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नोटबंदी के बाद मुंबई के स्वर्ण बाजार सूने, सियापा
जनता जनार्दन डेस्क ,
Nov 28, 2016, 7:15 am IST
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![]() भारत के सबसे पुराने और बड़े व्यापारिक केंद्र की हजारों छोटी-बड़ी आभूषण की दुकानों और पूर्वी और पश्चिमी उपनगरीय इलाके की खुदरा दुकानें उत्सुकता के साथ ग्राहकों का इंतजार कर रही हैं। साल का विशेष, बेहतरीन शादी का मौसम चल रहा है। मुंबई में मई-जून तक प्रत्येक महीने लगभग 15,000 शादियां होनी हैं। आम तौर पर यह पैसे बनाने का समय होता है। लेकिन इस साल इन शादियों की कोई रौनक नहीं है। उपनगरीय इलाके के प्रमिला ज्वैलर्स के मालिक एस.के. वेली ने कहा, "मुझे नोटबंदी से पहले कुछ दुल्हन के गहनों के छोटे आर्डर मिले थे, जिसे मैंने तैयार कर दिया है। अब ग्राहक इन गहनों को लेने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनके पास इसके भुगतान के लिए पैसे नहीं है।" कुछ ग्राहक अब किस्तों में भुगतान करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन वेली ने इससे इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह मुमकिन नहीं है, क्योंकि उन्हें कई जगह अग्रिम भुगतान करना होता है। इस तरह से तैयार दुल्हन के गहने दुकान में पड़े हुए हैं। इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन, मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन जैसे बड़े निकाय और दूसरे व्यापारिक संघ इसे लेकर बहुत चिंतित हैं, लेकिन वे ज्यादा कुछ कर पाने में अक्षम हैं। मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार जैन ने कहा कि विस्तार क्षेत्र के आधार पर उद्योग में शादी वाले मौसम में अभूतपूर्व 90 प्रतिशत से ज्यादा की व्यापार में गिरावट आई है। जैन ने कहा, "यहां औसत सोने की बिक्री करीब 3.4-4 टन रही, जिसमें सोना, सर्राफा, आभूषण और दूसरे समान शामिल हैं। इनका अनुमानित मूल्य करीब 125 करोड़ रुपये है। नोटबंदी के बाद यह हर रोज 10 प्रतिशत से कम या लगभग 10-12 करोड़ रुपये घटा है।" साल 2015 की नरमी के बाद, इस साल अच्छे मानसून और अर्थव्यवस्था में सकारात्मक सोच के साथ एक बेहतर माहौल की उम्मीद थी। सर्राफा उद्योग साल 2016 में बेहतर नकदी भुनाने की तैयारी में था। जैन ने कहा कि जनवरी के बाद सोने का बड़े पैमाने पर करीब 120 टन आयात किया गया। यह शादी के मौसम, निवेश और कॉरपोरेट जरूरतों को ध्यान में रखकर किया गया। लेकिन वह निवेश और सोना अब अटका पड़ा है। हम इसे बेंच या फेंक नहीं सकते। |
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