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गीता के कर्मयोग का ज्वलंत उदाहरण हैं हरियाणा की बेटियां: अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2017 में राष्ट्रपति

गीता के कर्मयोग का ज्वलंत उदाहरण हैं हरियाणा की बेटियां: अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2017 में राष्ट्रपति कुरुक्षेत्रः भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द आज भगवान श्री कृष्ण की कर्मभूमि कुरुक्षेत्र के दौरे पर गीता पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करने पहुंचे, जहां उन्होंने श्रीमद्भगवत गीता की महत्ता का उल्लेख किया.

प्रस्तुत है कुरुक्षेत्र में गीता पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर राष्ट्रपति का सम्बोधन

1.    राष्ट्रपति के रूप में हरियाणा की यह मेरी पहली यात्रा है। भारतीय परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण इस धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में आयोजित, अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर, यहां आकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। गीता से जुड़े इस महोत्सव में इतनी बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए हैं, यह और भी खुशी की बात है। वर्ष 2016 से, बड़े पैमाने पर गीता महोत्सव का आयोजन करने की पहल के लिए, मैं मुख्यमंत्री और हरियाणा सरकार की सराहना करता हूं। मेरा यह मानना है कि गीता नैतिकता और न्याय के विजय का संदेश देती है, और इस समारोह के द्वारा गीता का यह संदेश प्रसारित हो रहा है। मुझे बताया गया है कि इस वर्ष के आयोजन में ‘मारिशस भागीदार’ देश है और उत्तर प्रदेश ‘भागीदार राज्य’ है। मैं मारिशस और उत्तर प्रदेश के कलाकारों और सहयोगियों की भी सराहना करता हूं।      
2.    महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण खंड को महाकवि वेदव्यास ने स्त्रीलिंग का चयन कर श्रीमद् भगवद्गीता कहा। इतने महान शब्द-शिल्पी ने स्त्रीलिंग का चयन, संभवतः मातृ-शक्ति की गरिमा को मान्यता देने की नीयत से ही किया होगा। इसे आज women empowerment कहते हैं। इसी सोच के अनुरूप हरियाणा सरकार ने राज्य में स्त्री शक्ति को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। वर्ष 2011 में हरियाणा में 1,000 लड़कों की तुलना में 830 लड़कियां ही हुआ करती थीं। जनवरी 2015 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत के बाद अब लड़कियों का यह अनुपात बढ़कर 937 हो गया है।
3.    जैसा कि हम सब जानते हैं, हरियाणा की बेटियां राज्य का और देश का गौरव बढ़ाती रही हैं। भारतीय लोकतंत्र पर महिला राजनेता के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली हरियाणा की सुषमा स्वराज केवल 25 वर्ष की कम आयु में ही विधायक बनने और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त करने में सफल हुई थीं। अपने अत्यंत प्रभावशाली राजनैतिक जीवन के वर्तमान चरण में भारत की अब तक की दूसरी महिला विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने विश्व-पटल पर भारतीयता का, अपनी प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता की छाप छोड़ी है। ऐसा उदाहरण भारतीय लोकतन्त्र में बहुत कम देखने को मिलता है।
4.    कल्पना चावला ने अंतरिक्ष तक जा कर हरियाणा की बेटियों की क्षमता का परिचय दिया और जन-मानस में हमेशा के लिए अमर हो गयी। संतोष यादव ने एवरेस्ट की चोटी पर दो बार तिरंगा फहराया। कुश्ती में साक्षी मलिक तथा गीता, बबिता और विनेश फोगाट बहनों ने देश का गौरव बढ़ाया है। परिनीती चोपड़ा कला जगत के साथ-साथ पर्यटन की brand ambassador के रूप में सफलता प्राप्त कर रही हैं। हरियाणा की बेटियों की सफलता की यह यात्रा यहीं नहीं रुकी। हाल ही में झज्जर की मानुषी छिल्लर ने विश्वस्तरीय सम्मान अर्जित करके दुनियाभर में हरियाणा और भारत की साख बढ़ाई है। बेटी मानुषी ने अपनी मां, और सभी माताओं के अमूल्य त्याग और प्रेरणा के कारण मातृत्व को सर्वश्रेष्ठ profession का दर्जा देकर, भारत और हरियाणा के सांस्कृतिक मूल्यों को पूरी दुनिया के सम्मुख प्रस्तुत किया है और समाज के निर्माण में महिलाओं के योगदान को रेखांकित किया है। हरियाणा की इन बेटियों ने राजनीति से लेकर पर्वतारोहण तक, खेल के मैदान से लेकर अन्तरिक्ष तक तथा शिक्षा से लेकर सौन्दर्य प्रतियोगिताओं तक, अपनी उच्च कोटि की प्रतिभा के माध्यम से हरियाणा और भारत का गौरव बढ़ाया है। और भी कई ऐसी बेटियों के नाम हैं जिनमे से कुछ का ही मैंने उल्लेख किया है। हमें हरियाणा की धरती पर जन्मी इन बेटियों पर गर्व है।
5.    मैंने इन बेटियों का उदाहरण इसलिए दिया है कि ये सभी गीता के कर्मयोग का ज्वलंत उदाहरण हैं। मुझे लगता है कि गीता के सार को अपने जीवन में ढालकर ही वे आगे बढ़ी हैं। भविष्य की चिंता न करते हुए, एकाग्रचित्त होकर, अपने कर्तव्यों का निरंतर निर्वहन करना गीता का मुख्य संदेश है।
