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तंद्रा या ध्यान, विश्राम की मुद्रा में मुस्कान मेल

तंद्रा या ध्यान, विश्राम की मुद्रा में मुस्कान मेल नई दिल्लीः अपनी दैनिक सेवा में मुस्कान का पिटारा और जीवन संदेश लेकर 'मुस्कान मेल' रोज की तरह आज फिर हाजिर होने की कोशिश में थी....उसी नेक कामना के साथ कि  आपका जीवन खुशहाल हो, आप हमेशा स्वस्थ्य रहें, न केवल खुद प्रसन्नचित्त हों, बल्कि आपके आसपास के लोग, प्रियजन, प्रकृति...सब मुस्कुराएं... आप हमेशा हंसते- मुस्कराते रहें, यही मुस्कान मेल के कर्ताधर्ता मनोज पाठक का मकसद रहा.

मनोज पाठक, यानी भारतीय रेडियो और टेलीविजन जगत की जानीमानी शख्सियत. पाठक अपनी दमदार आवाज वाले ऑडियो के साथ हर दिन 'मुस्कान मेल' के साथ आप के पास पहुंचते रहे हैं, पर आज ध्वनि संदेश की जगह आज उनका यह मेल मिला. यह मुस्कान मेल का विराम काल है या विश्राम, संधि वेला है या विरह राग...जानें स्वयं मनोज पाठक जी की आवाज मेंः

*****

मुस्कान मेल का जन्म
किस घड़ी में हुआ
और
उसका भविष्य क्या है
यह हमें नहीं पता

।।

आपको है क्या

?
??
???

।।।।

यही स्थिति हमारे आपके
अपने भविष्य के बारे में है
पता नहीं पल की
और बातें करें
कल की
चिन्ता करें भविष्य की।

।।

सो अपनी सोच रही है बचपन से
बस इस पल का आनन्द लो।
क्षणजीवीं हूं मैं।

क्षण मात्र का आनन्द लेने वाला।
एक एक पल एक एक क्षण का सुख लेने वाला।
जो उचित लगा जिस पल वही किया।
जो किया
उसके लिये जरा भी पश्चाताप नहीं
और चिन्ता नहीं
कि
क्यों किया।
जो किया ठीक किया। उससे बेहतर हो ही नहीं सकता जो उस पल घटित हुआ।
और जो घटिता हुआ
उसका परिणाम सुखद मिल रहा इस पल ।

यही है मुस्कान मेल की सफलता का राज
अचानक बन्द होने का रहस्य।
कब तक बन्द रहेगा
मैं स्वयं नहीं जानता इसलिये आपको सूचना नहीं दे सकता कि कब पुनः शुरु होगा बातचीत का यह सिलसिला।

मोबाइल  फोन इस्तेमाल बंद कर चुका हूं मैं इसलिये मुस्कान मेल पर वाट्सएप या अन्य माध्यम से बातचीत नहीं कर सकता फिलहाल।
इसका अर्थ ये नहीं कि ये पूर्ण विराम है।
नहीं
ये अल्प विराम है।

।।  
मोबाइल फोन फिर रखने लगूंगा तो शुरु कर दूं बातचीत का सिलसिला
संभव है।
।।
नहीं रखूं तो भी शायद कोई अन्य रास्ता निकल आये
संभव है।
।।
फिलहाल  
मुस्कान मेल सेवा अनिश्चित काल के लिये स्थगित है।
कब तक
मुझे नहीं पता।
सो इस्माइल प्लीज
तब तक।
।।

आप लोगों को मुस्कान मेल परिवार में मैंने जोड़ा
दुनिया में आने वाला
रहने वाला
इसी तरह एक दूसरे को जोड़ता है।
जाने वाला
समाधि में
या प्रयोग में
जो नाम दें
चुन लें
कहां सोचता कि मैं समाधि ले रहा प्रयोग शुरु कर रहा।

।।

यह तो ऐसी घटना जो
अचानक घटती है।
परिणाम
सभी संबद्ध पक्ष भोगते हैं।

।।

मुस्कान मेल वाट्सएप समूह में
आप रहना चाहें
मेरा सौभाग्य
छोड़ कर जाना चाहें
मेरा परम सौभाग्य
इसमें बने रहें और प्रतीक्षारत रहें
मुझ पर ईश्वर की अहैतुकी कृपा।

यानि चित भी मेरी

पट भी मेरी

दरअसल
इस जगत में
अपने अलावा
और   
अपने से अलग
मुझे कुछ लगता ही नहीं।

जो है
वह मेरा ही तो अंश है।
हिस्सा है।
इसलिये आप रहें तो भी मेरे
नहीं रहें तो भी मेरे।
मुझसे इतर आप हैं
ऐसा मुझे अब तक अनुभव हुआ ही नहीं।

।।

मोबाइल प्रयोग मैंने पहले भी छोड़ा है।
अनेक अवसरों पर
लंबी अवधि तक
बिना किसी से संपर्क के
अपने अंतर्मन की यात्रा करता रहा हूं।

।।
कारोबारी हूं नहीं
भय है नहीं
लोभ है नहीं
मोह जा चुका
जो है
वह कोई छीन नहीं सकता।
कोई दे तो
लेने की भी इच्छा नहीं।

सो इस अवस्था में मुस्कान मेल आनन्द यात्रा पर निकल रहा।
यात्रा अनुभव
रामजी की इच्छा होगी तो आप के साथ बांटूंगा अवश्य
कब
ये रामजी जानें
।।
बस मुस्कुराते रहें तब तक
आनन्दमग्न रहें तब तक।
विदा
शुभ विदा।
मुस्कान
सतत सर्वदा
आनन्द हर क्षण
सो
आनन्दम।।
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