राम रावण युद्ध में रावण हारा क्यों और कैसे ?
श्री रामवीर सिंह ,
Oct 11, 2016, 18:48 pm IST
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मानस रत्न डा.रामगोपाल तिवारी जी की व्याख्या पर आधारित आलेख पंडित प्रवर श्री तिवारी जी ने रावण पर राम की विजय का बडा सुन्दर विश्लेषण किया है। नौएडा में नवरात्रि पर्व के अवसर पर आयोजित श्री रामकथा ज्ञान यज्ञ में उन्होंने कहा कि समर भूमि में रावण को अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित रथारूढ तथा रामजी को नंगे पैर देख कर विभीषण घबरा गए। अधीर होकर पूछते हैं कि आप रावण जैसे सृष्टि के सर्वश्रेष्ठ योद्धा को बिना किसी साधन के कैसे जीत पाओगे ?
कहा कि:-
पंडित जी ने बताया कि युद्ध में जितना यह जानना ज़रूरी है कि राम जी कैसे जीते उतना ही यह जानना भी ज़रूरी है कि संसार का सबसे बलशाली,सबसे बड़ा योद्धा,सबसे धनवान,विशाल सेना वाला रावण हारा कैसे ? --रावण के युद्ध में मारे जाने के उपरांत प्रत्यक्षदर्शी देवताओं ने वापस जाकर महाराज दशरथ को तुरंत सूचना दी कि आपके पुत्र राम ने मृत्युलोक में अजेय रावण को मार दिया है तो प्रसन्नता में दशरथजी लंका की समर भूमि में आकर अपने पुत्र को देखने आए और पराक्रम देख कर पुलकायमान हो गए। "तेहि अवसर दशरथ तहँ आए। तनय विलोकि नयन जल छाए।। और रामजी ने अजय निसाचर को जीत लेने का कारण वताया। "तात सकल तब पुन्य प्रभाऊ। जीत्यों अजय निसाचर राऊ।।" बोले कि पूज्य पिताजी आपकी सेवा से आशीर्वाद का जो धन मैने एकत्र किया है उसी के पुण्य प्रताप से मैने अजेय को भी जीत लिया। वनवास के समय रामजी का कथन था"मुनिगन मिलन विशेष वन"---अर्थात वनवास है ही इसलिए कि मैं वन में जाकर तपस्यारत मुनियों के आशीर्वाद का धन,उनकी तपस्या का पुण्य एकत्र करके निसाचरों के बध की शक्ति प्राप्त कर सकूँ।
उल्लेख गुरू का भी है किंतु इस कलियुग में गुरु तो परमात्मा की कृपा से ही मिल सकता है। धनलोलुप व्यावसायिक लोग,धर्म और संस्कृति का छलावा दिखाकर समाज को ठगने वाले लोग चाहे ग्रुप पहनें,दाढ़ी बढ़ा लें,श्लोक बोलें ,क्छ भी ठगी करें गुरू नहीं हो सकते। बहुत सावधानी की आवश्यकता है। धन ऐंठने के लिए लालच में कुछ छद्म भगवा पहने ठग साईं को ही गुरू बनाकर पेश कर रहे हैं। इनसे बहुत दृढ़ता से निपटना होगा। जय सियाराम |
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