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भारत-वियतनाम के बीच रणनीतिक संबंध भारत-प्रशांत क्षेत्र में लाएंगे स्थिरता

मेजर जनरल पी के चक्रवर्ती (सेवानिवृत्त) , Jan 24, 2017, 15:34 pm IST
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भारत-वियतनाम के बीच रणनीतिक संबंध भारत-प्रशांत क्षेत्र में लाएंगे स्थिरता नई दिल्लीः भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले वर्ष 2-3 सितंबर को वियतनाम दौरे पर गए थे और बीते 15 वर्षो के दौरान वियतनाम जाने वाले वह देश के पहले प्रधानमंत्री थे.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले वर्ष 2-3 सितंबर को वियतनाम दौरे पर गए थे और बीते 15 वर्षो के दौरान वियतनाम जाने वाले वह देश के पहले प्रधानमंत्री थे.

इस दौरे पर भारत और वियतनाम के बीच 12 समझौते हुए, जिसमें संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना, दोहरे कर से मुक्ति, साइबर सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, दोनों देशों के बीच कारोबार की सूचना और समुद्र में गश्ती पोत की खरीद से संबंधित समझौते शामिल थे.

इसके अलावा पिछले 44 वर्षो के मजबूत कूटनीतिक संबंधों और नौ वर्षो के रणनीतिक संबंधों को देखते हुए दोनों देशों ने रणनीतिक संबंधों को और सुदृढ़ बनाने पर सहमति जताई थी. दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को व्यापक रणनीतिक संबंध तक सुदृढ़ किया जाएगा, जैसा कि वियतनाम का रूस और चीन के साथ संबंध है.

जहां तक रक्षा मामलों की बात है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि दोनों देश दक्षिण चीन सागर मामले में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय द्वारा हाल ही में दिए गए फैसले का सम्मान करते हैं.

रक्षा संबंधों में मजबूती लाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी ने वियतनाम से रक्षा उपकरणों की खरीद की सीमा बढ़ाकर 50 करोड़ डॉलर कर दी है. प्रधानमंत्री मौदी के दौरे पर वियतनाम ने भी एल एंड टी से चार सामुद्रिक गश्ती पोत खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए.

प्रधानमंत्री मोदी ने इसके अलावा न्हा त्रांग में स्थित दूरसंचार विश्वविद्यालय में आर्मी सॉफ्टवेयर पार्क के निर्माण के लिए वियतनाम को 50 लाख डॉलर का अनुदान देने की घोषणा की.

आर्थिक मोर्चे पर भी इस दौरे के दौरान अहम समझौते हुए। दोनों देशों ने रणनीतिक उद्देश्य से द्विपक्षीय आर्थिक संबंध मजबूत करने और 2020 तक द्विपक्षीय कारोबार 15 अरब डॉलर तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की.

दोनों देश तेल एवं गैस के नए क्षेत्रों की तलाश में बेहतर समन्वय के साथ काम कर सकते हैं. दोनों देशों के बीच संपर्क को भी सुदृढ़ करने की जरूरत है. एकदूसरे तक सीधी विमान सेवा शुरू करने तथा जलमार्ग और थलमार्ग के जरिए संपर्क में सुधार की जरूरत है. इससे दोनों देशों के बीच खुद-ब-खुद आर्थिक संबंध मजबूत होंगे.

इस दौरान भारत ने 2020-21 के लिए संयुक्त राष्ट्र में वियतनाम की अस्थायी सदस्यता का समर्थन करने का वादा किया, वहीं वियतनाम ने भी 2021-22 के लिए भारत की अस्थायी सदस्यता का समर्थन करने का वादा किया। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी का वह दौरा दोनों देशों के बीच संबंधों को नए आयाम पर पहुंचाने वाला साबित हुआ.

वियतनमाम प्रक्षेपास्त्र निर्माण में भारत की क्षमता से काफी प्रभावित है और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ खरीदना चाहता है, जिसका उपयोग जल और थल दोनों पर किया जा सकता है. इसके अलावा वियतनाम मिसाइल प्रौद्योगिकी और न्यूक्लीयर रिएक्टर के संचालन में भारत से अपने वैज्ञानिकों के लिए प्रशिक्षण चाहता है.

वियतनाम ने भारतीय सशस्त्र बलों के पेशेवर प्रशिक्षण की भी सराहना की और कई क्षेत्रों में भारत से प्रशिक्षण में मदद की अपेक्षा करता है. इनमें कुछ क्षेत्र इस प्रकार हैं-:

-: पीपुल्स वियतनाम एयर फोर्स के एसयू-30 पायलटों को भारतीय वायु सेना द्वारा प्रशिक्षण

-: पीपुल्स वियतनाम नेवी के पनडुब्बी चालक दल को भारतीय नौसेना द्वारा प्रशिक्षण

-: भारतीय सेना द्वारा जवाबी-कार्रवाई और जंगल में युद्ध लड़ने का प्रशिक्षण

-: अंग्रेजी भाषा में प्रशिक्षण

वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दायी कुआंग, वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव नगुएन फू ट्रोंग और प्रधानमंत्री नगुएन शुआन फुक, सभी भारत के साथ रक्षा संबंधों में सुदृढ़ता लाने के पक्ष में हैं. चीन वियतनाम का गलत फायदा उठाए, इससे रोकने के लिए वियतनाम के साथ संबंधों में सुधार और रणनीतिक मामलों में वियतनाम को सहयोग भारत के हित में होगा.

वियतनाम अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का इच्छुक है. वियतनाम पहले ही दो उपग्रह प्रक्षेपित कर चुका है और उनकी योजना अब अपना नेविगेशन उपग्रह छोड़ने की है. भारत के साथ अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग दोनों ही देशों के लिए लाभकारी होगा. भारत दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के लिए भारत के टोही उपग्रहों से मिलने वाले संकेतों को प्राप्त कर वियतनाम को उपलब्ध कराने के लिए रिसीविंग स्टेशन स्थापित करना शुरू कर चुका है.

वियतनाम और जापान, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिए दो मुख्य स्तंभ हैं तथा नई दिल्ली और हनोई के बीच हुए रणनीतिक क्षेत्रों में ये समझौते क्षेत्र में चीन के दबदबे से निपटने में अहम साबित होंगे.

भारत की मौजूदा मोदी सरकार वियतनाम के साथ अपने संबंधों को मजबूती देने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। भारत सरकार की ओर से किए जा रहे ये प्रयास भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता लाने का काम करेंगे।

# भारतीय सेना में वरिष्ठ अधिकारी रह चुके मेजर जनरल पी के चक्रवर्ती (सेवानिवृत्त) हनोई में भारतीय दूतावास में रक्षा सहयोगी के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं. यहां व्यक्त उनके निजी विचार हैं. साउथ एशियन मॉनिटर वेबसाइट के साथ व्यवस्था के तहत.
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