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एचपीसीएल-ओएनजीसी सौदे पर अरुण जेटली समिति रखेगी नजरः धर्मेंद्र प्रधान

एचपीसीएल-ओएनजीसी सौदे पर अरुण जेटली समिति रखेगी नजरः धर्मेंद्र प्रधान नई दिल्लीः एचपीसीएल और ओएनजीसी के मर्जर पर नजर रखने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में एक कमेटी बनाई गई है, यह बात आज लोकसभा में तेल और गैस विभाग के मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताई.

सरकारी कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल), ओएनजीसी के टेकओवर करने से पहले उसकी दो सहयोगी कंपनियों को खरीद सकती है. यह जानकारी एक बड़े सरकारी अधिकारी ने दी है. ये सहयोगी कंपनियां मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) और ओएनजीसी पेट्रो एडिशंस (ओपल) हैं.

इससे ओनजीसी का पूरा डाउनस्ट्रीम बिजनेस एचपीसीएल के तहत आ जाएगा, जिससे वह तेल और गैस की खोज और उत्पादन पर पूरी तरह ध्यान दे पाएगी. वहीं, रिफाइनिंग और मार्केटिंग का पूरा काम एचपीसीएल के पास होगा. इस कंपनी के पास पहले से एमआरपीएल में 16.96 पर्सेंट हिस्सेदारी है.

वहीं, ओएनजीसी के पास एमआरपीएल के 71.63 पर्सेंट शेयर हैं. ओएनजीसी के पास ओपल के 49.36 पर्सेंट शेयर हैं, जबकि कंपनी के 49.21 पर्सेंट शेयर एक और सरकारी कंपनी गेल के पास हैं.

सरकार ने ओएनजीसी-एचपीसीएल के मर्जर के लिए सलाहकार नियुक्त करने का काम शुरू कर दिया है. सरकार के पास अभी एचपीसीएल के 51.1 पर्सेंट शेयर हैं.

पिछले हफ्ते आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने यह हिस्सेदारी ओएनजीसी को बेचने पर सिद्धांत रूप में मंजूरी दे दी थी. इसके साथ एचपीसीएल का मैनेजमेंट कंट्रोल भी ओएनजीसी को देने का फैसला किया गया है. इस सौदे के पूरा होने के बाद एचपीसीएल ओएनजीसी की सब्सिडियरी बन जाएगी.

डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) से सेक्रेटरी नीरज गुप्ता ने कहा कि ओएनजीसी की दो सहयोगी कंपनियों के एचपीसीएल के टेकओवर करने का प्रस्ताव इन कंपनियों की तरफ से आया है. उन्होंने बताया कि ये सौदे आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया, 'बजट में ऑयल क्षेत्र में मर्जर के जरिये बड़ी कंपनी बनाने का ऐलान किया गया था.'

केंद्र वैसे किसी कदम का समर्थन करेगा, जिससे सरकारी कंपनियां मजबूत होंगी और जिससे शेयरहोल्डर्स को फायदा होगा.

एचपीसीएल और ओएनजीसी के मर्जर के जरिये सरकार देश में पहली इंटीग्रेटेड ऑयल कंपनी बनाना चाहती है, जिसका काम तेल-गैस खोजने और उसके उत्पादन से लेकर रिफाइनिंग और कस्टमर्स को बेचने तक फैला होगा.

अधिकारी ने बताया, 'एचपीसीएल अपने डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. वह बाहर से तेल खरीद रही है. एमआरपीएल को खरीदने से उसकी रिफाइनिंग कैपेसिटी बढ़ेगी. इस मेगा मर्जर से पूरी वैल्यू चेन को फायदा होगा.'

दीपम के सेक्रेटरी गुप्ता ने बताया, 'हम इसके लिए पहले ड्यू डिलिजेंस करेंगे, फिर सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी. उसके बाद वैल्यूएशन एडवाइजर इस विनिवेश के लिए संबंधित कंपनियों की कीमत तय करेंगे.' उन्होंने कहा कि इसमें मार्केट कैपिटल का ख्याल भी रखा जाएगा. गुप्ता ने कहा कि इस पूरे प्रोसेस में सभी स्टेकहोल्डर्स के हितों का ख्याल रखा जाएगा.
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