क्या पाकिस्तानी आतंकी शिविर भारत से हमला कर सकने की दूरी पर हैं?
सरवर काशानी ,
Sep 27, 2016, 8:36 am IST
Keywords: Militant training camps India Pakistan border Jammu and Kashmir Armed forces Surgical strikes Hizbul Mujahideen Al Umar Mujahideen PoK Militant camps आतंकी प्रशिक्षण शिविर पाकिस्तान भारतीय सेना भारतीय हमला पाकिस्तानी आतंकी कैंप
नई दिल्ली: क्या आतंकियों के प्रशिक्षण शिविर जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तान से लगी वास्तविक सीमा के उस पार इतनी ही दूरी पर हैं जहां भारत से हमले किए जा सकें? क्या सशस्त्र सेनाओं को उन्हें नष्ट करने के लिए हमला करने की इजाजत दे दी जानी चाहिए?
इन शिविरों में महीनों गुजार चुके व पाकिस्तान में हथियार एवं गोला बारूद प्राप्त करते रहे आत्मसमर्पण कर चुके अलगाववादी आतंकी कहते हैं कि ऐसा नहीं है। इसकी पुष्टि जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने भी की। यह अधिकारी आतंकवाद के खिलाफ अभियान में करीब डेढ़ दशक से शामिल रहा है। आत्मसमर्पण कर चुके दो आतंकियों से आईएएनएस ने बात की। उन्होंने पाकिस्तान स्थित शिविरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी, खासकर उन दिनों के बारे में जब कश्मीर में उपद्रव चरम पर था। उनका कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कोई प्रशिक्षण शिविर नहीं है। वहां ऐसे शिविर हैं जहां आतंकी प्रशिक्षण लेने के बाद या उसके पहले आधार या पारागमन शिविर के रूप में उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में आतंकियों को मुख्य रूप से अफगानिस्तान से लगी सीमा के पास प्रशिक्षण दिया जाता है। यह दोनों पूर्व आतंकी पाकिस्तान सीमा में नियंत्रण रेखा पार कर गए थे। 740 किलोमीटर लंबी यह नियंत्रण रेखा ही एक तरह से वास्तविक सीमा रेखा है। यह सीमा रेखा ही कश्मीर को हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में बांटती है। दोनों 1990 के दशक की शुरुआती या मध्य के वर्षो में पाकिस्तान गए थे और पाकिस्तान समर्थक हिजबुल मुजाहिदीन और अल उमर मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के शीर्ष लोगों में से थे। इनमें से एक मजीद ने अपना पूरा नाम बताने से इनकार करते हुए कहा, “इन प्रशिक्षण शिविरों के बारे में आम धारणा यह है कि ये शिविर नियंत्रण रेखा के उस पार बिलकुल सटे हुए हैं जो कि पूरी तरह से गलत है।” अल उमर का पूर्व कमांडर अपने उप नाम तारिक जमील से जाना जाता था। उसने 1990 के दशक में आत्मसमर्पण किया था और कुछ साल जेल में बिताने के बाद अब वह श्रीनगर में छोटी सी दुकान चलाता है। मजीद ने कहा कि वह 1993 में प्रशिक्षण पाने आठ लोगों के साथ पाकिस्तान गया था। घने आबादी वाले मुजफ्फराबाद पहुंचने पर मजीद वाले गुट को किराए के घर में रखा गया। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की मुजफ्फराबाद ही राजधानी है। यह जगह उड़ी से 70 किलोमीटर दूर है। उसने बताया कि हम लोगों को ऐसा लगा था कि मुजफ्फराबाद तंबुओं से भरा होगा जहां आतंकी हथियारों का प्रशिक्षण लेते और समय-समय पर समूह में नमाज पढ़ते नजर आएंगे। लेकिन, ऐसा केवल फिल्मों में होता है। मुजफ्फराबाद में एक हफ्ते तक किराए के मकान में रहने के दौरान उन लोगों के पास समय-समय पर वरिष्ठ आतंकी कमांडर आते थे। लेकिन वे ‘अनौपचारिक तौर पर’ सिर्फ जेहाद के बारे में बताते थे या सेना के कुछ सिद्धांतों की जानकारी देने आते थे। उनके बाद उन्हें वाहन से मुजफ्फराबाद से 8 से 10 से घंटे की दूरी पर स्थित पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर ले जाया गया। पाकिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके दूसरे पूर्व आतंकी शफीक ने भी अपना पूरा नाम नहीं बताया। उसने कहा, ” वहां हमें एके-47 राइफल, ग्रेनेड, विस्फोटक और कंधे पर रखकर छोड़े जाने वाले राकेट को दागने का प्रशिक्षण मिला। यह प्रशिक्षण करीब एक महीने तक चला। प्रशिक्षण देने वाले या तो पाकिस्तानी सेना के अधिकारी होते थे या अफगानिस्तान के मुजाहिदीन कमांडर होते थे।” शफीक हिजबुल का श्रीनगर का कमांडर हुआ करता था और अब श्रीनगर के पुराने इलाके में जूते की अपनी दुकान चलाता है। सीमापार कर पाकिस्तान से लौटने के दौरान सीमा पर हुई गोलीबारी में उसके बाएं हाथ में गोली लगी थी। भारतीय सुरक्षा बलों ने कुपवाड़ा नियंत्रण रेखा पर उसे देख लिया था। गोली लगने के कारण घायल होने पर उसे एक अंगुली गंवानी पड़ी। वह पांच साल तक सक्रिय आतंकी रहा। उसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया और अदालत के आदेश पर उसे छोड़ा गया। पूर्व आतंकी ने बताया कि पाकिस्तान में हथियार चलाने का प्रशिक्षण लेने के बाद उन लोगों को मुजफ्फराबाद लाया गया और किराए के एक मकान में रखा गया। उसका किराया आतंकी संगठन ने चुकाया। उसके बाद उन्हें चार-पांच के छोटे-छोट समूहों में हथियार और गोला बारूद देकर नियंत्रण रेखा पार कर भारत भेजा गया। पूर्व आतंकियों की बातों की पुष्टि पुलिस के खुफिया अधिकारी ने भी की। अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में प्रशिक्षण शिविर नहीं हैं। कश्मीर के इस हिस्से में जो शिविर हैं, वे सिर्फ आधार शिविर कहे जा सकते हैं जहां उन्हें शुरू में टिकाया जाता है और जहां से उन्हें आगे भेजा जाता है। अधिकारी ने कहा कि जो आतंकी कश्मीर से पाकिस्तान वाले क्षेत्र में जाते हैं, उन्हें मुजफ्फराबाद शहर के बाहर मदरसों के हॉस्टल, अस्पतालों, सरायों या मस्जिदों के कमरों में ठहराया जाता है। उसके बाद उनके दिमाग में जेहाद का जुनून भरने के लिए उपदेश सुनाए जाते हैं। इसके बाद उन्हें अफगानिस्तान सीमा पर हथियार चलाने का प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। खुफिया अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान सीमा से लगे शिविर भी स्थायी नहीं हैं। वे उन्हें इधर-उधर हटाते रहते हैं। वे कामचलाऊ व्यवस्था के तहत संचालित होते हैं। |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|