घट रहे गर्भवती महिलाओं में खून की कमी के मामले!
जनता जनार्दन डेस्क ,
Sep 18, 2016, 15:22 pm IST
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सरकारी आंकड़े दर्शाते हैं कि साल 2015 में करीब एक दशक बाद रक्तहीनता से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की संख्या में 12 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। लेकिन यह भी सच्चाई है कि अन्य देशों की अपेक्षा और वैश्विक औसत दर की तुलना में रक्तहीनता से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की संख्या भारत में ज्यादा है।
साल 2015-16 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के लिए 14 राज्यों के सर्वे दर्शाते हैं कि एक दशक पहले रक्तहीनता से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की संख्या 57 प्रतिशत थी, जो घटकर 45 प्रतिशत हो गई। इंडिया स्पेंड विश्लेषण के एनएफएचएस-4 आंकड़े के अनुसार, रक्तहीनता से पीड़ित गर्भवती महिलाओं (15 से 49 वर्ष) की संख्या में कमी का संबंध स्वच्छता और महिलाओं की शिक्षा में सुधार से है। रक्तहीनता से पीड़ित महिला के मरने या उनके द्वारा सामान्य से कम वजन के बच्चे को जन्म देने की संभावना अधिक रहती है। साथ ही नवजात शिशु की मृत्यु की आशंका भी बढ़ जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2011 में भारत में रक्तहीनता से पीड़ित गर्भवती महिलाएं 54 प्रतिशत थीं। इस मामले में भारत की स्थिति पाकिस्तान (50 प्रतिशत), बांग्लादेश (48 प्रतिशत), नेपाल (44 प्रतिशत), थाईलैंड (30 प्रतिशत), ईरान (26 प्रतिशत), श्रीलंका (25 प्रतिशत) से भी बदतर थी। ये आंकड़े सुझाते हैं कि साल 2015 में पड़ोसी देशों, सापेक्षिक रूप से गरीब देशों की तुलना में भी भारत की स्थिति खराब थी। 14 राज्यों में रक्तहीनता से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की संख्या में सर्वाधिक कमी पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में देखी गई जो 39 प्रतिशत थी। इस राज्य में अब ऐसी महिलाएं सिर्फ 24 प्रतिशत हैं। बेहतर स्वच्छता के उपयोग मामले भी सिक्किम साल 2014-15 में देश में तीसरे स्थान पर था। बताया जाता है कि साल 2005-06 से 2014-15 के दौरान महिला साक्षरता में वृद्धि के मामले में भी सिक्किम दूसरे स्थान पर था। एनएफएचएस-4 के आंकड़ों के अनुसार, रक्तहीनता से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का सबसे अधिक अनुपात 58 प्रतिशत पूर्वी राज्य बिहार में था, जहां सबसे कम महिला साक्षरता दर है और बेहतर स्वच्छता का उपयोग भी सबसे कम होता है। बिहार में एक दशक के दौरान रक्तहीन, गर्भवती महिलाओं की संख्या में केवल दो प्रतिशत की ही कमी हुई। साल 2005 में इस मामले में बिहार से उपर केवल पांच राज्य थे। रक्तहीन गर्भवती महिलाओं की संख्या के मामले में बिहार के बाद मध्य प्रदेश और हरियाणा दोनों 55 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर हैं। दूसरी ओर सिक्किम के बाद मणिपुर (26 प्रतिशत) और गोवा (27 प्रतिशत) का स्थान आता है। बिहार में 25 प्रतिशत परिवार ही बेहतर स्वच्छता का उपयोग करते हैं। इस मामले में विगत एक दशक में बिहार में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन यह सभी राज्यों की तुलना में सबसे कम है। 14 राज्यों में इस मामले में औसत वृद्धि दर 20 प्रतिशत थी। बिहार के बाद मध्य प्रदेश का स्थान है जहां 34 प्रतिशत परिवार बेहतर स्वच्छता का उपयोग कर रहे हैं और बेहतर स्वच्छता के उपयोग करने वाले 48 प्रतिशत परिवारों के साथ असम बदतर राज्यों की सूची में तीसरे स्थान पर है। जबकि सिक्किम में 88 प्रतिशत परिवार बेहतर स्वच्छता का उपयोग करते हैं। इस मामले में हरियाणा में सर्वाधिक 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। देश में महिला साक्षरता दर 76 प्रतिशत है और 14 राज्यों में सर्वे के दौरान पाया गया कि विगत एक दशक में इन राज्यों में महिला साक्षरता दर में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बिहार में महिला साक्षरता दर 50 प्रतिशत है और एक दशक में इस दर वहां 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मध्य प्रदेश में महिला साक्षरता दर 59 प्रतिशत है और एक दशक में इस दर में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो हरियाणा के साथ सबसे बड़ी वृद्धि है। उधर, अब गोवा में महिला साक्षरता दर 89 प्रतिशत है और इसके बाद सिक्किम (87 प्रतिशत) और मणिपुर (85 प्रतिशत) का स्थान आता है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अतिथि शोधकर्ता डायने कोफे के अनुसार, परिवार में अपने लिए खड़ा होने में शिक्षा महिलाओं को मदद कर सकती है। वह गर्भावस्था के दौरान अच्छे भोजन की मांग कर सकती हैं, जिससे रक्तहीनता कमी दूर होगी। |
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