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क़तर-अरब देशों का विवादः अभी भारत पर असर नहीं, पर अगर समस्या बढ़ी तो

क़तर-अरब देशों का विवादः अभी भारत पर असर नहीं, पर अगर समस्या बढ़ी तो रियाद: कतर की ओर से इस्लामी समूहों का समर्थन और ईरान के साथ रिश्तों को लेकर अरब देशों के बीच दरार और गहरी हो गई है तथा पांच अरब देशों, मालदीव और लीबिया की अंतरिम सरकार ने सोमवार को कतर के साथ अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिए. यह क्षेत्र में हाल के सालों में पैदा हुआ सबसे बड़ा राजनयिक संकट है.

बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, यमन, मिस्र, सऊदी अरब और मालदीव ने ऐलान किया है कि वे गैस समृद्ध राष्ट्र से अपने राजनयिक कर्मचारियों को वापस बुलाएंगे. कतर में साल 2022 में फीफा विश्व कप होना है और यहीं अमेरिकी सेना का प्रमुख अड्डा है.

वहीं लीबिया की तीन प्रतिद्वंद्वी सरकारों में से एक ने भी कतर के साथ राजनयिक संबंध तोड़ने की घोषणा की. लीबिया की आधिकारिक समाचार एजेंसी लाना की खबर के अनुसार देश की अंतरिम सरकार के विदेश मंत्री मोहम्मद अल-डेरी ने कतर पर 'आतंकवाद को प्रश्रय' देने का आरोप लगाया.

संकट का ना केवल कतर और उसके नागरिकों बल्कि पश्चिम एशिया एवं पश्चिमी देशों के हितों पर भी व्यापक असर पड़ सकता है. यमन में ईरान समर्थित विद्रोहियों के साथ युद्धरत सउदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने भी कहा कि उसने समूह से कतर को निकाल दिया है. गठबंधन ने कतर पर 'यमन में (आतंकी) संगठनों की मदद करने' का आरोप लगाया जो उसका इस तरह का पहला दावा है.

सऊदी अरब ने कतर के साथ अपनी सीमा भी बंद कर दी, जिससे जमीन के रास्ते कतर को खाद्य एवं अन्य आपूर्तियां अवरूद्ध हो गईं. कतर की स्थानीय मीडिया ने कहा कि पहले ही लोगों में घबराहट पैदा हो चुकी है और लोग खाने की चीजें जमा करने लगे हैं. कतर ने कहा कि यह 'अन्यायपूर्ण' है और इसका उद्देश्य दोहा को 'राजनीतिक संरक्षणवाद' के तहत लाना है.

कतर के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में इन देशों के अप्रत्याशित कदम की तरफ संकेत करते हुए कहा, 'यह कदम अन्यायपूर्ण हैं और झूठे तथा बेबुनियाद दावों पर आधारित हैं.' बयान में आगे कहा गया है, 'इसका उद्देश्य साफ है, यह देश पर संरक्षणवाद थोपने के लिए है. यह कतर की एक देश के तौर पर संप्रभुता का उल्लंघन है.'

कतर स्टॉक एक्सचेंज के खुलने के साथ आठ प्रतिशत की गिरावट आई और आखिकार वह 7.58 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ. देशों ने कतर के राजनयिकों को भी अपने क्षेत्र से बाहर जाने को कहा है.

सऊदी अरब, मिस्र, बहरीन, यमन, लीबिया और संयुक्त अरब अमीरात ने क़तर के साथ अपने राजनयिक संबंध तोड़ दिए हैं.

ऐसे में ये जानना बेहद दिलचस्प है कि आख़िर क़तर ने ऐसा क्या कर दिया है कि बाक़ी देशों को ये पसंद नहीं आ रहा है. दरअसल क़तर पर इन देशों ने आरोप लगाया है कि वह चरमपंथ फैलाने वाले इस्लामिक संगठनों की मदद कर रहा है, हालांकि ऐसे आरोपों से क़तर ने इनकार किया है.

एक दौर ऐसा था जब क़तर खाड़ी देशों में सबसे ग़रीब था, लेकिन आज ये इलाके के सबसे अमीर देशों में शामिल है. क़तर की आमदनी का सबसे बड़ा स्रोत उसके गैस भंडार हैं.

इसकी बदौलत उसने इलाके में तेजी से अपनी जगह मज़बूत की है. अफ़ग़ानिस्तान में शांति स्थापित की कोशिशों में दखल दिया है और 2022 के फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप के आयोजन के लिए दावेदारी पेश की है.

भारत पर असर

लेकिन इस पाबंदी के क्या मायने हैं और इसका असर भारत पर क्या होगा?

लंबे समय से भारत और क़तर के रिश्ते मधुर रहे हैं. मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जून में दोहा की यात्रा की थी. उन्हें क़तर के शासक (जिन्हें अमीर कहा जाता है) एचएच शेख तमीम बिन हमाद अल थानी ने आमंत्रित किया था.

हमाद अल थानी मार्च, 2015 में भारत आ चुके हैं. उनके पिता भी कई बार भारत आ चुके हैं. क़तर में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं. अब तो हज़ारों लोग ऐसे भी हैं, जिनका जन्म क़तर में ही हुआ है.

क़तर में मौजूदा समय में करीब साढ़े छह लाख भारतीय रह रहे हैं. ऐसे में इन लोगों के जीवन पर इस पाबंदी का असर तो पड़ेगा. यहां रहने वाले लोग पहले की तरह से आसानी से अब सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात नहीं आ-जा पाएंगे.

हालांकि भारत से सीधे दोहा जाने वाली फ़्लाइट पर्शियन गल्फ़ रूट से बिना प्रभावित हुए आ-जा सकेगी. जहां तक आर्थिक संबंधों की बात है, दोनों देशों के बीच आपसी कारोबार 15.67 अरब डॉलर का है. भारतीय कंपनियां क़तर के अहम रोड प्रोजेक्ट, रेल प्रोजेक्ट और मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं.

भारत किधर है?

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क़तर पर इस पाबंदी पर भारत किधर है.

ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के सऊदी अरब से बेहतर रिश्ते रहे हैं. सऊदी अरब दुनिया भर में कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है. अबू धाबी और संयुक्त अरब अमीरात भी कच्चे तेल के सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल हैं.

उधर, दूसरी ओर क़तर लिक्विफ़ाइड नैचुरल गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है. ऐसी स्थिति में ज़ाहिर है कि भारत को मौजूदा संघर्ष तुरंत किसी का पक्ष लेने से बचना होगा.

जब तक क़तर में रह रहे भारतीयों के जीवन पर बहुत ज़्यादा असर नहीं पड़े तब तक भारत के लिए संतुलित रवैया रखना ही बेहतर होगा.
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