कश्मीर में प्रकृति पूरे रंग में, लेकिन पर्यटक कहां हैं?
जनता जनार्दन डेस्क ,
Oct 10, 2016, 12:25 pm IST
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श्रीनगर: कश्मीर का सबसे खूबसूरत मौसम शरद ऋतु अपने पूरे रंग में है, लेकिन अफसोसनाक है कि मुश्किलों से घिरी घाटी की त्रासदी इस साल इस सुनहरे-भूरे मौसम पर भारी पड़ रही है।
इससे पहले शरद ऋतु में प्रकृति कश्मीर आने वाले पर्यटकों का बाहें फैलाए स्वागत किया करती थी। कश्मीर घाटी में आने वाली नागरिक उड़ानों के पायलट जब घोषणा करते हैं कि वे श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने वाले हैं तो सब्ज ग्रामीण इलाके, नदियों और धाराओं में स्वच्छ पानी और अनाज से भरे लहराते खेत दिखाई देने लगते हैं। खूबसूरत चिनार के पेड़ों पर नई पत्तियां हरी से लाल और फिर पीली हो रही हैं। पके हुए रसीले सेबों से लदे बागान फलों के तोड़े जाने के इंतजार में हैं। धान के खेत कटाई का इंतजार कर रहे हैं और विवाह का मौसम अपने चरम पर पहुंच रहा है। ये सब कश्मीर घाटी में शरद ऋतु के आगमन का संकेत दे रहे हैं, लेकिन पर्यटक कहां हैं? वे स्थानीय लोग कहां हैं जो शरद की सुखद गर्माहट का मजा उठाने के लिए अपने परिवारों के साथ मुगल गार्डन आते रहे हैं? अलगाववादी विरोध प्रदर्शनों का आह्वान कर रहे हैं और सुरक्षा बल विरोध प्रदर्शन को विफल करने के लिए कंटीले तारों का प्रयोग कर रहे हैं। यह इस साल कश्मीर की अफसोसजनक सच्चाई है। पूरे शरद ऋतु में, जो अब खत्म होने को है, यहां कुछ नहीं बदला है। सुबह और शाम की ठंडक से जाहिर हो रहा है कि शरद की विदाई हो रही है और सर्दियां घाटी के दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं। छात्रों के लिए न कोई स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय खुले हैं, न ही दुकानदारों के लिए कोई मुख्य बाजार और न ही यात्रियों के लिए कोई सार्वजनिक परिवहन है। यहां वस्तुत: सब कुछ ठहर सा गया है। श्रीनगर निवासी अब्दुल गनी (52) ने बताया, "गैर स्थानीय लोगों के लिए इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि आज के समय में कोई भी जगह इतने लंबे समय तक बंद कैसे रह सकती है। लेकिन, स्थानीय निवासियों के तौर पर हमने हर त्रासदी और दुख को अपनी किस्मत समझ कर स्वीकार करना सीख लिया है।" कई वर्षो के बाद कश्मीर घाटी को गैर स्थानीय लोगों के विशाल कार्यबल की कमी खल रही है, जो शरद ऋतु में कटाई और अन्य कृषि कार्यों में लग जाते थे। जुलाई में हिंसा के शुरू होने पर सभी गर स्थानीय श्रमिक घाटी छोड़कर चले गए थे। मध्य बडगाम जिले में एक ईंट-भट्ठा मालिक अली मुहम्मद डार (69) ने सवाल उठाते हुए कहा, "जब 90 लोग मारे जा चुके हैं, 12,000 घायल हो गए हैं और पेलेट गन से दर्जनों नेत्रहीन हो गए हैं, तो कैसे किसी से भी अपने जीवन को जोखिम में डालकर कश्मीर में काम करने की उम्मीद की जा सकती है।" पहलगाम, गुलमर्ग और सोनमर्ग के पर्यटन कस्बे भूतिया हिल स्टेशन बन गए हैं। इन स्थानों पर सभी होटल, चाय की दुकानें और हस्तकला की दुकानें बंद पड़ी हुईं हैं। कश्मीर के सुनहरे घास के मैदानों में सबसे अच्छे होटलों में शुमार 'ट्रैंक्विल रिजॉर्ट' के मालिक सुहैल मीर (37) ने कहा, "शरद ऋतु के लिए हमारे पूरे होटल की बुकिंग हो चुकी थी। इस शरद ऋतु में 20 दिनों के लिए एक मल्टी स्टार बॉलीवुड फिल्म की शूटिंग के लिए बुकिंग हुई थी। लेकिन, सभी बुकिंग रद्द हो चुकी हैं। हमने सोनमर्ग के अपने होटल का शटर भी गिरा दिया है।" श्रीनगर शहर के अन्य होटलों, अतिथि गृहों और हाउसबोट्स की दुखद कहानी मीर से अलग नहीं है। श्रीनगर के एक अन्य होटल मालिक ने कहा, "जब तनाव शुरू हुआ, तब पर्यटकों की भीड़ चरम पर थी। हमने भारी बुकिंग को देखते हुए शरद ऋतु के लिए निवेश किया था। लेकिन, अब सब कुछ समाप्त हो गया।" सार्वजनिक परिवहन संचालकों के लिए तो यह दोधारी तलवार है। एक परिवहन संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "नौ जुलाई को जब समस्या शुरू हुई, हम तभी से परेशानी में हैं। बैंक हमारे ऋण पर ब्याज ले रहे हैं।" उसने कहा, "कोई भी परिवहन संचालक अगर बंद को चुनौती देने का साहस करता है, तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ती है। प्रदर्शनकारी वाहनों में तोड़फोड़ करते हैं। दो मामलों में तो उन्होंने कुछ ऑटो रिक्शों में आग तक लगा दी।" घाटी इस बार शरद ऋतु के अपने सुखद अनुभव को तरस रही है। |
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