शोपियां फायरिंग मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने जांच रोका, जम्मू-कश्मीर सरकार ने कहा कि एफआईआर में मेजर आदित्य का नाम नहीं
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Mar 05, 2018, 15:42 pm IST
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नई दिल्लीः देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के शोपियां में हुई फायरिंग वाले मामले में जांच को फ़िलहाल 24 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया है. मामले में नया मोड़ तब आया जब जम्मू कश्मीर सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि घटना के बाद दर्ज हुई एफआईआर में मेजर आदित्य या उनकी टीम के किसी शख्स का नाम ही नहीं है.
मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह (रिटायर्ड) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनके बेटे को एफआईआर में नामजद किया गया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी और तब तक कोई जांच नहीं की जाएगी . जानकारी के मुताबिक बीती 27 जनवरी को सेना के काफिले पर पथराव कर रही भीड़ से खुद को बचाने के लिए सुरक्षा बलों ने गोलियां चलाईं, जिसमें तीन नागरिकों की मौत हो गई. इस मामले में अभी तक मेजर आदित्य को आरोपी बताया जा रहा था लेकिन अब सामने आया है कि एफआईआर में जो आरोपी की जगह है वह खाली है. पुलिस की तहकीकात के बाद ही पता चलेगा कि आरोपी कौन है. फिलहाल जो एफआईआर दर्ज हुआ है उस में सिर्फ यह लिखा है कि मेजर आदित्य उस टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जिसने आत्म रक्षा में गोली चलाई जिस से आम नागरिक की मौत हुई. कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकारों को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब मांगा था लेकिन अब सरकार के जवाब से मामले में नया मोड़ आ गया है. कोर्ट के फैसले के बाद वकील ऐश्वर्या भारती ने कहा, 'इसे बड़ी राहत नहीं कहा जा सकता क्योंकि ने अंतरिम आदेश को ही संशोधित किया है कि एफआईआर के तहत जांच नहीं होगी. खास यह है कि अटॉर्नी जनरल के जरिए केंद्र सरकार पूरी तरह से भारतीय सेना के समर्थन में खड़ी है.' बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शोपियां फायरिंग मामले में मेजर आदित्य के खिलाफ केस दर्ज किया था. मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह (रिटायर्ड) ने सेना के खिलाफ एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. करमवीर सिंह का कहना है कि निर्णय कोर्ट द्वारा लिया गया है इसलिए मैं इस पर कोई कमेंट नहीं कर सकता. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने 24 अप्रैल तक शोपियां गोलीबारी मामले में जांच के साथ इसमें मेजर आदित्य की भूमिका या कमी की जांच पर भी रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'मेजर आदित्य एक आर्मी अफसर हैं और उनके साथ साधारण अपराधियों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता. यद्यपि सरकार के कोर्ट में यह कहने के बावजूद कि मेजर का नाम आरोपियों में शामिल नहीं है, कोर्ट ने कहा कि मेजर आदित्य का नाम एफआईआर के सार में है इसलिए उन्हें किसी भी समय इसमें शामिल किया जा सकता है. अपनी रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर सरकार ने यह भी कहा कि आर्मी ने उनके पत्र का कोई जवाब नहीं देती है, और पूछा कि क्या वे कानून से ऊपर हैं या फिर उन्हें किसी को मारने का लाइसेंस हैं? बहरहाल सेना के खिलाफ एफआईआर पर भाजपा और पीडीपी के बीच दिखी थी दरार. उस वक्त सेना की यूनिट के खिलाफ एफआईआर पर जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी गठबंधन के दोनों घटकों- भाजपा और पीडीपी में दरार देखने को मिली थी. बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा था कि मेजर आदित्य का उत्पीड़न नहीं होने देंगे. सेना ने भी अपनी यूनिट के खिलाफ एफआईआर को गलत बताया था. सेना का कहना था कि शोपियां में जवानों ने आत्मरक्षा में फायरिंग की थी. अगर वे ऐसा न करते तो उनकी जान खतरे में पड़ सकती थी. पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) वी. पी. मलिक ने भी मेजर आदित्य के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को वापस लेने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि एक सैनिक को खुद की रक्षा करने का अधिकार है और जम्मू-कश्मीर पुलिस का मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ मामला दर्ज करने का फैसला 'बेवजह और गलत' है. गौरतलब है कि मेजर आदित्य और 10-गढ़वाल राइफल्स के अन्य जवानों पर शोपियां जिले में 27 जनवरी को गनोपोरा गांव के करीब सेना के काफिले पर पथराव करने वाली भीड़ पर गोली चलाने का आरोप है, जिसमें तीन नागरिकों की मौत हो गई थी. इस मामले में पैनल कोड की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या के प्रयास) के तहत केस दर्ज किया गया है. |
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