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आजाद उम्मीदवार के लिए आजाद वोटः साक्षात्कार में गोपालकृष्ण गांधी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jul 16, 2017, 17:09 pm IST
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![]() गौरलतब है कि कांग्रेस समेत 18 विपक्षी दलों की बैठक में गोपालकृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया गया था. गोपालकृष्ण गांधी ने कहा कि ये चुनाव एकतरफा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि विपक्ष के आंकड़े को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए. फिर यह पद मर्यादा से जुड़ा है. इसे राजनीतिक दल के साथ नहीं जोड़ कर देखा जाना चाहिए. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल दलगत राजनीति से ऊपर हैं, इसीलिए वह मतदातामडल से निष्पक्ष वोटों की अपील करते हैं. पूर्व आईएएस अधिकारी रहे गोपालकृष्ण गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र हैं. उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ और सत्यमेव जयते का काफी महत्व है. ये देश का आईना है. उन्होंने कहा कि सत्य का हमेशा महत्व है. सत्य की हमेशा जीत होती है. यह ठीक है कि व्यवस्था के संचालन संबंधी निर्णय बहुमत से ही लिए जाते हैं, मगर सिस्टम की सार्थकता इसी में है कि महत्वपूर्ण फैसलों में अल्पमत की आवाज भी शामिल हो. इसे ध्यान में रखकर ही गोपाल कृष्ण गांधी को चुना गया है. वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते हैं, लेकिन यह ज्यादा बड़ी बात नहीं. अहम यह है कि वह गांधीजी के मूल्यों और आदर्शों के प्रति समर्पित हैं. उन्होंने अपने जीवन में गांधीवाद को उतारा और उच्च पदों पर रहते हुए भी सादगी और सच्चाई के रास्ते पर चले. जब वह प. बंगाल के राज्यपाल थे, तब राज्य में बिजली संकट को देखते हुए उन्होंने राजभवन में बिजली के उपयोग में कटौती की पहल की थी. राज्यपाल के रूप में वह राज्य प्रशासन को लेकर अपने विचार खुलकर रखते रहे. नंदीग्राम में हुए किसान आंदोलन के समय उन्होंने तत्कालीन लेफ्ट सरकार को आड़े हाथों लिया था. तब उन्होंने कहा था कि मैं अपनी शपथ के प्रति इतना ढीला रवैया नहीं अपना सकता, अपना दुख और पीड़ा मैं और अधिक नहीं छिपा सकता. 71 वर्षीय गोपालकृष्ण गांधी रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं. वे बंगाल के पूर्व गवर्नर भी रह चुके हैं. वे बंगाल के 22 वें गवर्नर थे. 2004 से 2009 तक इस पद पर कार्यरत रहे. वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते हैं. इनका जन्म 22 अप्रैल 1945 को हुआ था. भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व सदस्य के रूप में उन्होंने अन्य प्रशासनिक और कूटनीतिक पदों के बीच भारत के राष्ट्रपति के सचिव के रूप में सेवा दी. वे दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में उच्चायुक्त के रूप में भी कार्यरत रहे. जानें कब किस पद पर थे गोपालकृष्ण गांधी 1968 -1985 में आईएएस अधिकारी बने. 1985-1987 भारत के उपराष्ट्रपति के सचिव रहे. 1987-1992 भारत के राष्ट्रपति के संयुक्त सचिव रहे. 1992 - ब्रिटेन के उच्चायोग में आईएएस 1992 के मंत्री (संस्कृति) से सेवानिवृत्त हुए और नेहरू सेंटर, लंदन, ब्रिटेन के निदेशक थे. 1997-2000 भारत के राष्ट्रपति के सचिव रहे. 2000 - श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त पद पर कार्यरत रहे. 2002 - भारत के नॉर्वे, और आइसलैंड में राजदूत रहे 2004 - पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे. 2006 - बिहार के राज्यपाल (अतिरिक्त प्रभार) |
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