ईसा मसीह और सांता क्लॉज का क्रिसमस से संबंध
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Dec 25, 2017, 12:19 pm IST
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नई दिल्लीः 25 दिसंबर को ईसाई समुदाय के लोग यीशू मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं. पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन ईसा मसीह का का जन्म नहीं हुआ था. बताते हैं कि उनका जन्म अक्टूबर में हुआ था, लेकिन फिर भी चौथी शताब्दी के बाद ईसा मसीह का जन्मदिन मनाने के लिए इस दिन को चुना गया.
कालांतर में लगभग छ सौ साल बाद इसे क्रिसमस का नाम दिया गया और दुनियाभर में 25 दिसंबर को यह त्योहार मनाया जाने लगा. यह दिन बड़े दिन के नाम से भी मशहूर है. क्रिसमस दो शब्दों 'क्राइस्ट्स' और 'मास' से मिलकर बना है. जो मध्य काल के अंग्रेजी शब्द क्रिस्टेमसे और पुरानी अंग्रेजी शब्द क्रिस्टेसमैसे से मिलकर बनाया गया है. सन् 1038 ई. से इसे क्रिसमस कहा गया था. एक बात और है कि प्रभु यीशु के जन्म और सांता क्लॉज का आपस में कोई खास संबंध नहीं है. सांता क्लॉज को याद करने का चलन 4वीं शताब्दी से आरंभ हुआ था और वे संत निकोलस थे, जो तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप थे. दरअसल, इसके पीछे एक दिलचस्प किस्सा है. चौथी शताब्दी से पहले ईसाई समुदाय इस दिन को त्योहार के रुप में नहीं मनाते थे. मगर, चौथी शताब्दी के बाद इस दिन ईसाईयों का प्रमुख त्योहार मनाया जाने लगा. माना जाता है कि यूरोप में गैर-ईसाई समुदाय के लोग सूर्य के उत्तरायण के मौके पर त्योहार मनाते थे. इस दिन सूर्य के लंबी यात्रा से लौट कर आने की खुशी मनाई जाती है, इसी कारण से इसे बड़ा दिन भी कहा जाता है. इस दिन की प्रमुखता देखते हुए ही ईसाई समुदाय ने इस दिन को ईशू के जन्मदिन के रुप में चुना. क्रिसमस से पहले ईस्टर का पर्व ईसाई समुदाय का प्रमुख त्योहार माना जाता था. द न्यू इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के अनुसार, सर्दियों के मौसम में सूर्य की रोशनी कम हो जाती थी, तो गैर-ईसाई इस मकसद से पूजा पाठ किया करते थे कि सूर्य लंबी यात्रा से वापस आकर उन्हें ऊर्जा और रोशनी देगा. उनका मानना था कि सूर्य 25 दिसंबर से उत्तरायण होना शुरू होता है, लिहाजा वे लोग इस दिन को बड़ा दिन मानते थे. इस त्योहार और इसकी रस्मों को ईसाई धर्म गुरुओं ने अपने धर्म से मिला लिया और इसे ईसाइयों का त्योहार 'क्रिसमस-डे' नाम दे दिया. क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरूआत पहली बार 10वीं शताब्दी में जर्मनी में हुई. ऐसा करने वाला पहला व्यक्ति एक अंग्रेज धर्म प्रचारक बोनिफेंस टुयो था. सेंटा क्लॉज इस दिन बच्चों को गिफ्ट देते हैं. दरअसल, उनका पूरा नाम संत निकोलस था, जो जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में जन्मे थे. सेंटा के बचपन में ही उनके माता-पिता की मौत हो गई थी और सेंटा को सिर्फ जीसस पर ही विश्वास बचा था. बड़े होने पर उन्होंने अपनी जिंदगी जीसस को समर्पित कर दी. जीसस की करुणा और मदद को उन्होंने अपने जीवन का मकसद बनाया और आज के दिखाव वाले आयोजनों से अलग, चुपचाप लोगों की मदद करना शुरू कर दिया. पहले वह पादरी बने और फिर बिशप. वह आधी रात को बच्चों को गिफ्ट दिया करते थे, ताकि कोई उन्हें देख नहीं पाए. यह सिलसिला आज भी चल रहा है और लोगों को सेंटा का इंतजार रहता है. बाद में इसमें प्रभु यीशु के जन्म की खुशी भी जोड़ दी गई. अब क्रिसमस के दौरान में लोग कैरोल गाते हैं. क्रिसमस ट्री भी अपने वैभव के लिए पूरे विश्व में लोकप्रिय है. लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं. इस दिन ईसाई धर्म को मानने और इस धर्म को आदर देने वाले लोग चर्च में जाते हैं. और आपस में भाई-चारे की नई इबादत पेश करते हैं. पर अब क्रिसमस के दिन भी दिखावा और शोरशराबा की बुराइयां घुस गई हैं, जो की जीसस क्राइस्ट यानी प्रभु ईसा मसीह के संदेशों के विपरीत है. |
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