐसा होता है जब सेना की तरफ से सभी गतिविधियों को रोक दिया जाता है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘यह 1986-1987 के ‘ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स’ या 2001-2002 में ‘ऑपरेशन’ पराक्रम के बाद से यह सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है.

एक न्यूज वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान और चीन सीमा पर संभावित खतरे से निपटने के लिए भारत को कम से कम 42 फाइटर स्क्वाड्रन्स की जरूरत है, लेकिन अभी वायुसेना के बड़े में केवल 31 ही हैं लेकिन इनकी संख्या कम होने के बावजूद वायुसेना इस एक्सरसाइज की मदद से खुद को तैयार कर रही है. भारतीय वायुसेना की पूरी वार मशीनरी फिलहाल पैन इंडिया एक्सरसाइज ‘गगन शक्ति’ में लगाई गई है.

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ ने कहा, ‘इस अभ्यास के जरिए हमारा लक्ष्य परिचालन क्षमता और असल युद्ध जैसी स्थिति से निपटने को लेकर खुद को तैयार करने का है. इसके साथ ही उच्च गति ऑपरेशन को बनाए रखने की हमारी क्षमता की जांच करना है.’
 
भारतीय वायुसेना का युद्धाभ्यास ‘गगन शक्ति 2018’ पिछले एक सप्ताह से पश्चिमी क्षेत्र में जारी है. पैराशुट ब्रिगेड की बटालियन के साथ वायुसेना ने आकाश से दुश्मन की धरती पर निशाना साधने का अभ्यास किया. वहीं पश्चिम बंगाल के खड़गपुर स्थित कलाईकुंडा एयरबेस से उड़े सुखाई 30 लड़ाकू विमानों ने भी दुश्मन को नेस्तेनाबूत करने का दम दिखाया. इस दौरान लक्षद्वीप तक की उड़ान के दौरान दो बार आकाश में ही सुखोई से सुखोई में ईंधन भरा गया.

वायुसेना ने तैयारी और दमखम को दो हिस्सों में परखा है. पहला पश्चिमी सीमा में और दूसरा उत्तरी सीमा पर. पश्चिमी सीमा के लिए पाकिस्तान सरकार को पूर्व सूचना दी गई. इस चरण में भारतीय सेना पाकिस्तान की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए दम दिखाया. दूसरे चरण में तिब्बत की ओर से चीन की सेना के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए अभ्यास किया.

इस दौरान जैसलमेर, जोधपुर, खड़गपुर में सैन्य विमानों ने हिस्सा लिया. लड़ाकू विमान तेजस वायुसेना में शामिल होने के बाद पहली बार गगन शक्ति युद्धाभ्यास में हिस्सा ले रहा है. सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, मिग 27, जगुआर व मिराज जैसे 600 लड़ाकू विमान शामिल हैं. बड़े परिवहन विमान सी-17 ग्लोब मास्टर, सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस और अटैक हेलिकॉप्टर एमआई 35, एमआई 17 वी 5, एमआई 17, एएलएच ध्रुव, एएलएच भी शामिल हैं.

जैसलमेर में वायुसेना के विमानों ने विभिन्न ठिकानों को निशाना बनाकर युद्धाभ्यास किया. ‘गगन शक्ति 2018’ युद्धाभ्यास में पहली बार महिला फाईटर पायलट हिस्सा ले रही हैं. युद्धाभ्यास के दौरान स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की पूरी स्कवाड्रन ताकत दिखा रही है.

सीमा पर 1,150 सैनिकों, विमानों, हेलीकॉप्टर और ड्रोन्स के साथ-साथ सैकड़ों एयर-डिफेंस मिसाइल, रेडार, निगरानी के लिए और अन्य इकाइयां इस ‘हाई वोल्टेज एक्सरसाइज’ के लिए तैनात की गई हैं.

यह एक्सरसाइज थलसेना और नौसेना की सक्रिय भागीदारी के साथ हो रही है. वायुसेना ने जरूरत पड़ने पर 83 प्रतिशत सेवा क्षमता को प्राप्त करने की भी व्यवस्था की है. इसके तहत किसी निश्चित समय पर विमान संचालन की उपलब्धता रहेगी. इसके अलावा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और बेस रिपेयर डिपो जैसे रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के साथ-साथ शांत समय में 55 प्रतिशत से 60 प्रतिशत सेवा क्षमता हासिल की गई.

गगनशक्ति का मकसद दरअसल, किसी भी खतरे से निपटने के लिए एडवांस और त्वरित रूप से व्यवस्था देना और श्रेष्ठ प्रदर्शन देना है. यानी जरुरत पड़ने पर पूर्वी तट एयरबेस से पश्चिमी तट एयरबेस की दूरी को भी नॉन स्टॉप कवर किया जा सकता है. इस तरह आपात स्थिति में बिना किसी रुकावट के मिशन पूरे किये जा सकते हैं.
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