स्टीफन हॉकिंगः मानव दिमाग की महत्ता को स्थापित करने वाले अप्रतिम भौतिक विज्ञानी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Mar 14, 2018, 13:38 pm IST
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स्टीफन हॉकिंग अब नहीं रहे, लेकिन जब-तक जिंदा रहे उनकी गिनती धरती के सबसे स्मार्ट व्यक्तियों में होती रही. वह विश्व प्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी और कॉस्मोलॉजिस्ट रहे, जिन्होंने कॉस्मोलॉजी, क्वांटम फिजिक्स, ब्लैक होल और स्पेस-टाइम की प्रकृति के क्षेत्र में अपने काम के लिए कई सम्मान प्राप्त किए.
स्टीफन ही वह वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने इस ब्रह्मांड की संरचना की शुरुआत ब्लैक होल से होने की बात की थी. लेकिन स्टीफन की कहानी में जितना विज्ञान है, उतना ही संघर्ष और प्यार भी है. एएलएस बीमारी से जूझते स्टीफन ने अपनी थ्योरी से फिजिक्स की दुनिया में लगभग कमाल ही किया था. साल 2014 में इस महान वैज्ञानिक के जीवन पर एक फिल्म बनी, जिसका नाम है 'द थ्योरी ऑफ एव्री थिंग'. इस फिल्म में स्टीफन हॉकिंग का किरदार एडी रेडमेने ने निभाया था, जिसके लिए उन्होंने उस साल बेस्ट एक्टर का ऑस्कर अवॉर्ड भी जीता. स्टीफन एक ऐसी बीमारी से जूझ रहे थे, जिसके चलते वह बोल नहीं सकते थे. यहां तक की उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ होती थी. स्टीफन के शरीर का ज्यातार हिस्सा हिल भी नहीं सकता था. ऐसे में डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनके मस्तिष्क को कुछ नहीं होगा, लेकिन वह अपने विचार शायद अब किसी के सामने नहीं रख पाएंगे. लेकिन इस बीच उनकी जिंदगी में उनका प्यार जेन सामने आईं, जिन्होंने कहा कि वह स्टीफन की इस हालत के बाद भी उनसे प्यार करती हैं और उनके साथ रहना चाहती हैं. इस फिल्म ने ब्रिटेन और अमेरिका समेत दुनियाभर में शानदार कमाई की थी. स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी, 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ. वह भौतिक विज्ञानी, ब्रह्मांड विज्ञानी और लेखक थे. वह यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के सेंटर फॉर थियोरेटिकल कॉस्मोलॉजी के रिसर्च विभाग के डायरेक्टर भी थे. उन्होंने हॉकिंग रेडिएशन, पेनरोज-हॉकिंग थियोरम्स, बेकेस्टीन-हॉकिंग फॉर्मूला, हॉकिंग एनर्जी समेत कई अहम सिद्धांत दुनिया को दिए. उनके कार्य कई रिसर्च का बेस बने. हॉकिंग का मानना है कि ब्रह्मांड के लिए एक भव्य डिजाइन है, लेकिन इसका भगवान से कोई लेना देना नहीं है. विज्ञान 'The Theory of Everything' के करीब आ रहा है और जब ऐसा होता है तो हम भव्य डिजाइन को जान जाएंगे. ऐसे में जब स्टीफन हॉकिंग ने कहा था कि भगवान का अस्तित्व नहीं है और मैं 'नास्तिक' हूं, तो दुनिया ने उनकी बात को संज्ञान में लिया. हॉकिंग ने 2014 में स्पैनिश भाषा के समाचार पत्र एल मुंडो के पत्रकार पाब्लो जरुगुई को दिए साक्षात्कार में यह बात कही थी. हॉकिंग संभवत: शुरुआत से ही नास्तिक रहे हैं. उनका परिवार कहने को तो ईसाई था, लेकिन वास्तव में वे नास्तिक थे. सेंट अल्बंस स्कूल में एक स्कूल के लड़के के रूप में उन्होंने ईसाई धर्म के बारे में अपने सहपाठियों के साथ तर्क किया और कॉलेज के दिनों में भी वह एक प्रसिद्ध नास्तिक के रूप में मशहूर हो गए. उनकी पहली पत्नी जेन ईसाई धर्म पर पक्का विश्वास करने वाली महिला थी, जिनसे उन्होंने 1965 में शादी की थी और 1995 में तलाक ले लिया था. मगर, उन दोनों के बीच भी कभी धार्मिक मामलों को लेकर एक मत नहीं रहे थे. भगवान के अस्तित्व को नकारने वाले हॉकिंग के बयान को लेकर किसी को भी आश्चर्य नहीं करना चाहिए. धार्मिक विश्वासों के विरोध में हॉकिंग ने कई बयान दिए हैं. उनका मानना है कि... - हम एक बहुत ही औसत तारे के एक छोटे ग्रह पर बसे बंदरों की उन्नत नस्ल हैं. मगर, हम ब्रह्मांड को समझ सकते हैं. यह बात हमें बहुत खास बना देती है. - धर्म और विज्ञान के बीच एक बुनियादी अंतर है. धर्म जहां आस्था और विश्वास पर टिका है, वहीं विज्ञान ऑब्जर्वेशन (अवलोकन) और रीजन (कारण) कारण पर चलता है. विज्ञान जीत जाएगा क्योंकि यह काम करता है. - हम सभी जो चाहें, उस पर विश्वास करने के लिए स्वतंत्र हैं. मेरा मानना है कि कोई भगवान नहीं है. किसी ने भी हमारे ब्रह्मांड नहीं बनाया है और कोई भी हमारे भाग्य को निर्देशन नहीं करता है. एक बार उनके द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई कि 93 फीसद शीर्ष वैज्ञानिकों ने ईश्वर के अस्तित्व को ठुकराया. वहीं, करीब 83 फीसद अमेरिकियों ने ईश्वर पर आस्था जाहिर की. नेचर मैग्जीन ने 1998 में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस (शीर्ष वैज्ञानिकों के एक प्रतिष्ठित समूह) के सदस्यों का सर्वे किया. उन्होंने पाया कि इनमें से केवल 7 फीसद वैज्ञानिक ही ईश्वर में विश्वास करते हैं. स्टीफन के निधन पर उनके बच्चे लूसी, रॉबर्ट और टिम ने एक बयान में कहा, 'हम अपने पिता की मृत्यु से बेहद दुखी हैं. वे एक महान वैज्ञानिक होने के साथ ही शानदार व्यक्ति थे. उनके कार्य और विरासत हमेशा जिंदा रहेंगे. वे लोगों को सदैव प्रेरणा देते रहेंगे. हम उन्हें हमेशा मिस करेंगे.' |
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