त्रिनिदाद एवं टोबैगो में हिंदुओं-मुस्लिमों में कोई भेद नहीं: आलिया एनियाथ
सोमरीता घोष ,
Sep 03, 2016, 18:43 pm IST
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नई दिल्लीः कैरेबियाई द्वीप समूह के देश त्रिनिदाद एवं टोबैगो की भारतीय मूल की लेखिका आलिया एनियाथ का मानना है कि त्रिनिदाद एवं टोबैगो में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के बारे में पूरी दुनिया को बताए जाने की जरूरत है, क्योंकि वहां हिंदू और मुस्लिमों के बीच कोई भेद नहीं है और भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
हाल ही में एनियाथ की पहली पुस्तक प्रकाशित हुई है, जिसमें त्रिनिदाद एवं टोबैगो में रहने वाले भारतीय मूल के बाशिंदों की कहानियां हैं। उल्लेखनीय है कि त्रिनिदाद एवं टोबैगो में कुल आबादी का 40 फीसदी भारतीय मूल के लोग हैं। लेखिका एनियाथ का कहना है, "त्रिनिदाद एवं टोबैगो में रहने वाली भारतीय मूल की यह आबादी आज भी अपनी संस्कृति से जुड़ी हुई है। त्रिनिदाद में दिवाली धूमधाम से मनाई जाती है और इसका जश्न सप्ताह भर चलता है। हिंदुओं और मुस्लिमों में वहां कोई अंतर नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी से उनके जीवन पर कोई फर्क नहीं पड़ता।" एनियाथ की पुस्तक 'द यार्ड' को स्पीकिंग टाइगर्स प्रकाशन संस्था ने प्रकाशित किया है। 272 पृष्ठों वाली यह पुस्तक 350 रुपये में उपलब्ध है। भारत दौरे पर आईं एनियाथ ने एक साक्षात्कार में कहा, "हमें अपनी कहानियां दुनिया को सुनानी चाहिए। हमारे पास सुनाने के लिए कितनी ही कहानियां हैं। यह बेहद जरूरी है कि हमारी बातें सुनी जाएं और दुनिया हमारे बारे में भी जाने, क्योंकि भारत में दुनिया की बहुत बड़ी आबादी रहती है और यह आबादी दुनिया में अहम भूमिका अदा कर रही है।" एनियाथ का जन्म और पालन-पोषण तो त्रिनिदाद एवं टोबैगो में ही हुआ है, लेकिन उनकी जड़ें भारत में उत्तर प्रदेश से जुड़ी हुई हैं। बतौर लेखिका एनियाथ का मानना है कि ब्रिटिश और अमेरिकी प्रकाशकों द्वारा भारतीय मूल के बाशिंदों की कहानियों में रुचि न लेना दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन भारतीय प्रकाशन उद्योग इस अंतर को पाटने की पुरजोर कोशिशों में लगी हुई है। त्रिनिदाद में एक पत्रिका की निदेशक के तौर पर काम करने वाली एनियाथ ने कहा, "एक भारतीय प्रकाशन समूह से जब मुझे अपनी पुस्तक प्रकाशित करने का प्रस्ताव मिला तो मैं इनकार नहीं कर पाई, क्योंकि भारत प्रवासी लेखकों के लिए बड़ा मंच बन चुका है।" वह बताती हैं कि उनकी पुस्तक में रचे गए पात्र त्रिनिदाद एवं टोबैगो में रह रहे भारतीय मूल के बाशिंदों की जीवनशैली को बयां करने के माध्यम भर हैं। एनियाथ कहती हैं, "मेरी पुस्तक में कैरेबियाई देश में रहने वाले एक परिवार के अनुभवों को उकेरा गया है, जिसके सदस्य साथ रहने के लिए मजबूर हैं। त्रिनिदाद में रहने वाले अनेक भारतीय परिवारों की यही कहानी है। मेरे खयाल से यह भारतीय संस्कृति, पारिवारिक लगाव और भावनात्मक जुड़ाव की कहानी है, खासकर मुस्लिम परिवारों की। इसमें दर्शाया गया है कि कैसे धर्म को लेकर उनके विचार अलग-अलग हैं।" एनियाथ का कहना है कि इससे पहले किसी पुस्तक में पूर्वी भारतीय लोगों की कहानी कही गई है। एनियाथ ने कहा, "झुंपा लाहिड़ी जैसी लेखिकाएं विस्थापन की कहानी कहती हैं, लेकिन त्रिनिदाद एवं टोबैगो में हम खुद विस्थापित नहीं मानते, क्योंकि हम वहां शुरू से रहते आ रहे हैं।" |
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