6.    ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में, न्याय के पक्ष में पांडव थे, जो केवल पांच गांव दे दिये जाने पर ही शांति के लिए सहमत थे। परंतु कौरवों ने सुई की नोक के बराबर भूमि भी न देने का अन्याय का मार्ग अपनाया। महाभारत का युद्ध हुआ। वह अन्याय के विरुद्ध न्याय, और अत्याचार के विरुद्ध सदाचार का युद्ध था। घोर अन्याय के विरुद्ध उस संघर्ष में अंततः विजय पाने वाले पांडवों की सबसे बड़ी शक्ति थे, श्री कृष्ण तथा गीता का अमर और जीवंत उपदेश।
7.    अनैतिकता और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष में गीता के प्रभाव के उदाहरण आधुनिक इतिहास में भी उपलब्ध हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी गीता को अपनी आंतरिक शक्ति और विवेक का स्रोत मानते थे और गीता का उल्लेख माता के रूप में करते थे। अपनी आत्मकथा में गांधी जी ने लिखा है कि जैसे अंग्रेज़ी के कठिन शब्दों के अर्थ के लिए वे DICTIONARY खोलते थे वैसे ही जीवन की दुविधाओं का समाधान पाने के लिए वे गीता का सहारा लेते थे। यह कहा जा सकता है कि गीता एक सम्पूर्ण 'जीवन-संहिता' है।
8.    हर मनुष्य के अंदर सही और गलत के बीच होने वाले द्वंद्व का गीता  समाधान देती है। "सही क्या है और गलत क्या है? हम क्या करें और क्या न करें?" यह अंतर्द्वंद्व सबको परेशान करता है। ऐसे दोराहों पर सही और गलत के बीच चुनाव करने का विवेक गीता में ही मिलता है।
9.    गीता योगशास्त्र है। गीता में निहित योग समस्त मानव जाति के हित के लिए है। गीता में युद्ध का परिदृश्य तो है, पर वैर-भाव नहीं है। युद्धक्षेत्र में हुए इस कृष्ण-अर्जुन-संवाद में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना बार-बार व्यक्त होती है। अभी हमने स्वामी ज्ञानानंद जी के विद्वत्तापूर्ण विचार सुने। हमारा प्रत्येक कर्म, योग भी हो सकता है और भोग भी। यह हमारा चुनाव है कि हम इसे कर्मयोग बनाएं या कर्मभोग। जिस कर्म को हम स्वार्थ और सुख के लिए करते हैं वह कर्मभोग बन जाता है और जब हम परोपकार के लिए कर्तव्य भाव से कर्म करते हैं तो यह कर्मयोग बन जाता है। महात्मा गांधी ने कहा था 'भारत अपने मूल स्वरूप में कर्मभूमि है, भोगभूमि नहीं।' कर्मयोग हमें भोगमुक्त करता है और लोककल्याण में लगाता है।
10.    कर्मयोग में मन को समभाव के साथ शांत और स्थिर रखने की आवश्यकता होती है। जो सामने उपस्थित है उस कर्म को पूरी निष्ठा से करना होता है। शांत और स्थिर मन से किया गया काम अच्छे परिणाम देता है, मनोबल बढ़ाता है और जीवन में आगे बढ़ने के रास्ते निकालता है। मैं एक बार फिर हरियाणा की बेटियों की याद दिलाऊंगा क्योंकि उन्होने यही किया है और अपने जीवन में आगे बढ़ी हैं। मेरा यह मानना है कि जो व्यक्ति गीता को अपने आचरण में ढालेगा वह झंझावात में भी स्थिर रहेगा, शांत रहेगा और सफल रहेगा।    
11.    पूरी मानवता के लिए योगशास्त्र गीता अत्यंत उपयोगी है। विश्व समुदाय 21 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय सहजता और शीघ्रता के साथ इसीलिए कर पाया कि योग पूरी मानवता के कल्याण के लिए है। गीता पूरे विश्व के लिए आध्यात्मिक दीप स्तम्भ है। अध्यात्म भारत की आत्मा है जो पूरे विश्व के लिए भारत का उपहार है। गीता भारतीय अध्यात्म का सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध ग्रंथ है।
12.    गीता का संदेश देश और काल से ऊपर है। प्राचीन काल के कृषि पर आधारित समाज से लेकर परवर्ती काल में वाणिज्य और उद्योग पर आधारित समाज तक, और उसके भी बाद की knowledge society तक, गीता की प्रासंगिकता हर युग में रही है और आगे भी बनी  रहेगी। Materialism और competition से घिरी, digital age की युवा पीढ़ी में तनाव, असुरक्षा और दुविधाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में गीता उनके लिए आध्यात्मिक औषधि सिद्ध होगी। आधुनिक युग में, पश्चिम में अमेरिका से लेकर पूर्व में जापान तक, योग की लोकप्रियता योगशास्त्र गीता की अंतर्राष्ट्रीय और युगातीत प्रासंगिकता को रेखांकित करती है। आज के digital युग में गीता के संदेश को पूरे विश्व में प्रसारित करना और भी आसान हो गया है।  
13.    यह अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव हरियाणा के, भारत के और पूरी मानवता के नैतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का उत्सव है। मैं इस आयोजन के लिए राज्य सरकार को, आयोजकों को और हरियाणा की जनता को बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि गीता के सन्देश को सभी भारतवासी अपने आचरण में ढाल कर एक बेहतर राष्ट्र और बेहतर विश्व के निर्माण में अपना योगदान देते रहेंगे।   

धन्यवाद
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